स्वीडन की एक कंपनी ने भारत में बसों की सप्लाई करने का ठेका हासिल करने के लिए 3 सालों तक बड़े पैमाने पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी है. ये मामला यूपीए से लेकर एनडीए सरकार के कार्यकाल तक है. स्वीडन के एक समाचार चैनल SVT और 2 अन्य मीडिया एजेंसियों द्वारा की गई जांच में इस मामले का खुलासा हुआ है. इन आरोपों के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के ऑफिस ने बयान जारी किया है, जिसमें आरोपों को सिरे से नकार दिया गया है.
2013 से 16 तक दी गई रिश्वत
रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 से लेकर 2016 तक सात अलग अलग राज्यों में ये रिश्वत स्वीडिश बस कंपनी स्कैनिया ने दी है.
स्वीडन की ट्रक और बस बनाने वाली कंपनी, जो कि ऑटो क्षेत्र की मेगा कंपनी वॉक्सवैगन एजी की व्यावसायिक इकाई ट्रैटन एसई की शाखा है, ने भारत में 2007 में ऑपरेशन शुरू किया था और 2011 में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया था.
कंपनी के मैनेजमेंट गलत आचरण किया
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार इस मामले में स्कैनिया ने खुद 2017 में एक जांच शुरू की थी, इस दौरान पाया गया कि कंपनी के कर्मचारियों और टॉप मैनेजमेंट ने गंभीर गड़बड़ियां की है. कंपनी के प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया कि कर्मचारियों के गलत आचरण में कथित तौर पर रिश्वत देना, बिजनेस पार्टनर के जरिए रिश्वत देना और कंपनी का गलत प्रतिनिधित्व शामिल है.
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले के सामने आने के बाद स्कैनिया ने भारत के बाजार में स्कैनिया बसों को बेचना बंद कर दिया है और भारत में जो फैक्ट्री लगाई गई थी उसे बंद कर दिया गया है.
कंपनी के सीईओ हेनरिक हेनरिक्सन ने स्वीडिश न्यूज चैनल एसवीटी को बताया, "हम थोड़े नौसिखिए जरूर थे, लेकिन हमने सचमुच में ऐसा किया, हम भारत में ऐसा करना चाहते थे, लेकिन इससे जुड़े खतरे को हमने कम करके आंका था."
कंपनी छोड़ गए गड़बड़ी करने वाले अधिकारी
हेनरिक्सन ने कहा कि भारत में कंपनी के कुछ अधिकारियों ने गलत किया था, लेकिन वो तब से ही कंपनी छोड़ चुके हैं, और सभी कारोबारी साझेदारों से कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया गया है.
नितिन गडकरी के ऑफिस ने आरोपों को नकारा
दरअसल, स्वीडन के समाचार चैनल SVT, जर्मनी की एजेंसी जेडडीएफ और भारत के कॉनफ्लुएंस मीडिया की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत सरकार के एक मंत्री को भी रिश्वत दी गई है. वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के ऑफिस ने उन रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया कि एक स्वीडिश बस कंपनी की ओर से उन्हें लग्जरी बस गिफ्ट में दी गई. गडकरी के ऑफिस ने कहा कि खुद कंपनी (स्कैनिया) ने इस बात से इनकार किया है कि उसने केंद्रीय मंत्री को निजी यूज के लिए कोई बस भेजी है. यही नहीं कंपनी के प्रवक्ता ने भी गडकरी के बेटों के साथ किसी भी व्यापारिक सौदे में शामिल होने से इनकार किया है. गडकरी के ऑफिस की ओर से कहा गया कि ये आरोप मनगढ़ंत, निराधार और दुर्भावनापूर्ण हैं. मंत्री और उनके परिवार के सदस्यों का बस खरीद या बिक्री से कोई लेना-देना नहीं है.
बयान में यह भी कहा गया कि ये डील नागपुर नगर निगम और स्वीडिश ऑटो कंपनी के बीच हुई थी, जो कि एक कॉमर्शियल डील थी. नितिन गडकरी और उनके परिवार के नाम को विवाद में घसीटना गलत है, यह उन्हें बदनाम करने की कोशिश की है.
चेसिस नंबर और लाइसेंस प्लेट बदले
रिपोर्ट के अनुसार स्कैनिया ने इस डील में ट्रक मॉडल और चेसिस नंबर में घोटाला किया था. भारत की माइनिंग कंपनी को ट्रक बेचने के लिए चेसिस नंबर और लाइसेंस प्लेट बदलकर ट्रक का मॉडल बदल दिया. ये डील 11.8 मिलियन डॉलर की थी.
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले की जांच में पुलिस को शामिल नहीं किया गया है. कंपनी के अनुसार ये साबित करने के लिए प्रमाण है कि गड़बड़ी की गई थी लेकिन इतने मजबूत सबूत नहीं हैं ये पुलिस केस तैयार किया जा सके.