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कमाई में पंजाब और हरियाणा के किसान टॉप पर, फिर भी कृषि कानूनों के खिलाफ क्यों लड़ रहे लड़ाई? 

नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों का पिछले दो माह से आंदोलन चल रहा है. इस आंदोलन में बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा के किसान हैं. एक सर्वे के मुताबिक यहां के किसान कमाई के मामले में टॉप पर हैं, फिर भी आंदोलन में ये सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं. आखिर इसके पीछे की वजह क्या है...

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किसान आंदोलन (प्रतीकात्मक तस्वीर)
किसान आंदोलन (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कमाई में अव्वल पंजाब, हरियाणा के किसान 
  • पंजाब के महज 40 प्रतिश​​त किसान कर्जदार 

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाले पंजाब के किसानों की कमाई को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां सामने आ रही हैं. दिल्ली में उनका अंदाज देखकर सबको लगता है कि पंजाब के किसान देश के किसानों में सबसे ज्यादा साधन संपन्न हैं. पंजाब के अलावा पड़ोसी राज्य हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को लेकर एक धारणा यह भी है कि यह किसान सिर्फ एमएसपी को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि इनके ठाट-बाट सिर्फ एमएसपी की वजह से हैं. कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों की संख्या देश के कुल किसानों का सिर्फ 6 फीसदी है और प्रदर्शन इसलिए भी किया जा रहा है, ताकि एमएसपी सुविधा का फायदा देश के बाकी राज्यों के किसान ना उठा सकें.


राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक पंजाब के किसानों की प्रति व्यक्ति मासिक आय 4,449 रुपए है, जबकि गैर कृषि क्षेत्र से जुड़े सामान्य व्यक्ति की आय 21,900 रुपए प्रति व्यक्ति है. यह राष्ट्रीय औसत 11,677 रुपए से लगभग दुगनी है.

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) द्वारा 2016-17 में किए गए अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों की कमाई देश के अन्य किसानों की तुलना में सबसे ज्यादा है. पंजाब में 42 प्रतिशत लोग कृषि और 58 प्रतिशत गैर कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं. पंजाब के 14 प्रतिशत हाउसहोल्ड ने कृषि भूमि पट्टे पर ली है, जबकि 4 प्रतिशत लोगों ने जमीन पट्टे पर दी है.

इस सर्वेक्षण के मुताबिक पंजाब में प्रति व्यक्ति ( सामान्य हॉउस होल्ड) औसतन मासिक आमदनी 16,020  रुपये है, जो देश में सबसे ज्यादा है. पंजाब के बाद केरल का स्थान आता है, जहां की औसतन मासिक आय 15,130 रुपए है. औसतन मासिक आमदनी के लिहाज से हरियाणा तीसरे स्थान पर है, जहां प्रति व्यक्ति औसतन आय 12,072 रुपये है. मासिक आमदनी के हिसाब से छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश चौथे नंबर पर है जहां औसतन मासिक कमाई 11,702 रुपए है.

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नाबार्ड के सर्वेक्षण के मुताबिक देश की औसतन कृषि घरेलू मासिक कमाई 8,931 रुपए है, जबकि पंजाब की औसतन मासिक कमाई 23,133 रुपए है, जो देश में सबसे ज्यादा है. पंजाब के बाद हरियाणा का स्थान आता है जहां औसतन कमाई 18,496 रुपए है. कमाई के लिहाज से गुजरात और हिमाचल प्रदेश क्रमश तीसरे और चौथे स्थान पर आते हैं. गुजरात और हिमाचल के किसानों की औसतन मासिक कमाई क्रमशः 11,899 और 11,828 रुपए है. उत्तर प्रदेश के किसानों की औसतन मासिक कमाई 6,668 रुपए है, जो देश में सबसे कम है.

इसके अलावा एनएसएसओ द्वारा कुछ साल पहले किये गए एक सर्वे के मुताबिक भी पंजाब के किसानों की औसतन मासिक आय  18,059 रुपए थी जो देश में सबसे ज्यादा है. हरियाणा के किसानों की औसत मासिक कमाई 14,434 रुपए थी, जो दूसरे नंबर पर रही. अगर बैंकों में पैसा जमा करने की बात करें तो पंजाब का किसान औसतन साल में 90,103 रुपए बैंक में जमा करता है, जो सबसे ज्यादा है. उसके बाद हरियाणा के किसानों का स्थान आता है जो 74,986 रुपए औसतन बैंक में जमा करते हैं.


कर्ज लेने में सबसे पीछे पंजाब 
वहीं कर्ज लेने की बात करें, तो तेलंगाना के किसान सबसे आगे हैं. यहां के 79 प्रतिशत किसानों ने कर्ज उठाया हुआ है. दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश के किसान आते हैं जहां 76 ​प्रतिशत किसान कर्जदार हैं. उसके बाद कर्नाटक के  75 प्रतिशत किसान कर्जदार हैं. कर्ज के हिसाब से पंजाब 13वें में नंबर पर आता है, यहां के सिर्फ 40 प्रतिशत किसान कर्जदार हैं. अगर बात करें गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की तो देश की औसतन 21.92 प्रतिशत जनता गरीबी की रेखा से नीचे गुजर बसर कर रही है. पंजाब के सिर्फ 8.26 प्रतिशत और हरियाणा के 11.16 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहे हैं.

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फिर क्यों कर रहे विरोध 
कृषि क्षेत्र की औसतन कमाई हो या फिर गैर कृषि क्षेत्र की. पंजाब और हरियाणा के लोगों की मासिक कमाई सबसे ज्यादा है. यह लोग बैंकों में भी सबसे ज्यादा पैसा जमा करते हैं और अन्य राज्यों की तुलना में इन दो राज्यों के किसानों ने कम कर्ज उठाया है. बावजूद इसके दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे ज्यादातर किसान इन्हीं दोनों राज्यों से ताल्लुक रखते हैं. आखिर क्यों? क्या किसानों को कुछ ताकतें भड़काने का काम कर रही हैं. आखिर क्यों किसान कृषि कानूनों के खिलाफ बिगुल बजा रहे हैं? कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक पंजाब के किसानों की कमाई पिछले तीन दशकों से या तो स्थिर है या फिर गिर रही है. कृषि उत्पादन में आने वाली लागत कमाई से कहीं ज्यादा है. इसलिए किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुविधा खोने से डर रहे हैं, क्योंकि यह सुविधा नहीं होगी तो खुले बाजार की कीमतें फसल का खर्चा भी पूरा नहीं कर पाएंगी. यही कारण है कि अपनी रोजी रोटी के लिए एमएसपी पर निर्भर कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसान ज्यादा संख्या में धरने प्रदर्शन कर रहे हैं.

वहीं प्रदर्शन के लिए कुछ विशेषज्ञ जो एक और बड़ा कारण गिना रहे हैं वह है परंपरागत मंडियों में कमीशन एजेंटों, ट्रांसपोर्टरों और भ्रष्ट कर्मचारियों का गठजोड़. ये लोग खुद को किसानों का हितैषी बताकर न केवल किसान संगठनों को आर्थिक मदद दे रहे हैं, बल्कि उनको उकसा भी रहे हैं. प्रदर्शनों की आग भड़काने के लिए खालिस्तानी संगठनों जैसी देश विरोधी  ताकतें भी जिम्मेदार हैं. काफी हद तक विपक्षी पार्टियां भी किसानों को भड़काने में कामयाब हुई हैं,  क्योंकि वह 2022 में पंजाब में होने वाले विधानसभा  चुनावों में इस मुद्दे को भुनाना चाहती हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदर्शन कर रहे किसानों में नए कृषि कानूनों के बारे में जानकारी का अभाव है. अगर सरकार पहले ही किसानों को इन कानूनों की जानकारी देती, तो प्रदर्शन इतना लम्बा और उग्र न होता.  

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