पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन सोमवार को 21वें दिन में प्रवेश कर गया. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और किसान संगठनों से एकता का आह्वान करते हुए 'बंटोगे तो लुटोगे' का नारा दिया. 70 वर्षीय जगमीत सिंह डल्लेवाल कैंसर पेशेंट हैं. वह फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की अन्य मांगों को लेकर 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं.
अंबाला, सोनीपत और हिसार सहित हरियाणा में कुछ स्थानों पर सोमवार को किसानों ने खनौरी और शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर मार्च निकाला और डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की. शंभू और खनौरी में चल रहे आंदोलन के तहत किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शनिवार को कहा था कि 18 दिसंबर को पंजाब में दोपहर 12 से 3 बजे तक 'रेल रोको' विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
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अपनी मांगों के समर्थन में एकजुट हों किसान संगठन: टिकैत
इस बीच, पिछले हफ्ते खनौरी बॉर्डर पर जगमीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात करने वाले राकेश टिकैत ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि किसान संगठनों को अपनी मांगों के समर्थन में एकजुट रहना होगा. उन्होंने नारा दिया 'बंटोगे तो लुटोगे, सबको इक्कठे रहना पड़ेगा'. सरवन सिंह पंढेर ने रविवार को कहा कि उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने के लिए पत्र लिखा है.
शंभू बॉर्डर पर रविवार को मीडिया को संबोधित करते हुए, सरवन सिंह पंढेर ने कहा, 'हमने उन भाइयों के लिए अपना हाथ बढ़ाया है जो दिल्ली आंदोलन-2 (दिल्ली चलो मार्च) में भाग नहीं ले सके. हमने उनसे (यूनियनों के बीच) जो भी मतभेद हैं, उन्हें किसानों और मजदूरों के हित में भूलने के लिए कहा है. हमने अपने भाइयों (एसकेएम) को एक पत्र लिखा है. हमें उनसे सकारात्मक संदेश की उम्मीद है.' भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से पंढेर के पत्र के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हम पिछले छह से दस महीनों से कह रहे हैं कि सभी को एक साथ बैठना चाहिए और बात करनी चाहिए.'
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सभी हाथ मिलाएंगे तब मिलेगा आंदोलन का परिणाम: टिकैत
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 'दिल्ली चलो मार्च' का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने इस साल 13 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च निकालना शुरू किया था, लेकिन पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर उन्हें सुरक्षाबलों ने रोक दिया था. तबसे किसान इन दोनों ही स्थानों पर धरना दे रहे हैं और दिल्ली आने के लिए कई बार विफल प्रयास कर चुके हैं. राकेश टिकैत का कहना है कि अलग-अलग किसान संगठनों, चाहे वे पंजाब के हों, राजस्थान के हों या यूपी के, 'दिल्ली चलो मार्च' तब तक परिणाम नहीं लाएगा जब तक वे सभी हाथ मिलाकर साथ नहीं बढ़ते.
जब उनसे पूछा गया कि उनके अनुसार, शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन क्या आकार ले रहा है, तो राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि यह केंद्र के लिए उपयुक्त है, क्योंकि विरोध आम आदमी पार्टी शासित पंजाब के अंदर हो रहा है और वहीं तक सीमित है. उन्होंने कहा कि किसानों की मांगें वही हैं, जो कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान थीं, जिनमें एमएसपी को कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू करना शामिल है. जब उनसे पूछा गया कि हरियाणा सरकार कहती है कि वह 24 फसलों पर एमएसपी दे रही है, तो राकेश टिकैत ने आरोप लगाया, 'भाजपा सरकार झूठ बोलने में माहिर है.'
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किसान संगठन मिलकर भविष्य की रणनीति तैयार करेंगे
केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए, राकेश टिकैत ने आरोप लगाया, 'यह सरकार पूंजीपतियों की समर्थक है, यह किसानों को कर्ज में फंसा देगी और उनकी जमीनें छीन लेगी.' राकेश टिकैत से पूछा गया कि क्या सभी किसान संगठनों, जिन्होंने निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान एसकेएम का गठन किया था, उनको किसानों के अधिकारों की लड़ाई प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए हाथ नहीं मिलाना चाहिए? तो उन्होंने कहा, 'हमने एक समिति बनाई है जो सभी किसान संगठनों के साथ संवाद करेगी. भविष्य की कार्रवाई पर एक रणनीति तैयार की जाएगी.'
इस बीच, भारतीय किसान नौजवान यूनियन के प्रति निष्ठा रखने वाले कार्यकर्ताओं ने सोनीपत और पानीपत जिले में ट्रैक्टर मार्च निकाला. उन्होंने कहा कि डल्लेवाल खनौरी में आमरण अनशन पर बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. अंबाला शहर में किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला, इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और उसका पुतला फूंका. हिसार और उसके आसपास के इलाकों से काफी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर लेकर रामायण टोल प्लाजा पहुंचे और वहां से हांसी के लिए रवाना हो गए. यह मार्च एसकेएम (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर निकाला गया. उन्होंने कहा कि केंद्र को फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत किसानों की अन्य सभी मांगें भी माननी चाहिए.