scorecardresearch
 

PM मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा... पहले ताबड़तोड़ बैठक, फिर सामने आया जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की तैयारी का प्लान

जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ा मामला 14 मार्च 2025 की रात उस समय सुर्खियों में आया, जब दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई और उसके बाद वहां कई बोरियों में भरी नकदी देखी गई. इसमें कुछ जल चुकी थी. 22 मार्च को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेठी गठित की.

Advertisement
X
कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा. (PTI Photo)
कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा. (PTI Photo)

जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ संसद के अगले सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है और राजनीतिक सहमति बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं. मंगलवार का दिन राष्ट्रीय राजधानी में हलचल भरा रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा के बीच अलग-अलग बैठकें हुईं और लंबा मंथन चला. बाद में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ भी मंथन हुआ.

दरअसल, जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ा मामला 14 मार्च 2025 की रात उस समय सुर्खियों में आया, जब दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई और उसके बाद वहां कई बोरियों में भरी नकदी देखी गई. इसमें कुछ जल चुकी थी. 22 मार्च को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेठी गठित की. इसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के जज अनु शिवरामन शामिल थे. जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन CJI ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री चिट्ठी लिखी थी.

मंगलवार को दिनभर रही दिल्ली में हलचल

उसके बाद महाभियोग प्रस्ताव लाए जाने की तैयारी पर चर्चा तेज हो गई. इस बीच, मंगलवार को सबसे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात की. दोनों के बीच काफी देर तक बात हुई. उसके बाद अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी विशेष बैठक की. शाम होते-होते खबर आई कि अगले संसद सत्र में जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जाएगा. इस दरम्यान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी अमित शाह से मिलने पहुंचे. नड्डा, राज्यसभा में सदन के नेता भी हैं. बाद में दोनों नेता राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से भी मिले.

Advertisement

किरेन रिजिजू भी एक्टिव

सरकारी सूत्रों के अनुसार, संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत शुरू कर दी है ताकि प्रस्ताव को सर्वदलीय समर्थन मिल सके. यह कदम उस रिपोर्ट के बाद उठाया गया है जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन-सदस्यीय जांच समिति ने दी थी और जिसमें जज वर्मा की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं.

कमेटी ने 4 मई को सौंपी थी जांच रिपोर्ट

कमेटी ने 43 दिन जांच के बाद 4 मई को अपनी रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी. लेकिन अब तक उसकी आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 मार्च को जस्टिस वर्मा से सभी न्यायिक कार्य वापस ले लिए. बाद में उन्हें उनके मूल कैडर इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया. जस्टिस वर्मा ने आरोपों को सिरे से खारिज किया और इसे एक साजिश बताया है. उन्होंने नकदी से अनभिज्ञता जताई थी.

सीजेआई ने राष्ट्रपति और PM को भेजी चिट्ठी...

इस बीच, सीजेआई ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी. चिट्ठी में तीन सदस्यीय कमेटी की 3 मई की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा से प्राप्त 6 मई के पत्र/प्रतिक्रिया की प्रति संलग्न की गई है. माना जा रहा है कि सीजेआई ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है, जो उच्च न्यायपालिका के सदस्यों को सेवा से हटाने की प्रक्रिया है. 

Advertisement

पहले इस्तीफे की सलाह, फिर महाभियोग की सिफारिश

प्रक्रिया के तहत आरोपों से घिरे जज को पहले इस्तीफा देने की सलाह दी जाती है. अगर सलाह का पालन नहीं किया जाता है तो राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से महाभियोग चलाने के लिए सिफारिश की जाती है. सरकारी सूत्रों के अनुसार, चूंकि यह मामला संसद के समक्ष है. कार्यपालिका और संसद न्यायमूर्ति वर्मा के महाभियोग पर फैसला करेगी. यदि केंद्र सरकार चाहती है तो वो जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर सकती है, जो एक संवैधानिक प्रक्रिया है. 

सूत्रों ने बताया कि संसद का मानसून सत्र जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू होने की उम्मीद है. प्रस्ताव को लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में लाया जाना होगा और पारित होने के लिए दोनों सदनों के दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा.

कब स्वीकार होगा प्रस्ताव?

राज्यसभा में कम से कम 50 और लोकसभा में 100 सांसदों के हस्ताक्षर के बाद ही यह प्रस्ताव अध्यक्ष द्वारा स्वीकार किया जा सकता है. इसे आमतौर पर कानून मंत्री ही प्रस्तुत करते हैं. इस बार सरकार विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कोशिश करेगी ताकि न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत और एकजुट संदेश दिया जा सके.

महाभियोग प्रस्ताव पहले एक सदन में पेश होता है, और वहीं से पारित होने के बाद दूसरे सदन में रखा जाता है. अब तक संसद में केवल दो बार ऐसे प्रस्ताव लाए गए हैं. पहली बार 1993 में सुप्रीम कोर्ट के जज वी. रामास्वामी के खिलाफ लाया गया, लेकिन पर्याप्त समर्थन ना मिलने से वह प्रस्ताव विफल रहा. दूसरी बार 2011 में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव पारित हुआ, लेकिन उन्होंने इससे पहले ही इस्तीफा दे दिया था.

Advertisement

पिछले संसद सत्र में विपक्ष ने यशवंत वर्मा के मामले में कार्रवाई की मांग जोर-शोर से उठाई थी, लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट आने तक कोई कदम नहीं उठाया. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement