दिल्ली में NCP (SP) प्रमुख शरद पवार के 85वें जन्मदिन पर आयोजित डिनर पार्टी की सियासी गलियारों में खूब चर्चा है. वजह यह कि इस पार्टी में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और उद्योगपति गौतम अडानी एक ही कमरे में आमने-सामने मौजूद थे. हालांकि, इस फ्रेम की अब तक कोई तस्वीर सामने नहीं आई. और शायद यही इस मुलाकात का सबसे अहम राजनीतिक संदेश भी है.
शरद पवार 12 दिसंबर को 85 साल के हो गए. इस मौके पर दिल्ली में उनकी बेटी और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले की ओर से एक डिनर पार्टी आयोजित की गई. इस पार्टी में सत्ता और विपक्ष... दोनों खेमों के नेता, केंद्रीय मंत्री, सांसद और बड़े उद्योगपति शामिल हुए.
एक ही कमरे में आमने-सामने थे राहुल गांधी और अडानी
वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई के मुताबिक, इस डिनर की सबसे खास बात यह रही कि पहली बार राहुल गांधी और गौतम अडानी एक ही कमरे में आमने-सामने मौजूद थे. राजदीप ने लल्लनटॉप के वीकली शो ‘नेतानगरी’ में बताया कि राहुल गांधी और गौतम अडानी आमने-सामने देखे गए. हालांकि, वहां मौजूद किसी भी व्यक्ति ने इस पल की तस्वीर नहीं ली.
'ताकि कोई तस्वीर ना ले सके...'
पत्रकार आदेश रावल के मुताबिक, यह भी चर्चा है कि दोनों के बीच औपचारिक रूप से हाथ मिलाया गया या नमस्ते हुई? इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं कर रहा है. दोनों लोग आमने-सामने आए. मुझे लगता है कि शायद हैंडशेक भी हुआ. आदेश रावल का कहना था कि उसी समय कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने स्थिति को भांपते हुए हस्तक्षेप किया, ताकि आसपास मौजूद कोई व्यक्ति तस्वीर ना ले सके.
'कांग्रेस के रुख में आई नरमी'
रावल का कहना था कि पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि गौतम अडानी को लेकर कांग्रेस का रुख नरम हुआ है. इस डिनर पार्टी में कांग्रेस शासित तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी शामिल हुए. जिनके राज्य में एक बार फिर गौतम अडानी ने निवेश किया है. पहले भी अडानी ने तेलंगाना में निवेश किया था, लेकिन तब राजनीतिक विवाद होने की वजह से निवेश वापस कर दिया गया था. रेवंत रेड्डी के आने से कुछ लोग वहां सरप्राइज भी हुए. मुझे ऐसा लग रहा है कि कुछ समीकरण बदले हैं. उसका यह नतीजा है.
पवार परिवार की पार्टी और सियासी समीकरण
राजदीप सरदेसाई के मुताबिक, सुप्रिया सुले हर साल शरद पवार के जन्मदिन पर पार्टी आयोजित करती हैं, जिसमें सभी दलों के नेता शामिल होते हैं. यहां तक कहा जाता है कि पवार फैमिली के व्यक्तिगत संबंध कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी के नेताओं से रहे हैं.
इस बार पार्टी की खासियत यह रही कि सिर्फ राजनेता ही नहीं, बल्कि उद्योगपति गौतम अडानी भी मौजूद थे. अडानी, शरद पवार के बगल में बैठे थे. उसी दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा वहां पहुंचे. इस तरह पूरा सियासी स्पेक्ट्रम एक ही फ्रेम में आ गया.
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राजदीप के मुताबिक, उन्होंने पहली बार राहुल गांधी और गौतम अडानी को आमने-सामने देखा. उन्होंने कहा कि आमतौर पर नेता उद्योगपतियों से पर्दे के पीछे मुलाकात करते हैं, कैमरे के सामने नहीं. लेकिन शरद पवार उन नेताओं में हैं, जिन्होंने कभी इस बात से इनकार नहीं किया कि गौतम अडानी से उनके अच्छे संबंध रहे हैं.
बीजेपी नेता भी थे मौजूद
इस डिनर पार्टी में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे भी मौजूद थे. दुबे अक्सर संसद में राहुल गांधी को घेरते नजर आते हैं. इस पार्टी में राहुल गांधी और निशिकांत दुबे की मुलाकात भी हुई.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, अनुराग ठाकुर, जयंत पांडा, जयंत चौधरी, नीरज शेखर और एनसीपी से बागवत करने वाले डिप्टी सीएम अजित पवार, पार्थ पवार और कभी शरद पवार के करीबी रहे प्रफुल्ल पटेल भी डिनर में शामिल हुए.
कुर्ता-पायजामा में देखे गए राहुल
दिलचस्प बात यह रही कि यह वही दिन था, जब संसद में राहुल गांधी और गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी. शाम को शरद पवार की पार्टी में राहुल गांधी कुर्ता-पायजामा पहने सहज अंदाज में नजर आए.
अडानी और पवार का पुराना रिश्ता
राजदीप सरदेसाई के मुताबिक, गौतम अडानी का नाम अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जोड़ा जाता है. लेकिन हकीकत यह है कि अडानी को बड़ा उद्योगपति बनाने में कई नेताओं की भूमिका रही है. राजदीप कहते हैं कि मैंने अपनी किताब में भी लिखा है कि गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने 1990 के दशक में अडानी को दिशा दी और मुंद्रा पोर्ट में निवेश के लिए प्रेरित किया. इसके बाद केशुभाई पटेल और शरद पवार का नाम भी अडानी के शुरुआती राजनीतिक संपर्कों में आता है.
राजदीप ने बताया कि जब उन्होंने खुद गौतम अडानी से पूछा था कि राजनीति में आपके दोस्त कौन हैं तो अडानी ने तुरंत शरद पवार का नाम लिया था.
अडानी ग्रुप पर हमलावर रहे हैं राहुल गांधी
दरअसल, राहुल गांधी पिछले कुछ वर्षों से अडानी ग्रुप पर लगातार हमलावर रहे हैं. 2024 में अमेरिकी जांच एजेंसी की ओर से अडानी ग्रुप पर सवाल उठाए जाने के बाद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर अडानी को बचाने का आरोप लगाया था. राहुल गांधी ने कहा था कि वे हर दिन इस मुद्दे को उठाएंगे और अडानी ग्रुप को मिले सभी सरकारी कामों की जांच होनी चाहिए. इसी दौरान कांग्रेस शासित राज्यों और कांग्रेस के सहयोगी दलों के राज्यों में अडानी ग्रुप के निवेश को लेकर पार्टी असहज स्थिति में आ गई थी.
जब 100 करोड़ के निवेश पर लेना पड़ा यूटर्न
तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बनने के बाद यंग इंडिया स्किल्स यूनिवर्सिटी के लिए अडानी ग्रुप ने 100 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी. इस पर सवाल उठने लगे कि जिस अडानी ग्रुप पर राहुल गांधी हमलावर हैं, उसी ग्रुप से कांग्रेस सरकार फंड क्यों ले रही है. इसके बाद मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने साफ किया कि राज्य सरकार अडानी ग्रुप से कोई फंड स्वीकार नहीं करेगी. तेलंगाना सरकार ने अडानी फाउंडेशन को पत्र लिखकर बताया था कि वो 100 करोड़ रुपए स्वीकार नहीं करेंगे. पत्र में कहा गया था कि अभी तक किसी भी दानदाता का फंड यूनिवर्सिटी के खाते में ट्रांसफर नहीं हुआ है और मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए अडानी ग्रुप से फंड ना लेने का फैसला किया गया है.
निवेश पर अब राजनीति अलग?
हालांकि राजनीतिक विवादों के बावजूद अडानी ग्रुप का तेलंगाना में निवेश जारी है. हाल ही में हुए तेलंगाना राइजिंग ग्लोबल समिट में बड़े उद्योगपतियों की मौजूदगी रही. इस समिट में डोनाल्ड ट्रंप की कंपनी से लेकर फिल्म अभिनेता सलमान खान तक शामिल हुए. इसी समिट में गौतम अडानी के बेटे करन अडानी ने तेलंगाना में 2500 करोड़ रुपए के निवेश का ऐलान किया. यह निवेश अगले तीन साल में हैदराबाद में ग्रीन डेटा सेंटर बनाने में किया जाएगा, जहां एआई और डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम होगा.