बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत अब तक तीन चौथाई मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं. वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग द्वारा पुनरीक्षण में आधार कार्ड को दस्तावेजों की सूची से बाहर करने का विरोध जताया है.
हर किसी से दस्तावेज मांगना कहां तक सही? — सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस का चुनाव आयोग पर तीखा सवाल
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया ने सुनवाई के दौरान बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के पहले विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए मांगे गए दस्तावेजों की सूची पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. उन्होंने कहा, 'इस देश में जहां लोगों के पास बुनियादी दस्तावेज नहीं हैं, हर किसी से सारे काग़ज़ात कैसे मांगे जा सकते हैं? मेरे पास भी जन्म प्रमाणपत्र नहीं है'.
चुनाव आयोग किन दस्तावेजों की मांग कर रहा है?
चुनाव आयोग द्वारा जारी फॉर्म में 'संकेतात्मक लेकिन पूर्ण नहीं' सूची शामिल की गई है. इसका उद्देश्य है कि व्यक्ति की जन्मतिथि, जन्मस्थान और निवास स्थान को प्रमाणित करना है.
इस फॉर्म पर पहले से ही मतदाता EPIC नंबर (वोटर ID) प्रिंट होता है, और इसके अलावा आधार नंबर दर्ज करने के लिए भी अलग से स्थान दिया गया है.
इससे साफ होता है कि आधार और वोटर ID को पहचान के जरूरी दस्तावेज माना तो जा रहा है, लेकिन फिर भी लोगों से अतिरिक्त दस्तावेज मांगे जा रहे हैं.
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सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वरिष्ठ वकीलों ने दलील दी कि चुनाव आयोग द्वारा अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग से गरीब और दूर-दराज के इलाके में रहने वाले लोगों, प्रवासी मजदूरों और उन लोगों के लिए खतरा हो सकता है, जिन्होंने हाल के सालों में बाढ़ की वजह से सब कुछ अपना खो दिया हो.
स्वच्छ मतदाता सूची लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी — चुनाव आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग का पक्ष है कि मतदाता सूची को स्वच्छ बनाने और लोकतंत्र की मजबूती के लिए बिहार में वोटर वेरिफ़िकेशन करना अनिवार्य है. असली मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेज़ ज़रूरी हैं.
अब तक तीन चौथाई मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा किया
बिहार में अब तक अब तक तीन चौथाई मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिया है. यानी प्रत्येक 4 मतदाताओं में से 3 ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं. निर्वाचन आयोग के मुताबिक अब तक 74.39 प्रतिशत गणना फॉर्म एकत्र किए गए हैं.
गणना फॉर्म जमा कराने की अंतिम तिथि से 14 दिन पहले बिहार के 7,89,69,844 यानी लगभग 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 74 प्रतिशत से अधिक मतदाता पहले ही अपने फॉर्म जमा करा चुके हैं. एसआईआर के दूसरे चरण में, बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं की सहायता कर रहे हैं. उनके भरे हुए गणना फॉर्म एकत्र कर रहे हैं. सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों के 38 जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचन अधिकारी (ईआरओ) और 963 सहायक निर्वाचन अधिकारियों (एईआरओ) सहित क्षेत्र स्तरीय पदाधिकारी एसआईआर की प्रगति की नियमित निगरानी कर रहे हैं.
गणना फॉर्म का डिजिटलीकरण और अपलोडिंग सुचारू रूप से चल रहा है. एसआईआर दिशानिर्देशों के पैरा 3(एच) के अनुरूप, बीएलओ ने अब तक एकत्रित कुल गणना फॉर्मों में से 3.73 करोड़ गणना फॉर्मों को बीएलओ ऐप/ईसीआईनेट के माध्यम से सफलतापूर्वक डिजिटलीकृत और अपलोड किया है। आज, एईआरओ/ईआरओ द्वारा अपलोड किए गए फॉर्मों के सत्यापन के लिए ecinet ईसीआईनेट में एक नया मॉड्यूल लागू किया गया है.
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शुक्रवार शाम 6 बजे तक, 5,87,49,463 गणना फॉर्म, जो कुल फॉर्म का 74.39 प्रतिशत है जमा हो चुके हैं. आयोग से 24 जून, 2025 को एसआईआर निर्देश जारी होने के बाद से पिछले 17 दिनों में इतने फॉर्म एकत्र किए गए हैं. गणना फॉर्म 25 जुलाई, 2025 तक जमा किए जा सकते हैं.
इस अभियान में 77,895 बीएलओ, 20,603 नवनियुक्त बीएलओ और अन्य चुनाव अधिकारी इस कार्य को समय पर पूरा करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. 4 लाख से ज़्यादा स्वयंसेवक, सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.56 लाख बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) के साथ मिलकर बुजुर्गों, दिव्यांगजनों, बीमार और कमज़ोर आबादी की मदद कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप 74.39 प्रतिशत गणना फ़ॉर्म एकत्रित हो चुके हैं.