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पुलिस स्मृति दिवस पर राजनाथ ने शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि, बोले- एक-दूसरे पर निर्भर है समाज और पुलिस

पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर चाणक्यपुरी स्थित पुलिस मेमोरियल में आयोजित अलंकरण समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा, 'ये दिन न केवल पुलिस बलों, बल्कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), सीमा सुरक्षा बल (BSF) और अन्य अर्धसैनिक बलों के उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का भी दिन है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में अपने जीवन को न्यौछावर कर दिया.'

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सेना और पुलिस मिशन एक- राष्ट्र की सुरक्षा. (photo: ITG)
सेना और पुलिस मिशन एक- राष्ट्र की सुरक्षा. (photo: ITG)

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर देश की सुरक्षा में बलिदान देने वाले जवानों को यादकर श्रद्धांजलि अपर्ति की.

इस मौके पर जवानों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, पुलिस स्मृति दिवस देश की सुरक्षा में अपने आप को समर्पित कर देने वाले हमारे पुलिस, और सभी अर्धसैनिक बलों के जवानों के त्याग को याद करने का दिन है. मैं भारत के नागरिकों की सुरक्षा में अपने प्राणों को आहूत कर देने वाले सुरक्षा बलों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

'एक-दूसरे पर निर्भर हैं पुलिस और समाज'

उन्होंने कहा, 'समाज और पुलिस दोनों एक-दूसरे पर समान रूप से निर्भर हैं. कोई भी समाज तभी शांति और प्रगति की ओर बढ़ सकता है, जब उसके अंदर सुरक्षा-न्याय और विश्वास की भावना सुदृढ़ हो. पुलिस व्यवस्था तभी प्रभावी रूप से काम कर सकती है, जब समाज के नागरिक पुलिस के सहयोगी के रूप में काम करते हैं और कानून का सम्मान करते हैं. जब समाज और पुलिस के बीच संबंध आपसी समझ और जिम्मेदारी पर होते हैं. तब समाज और पुलिसबल दोनों समृद्ध होते हैं.'

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इसलिए ये बहुत जरूरी है कि दोनों के बीच एक संतुलित साझेदारी बनी रहे, जहां पुलिस संरक्षक की भूमिका निभाए और समाज उत्तरदायी नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभाए, ताकि सुरक्षा-व्यवस्था और मजबूत हो सके.

'मिशन एक- राष्ट्र की रक्षा'

रक्षा मंत्री ने दावा किया कि अगर सेना देश की रक्षा करती है तो पुलिस समाज की रक्षा करती है. सेना भारत की भौगोलिक अखंडता की रक्षा करती है तो पुलिस भारत की सामाजिक अखंडता की रक्षा करती है. सेना हो या पुलिस, ये दोनों ही देश की सुरक्षा के अलग-अलग स्तंभ हैं. इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि दुश्मन कोई भी हो, चाहे सीमा पार से आए, या हमारे बीच छिपा हो जो भी व्यक्ति भारत की सुरक्षा के लिए खड़ा है, वह एक ही आत्मा का प्रतिनिधि है. सेना और पुलिस में बस मंच अलग है, लेकिन इनका मिशन एक ही है, राष्ट्र की रक्षा .

उन्होंने कहा कि आज पुलिस को सिर्फ़ अपराध से नहीं, बल्कि धारणा से भी लड़ना पड़ रहा है. एक तरफ अपराध रोकना कानून की मांग है तो दूसरी तरफ समाज में भरोसा बनाए रखना एक नैतिक जिम्मेदारी है. ये अच्छी बात है कि हमारी पुलिस अपनी ऑफिशियल ड्यूटी के साथ-साथ नैतिक जिम्मेदारी को भी बहुत अच्छे से निभा रही है.

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'देश के नागरिकों को है भरोसा'

रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर लोग रात को चैन से सो पाते हैं तो इसलिए कि उन्हें विश्वास होता है कि सीमा पर सेना है और गली-मोहल्ले में पुलिस मुस्तैद है. ये विश्वास ही सुरक्षा की सबसे बड़ी परिभाषा है. ये विश्वास ही देश की स्थिरता की पहली शर्त है. आज देश के नागरिकों को भरोसा है, अगर मेरे साथ कुछ गलत हुआ तो पुलिस खड़ी होगी. ये जो भरोसा है, यही हमारे देश की स्थिरता की नींव है.

नहीं रहेगा नक्सलवाद का नामोनिशान: रक्षा मंत्री

उन्होंने नक्सलवाद का जिक्र करते हुए कहा, 'एक लंबे वक्त तक नक्सलवाद हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए समस्या बना रहा. एक वक्त था जब छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के कई जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे. गांवों में स्कूल बंद थे, सड़कें नहीं थीं और लोग भय में जीते थे. पर हमने ठान लिया कि इस समस्या को आगे नहीं बढ़ने देंगे. हमारी पुलिस, CRPF, BSF और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर जिस तरह संगठित तरीके से काम किया वह काबिल-ए-तारीफ है.'

पिछले कई वर्षों के हमारे सम्मिलित प्रयास, फलीभूत हो रहे हैं. पूरे देश को अब यह भरोसा हो गया है, कि अगले वर्ष तक इस समस्या का नामोनिशान नहीं रहेगा.

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आज पुलिस के पास हैं आधुनिक सिस्टम

उन्होंने ये भी कहा कि एक सरकार के रूप में हमने सिर्फ देश की सुरक्षा पर ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा में लगे हुए अपने पुलिस बलों पर भी ध्यान दिया है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने, पुलिस के हमारे साथियों की स्मृति को जीवंत रखने के लिए, उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए 2018 में नेशनल पुलिस मेमोरियल की भी स्थापना की.

इसके अलावा हमने पुलिस को अत्याधुनिक हथियारों के साथ-साथ बेहतर सुविधाएं भी दी हैं. पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए राज्यों को भी पर्याप्त संसाधन दिए जा रहे हैं. आज हमारे पुलिस बलों के पास सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन, फॉरेंसिक लैब और डिजिटल पुलिसिंग जैसे आधुनिक संसाधन हैं.

रक्षा मंत्री ने अंत में कहा कि सशक्त पुलिस ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकती है और यही हमारा ध्येय होना चाहिए.

बहादुर पुलिसकर्मियों ने दी अपने प्राणों की आहुति

दरअसल, 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में भारी हथियारों से लैस चीनी सैनिकों द्वारा किए गए घात में दस बहादुर पुलिसकर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. तब से हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है. पुलिसकर्मियों के बलिदान और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अखंडता की रक्षा में उनकी सर्वोच्च भूमिका के सम्मान में प्रधानमंत्री ने पुलिस स्मृति दिवस 2018 पर नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक (एनपीएम) राष्ट्र को समर्पित किया.

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ये स्मारक पुलिस बलों को राष्ट्रीय पहचान, गौरव, उद्देश्य की एकता, साझा इतिहास और नियति का बोध कराता है. साथ ही अपने प्राणों की आहुति देकर भी राष्ट्र की रक्षा करने की उनकी प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है.

स्मारक में एक केंद्रीय मूर्ति, 'वीरता की दीवार' और एक संग्रहालय शामिल है. ये केंद्रीय मूर्ति जो 30 फुट ऊंची ग्रेनाइट की एकाश्म प्रतिमा है, पुलिस कर्मियों की शक्ति, लचीलेपन और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है.

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