प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुजरात के गांधीनगर में अखिल भारतीय शिक्षा संघ के अधिवेशन को संबोधित किया. पीएम मोदी ने शिक्षक संघ के अधिवेशन को संबोधित करते हुए गुरु-शिष्य संबंधों की चर्चा की और शिक्षकों के साथ अपने संबंधों का भी जिक्र किया. पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात में शिक्षकों के साथ मेरे जो अनुभव रहे, उसने राष्ट्रीय स्तर पर भी नीतियां बनाने में हमारी काफी मदद की है.
पीएम मोदी ने कहा कि स्कूल में शौचालय न होने के कारण बड़ी संख्या में बेटियां स्कूल छोड़ देती थीं. इसलिए हमने अभियान चलाकर स्कूल में बेटियों के लिए अलग से शौचालय बनवाए. उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी के छात्रों की जिज्ञासा, उनका कौतूहल एक नया चैलेंज लेकर आया है. पीएम मोदी ने कहा कि ये छात्र आत्मविश्वास से भरे हैं, निडर हैं. ऐसे छात्रों का स्वभाव शिक्षकों के लिए शिक्षकों के सामने पारंपरिक तौर-तरीकों से बाहर निकलने की चुनौती भी लेकर आया है.
उन्होंने कहा कि छात्रों के पास सूचना के अलग-अलग स्रोत हैं जिसकी वजह से शिक्षकों के सामने भी खुद को अपडेट रखने की चुनौती आई है. पीएम मोदी ने कहा कि इन चुनौतियों से एक शिक्षक कैसे निपटता है, इस पर हमारी शिक्षा व्यवस्था का भविष्य निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा तरीका ये है कि इन चुनौतियों को पर्सनल और प्रोफेशनल ग्रोथ के अवसर पर देखा जाए. ये चुनौतियां हमें लर्न, अनलर्न और री-लर्न करने का मौका देती हैं.
टेक्नोलॉजी से इंफॉर्मेशन मिल सकती है, दृष्टिकोण नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग की भी चर्चा की और कहा कि इससे इंफॉर्मेशन मिल सकती है लेकिन सही दृष्टिकोण नहीं. उन्होंने कहा कि सिर्फ एक गुरु ही बच्चों को ये समझने में मदद कर सकता है कि कौन सी जानकारी उपयोगी है और कौन सी नहीं. पीएम मोदी ने ये भी कहा कि छोटे बच्चों के लिए टीचर, परिवार से बाहर वो पहला व्यक्ति होता है, जिसके साथ वो सबसे ज्यादा समय बिताते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि आप सभी में इस दायित्व का एहसास आने वाली पीढ़ियों को बहुत मजबूत करेगा. पीएम मोदी ने कहा कि आप सोचते होंगे कि आप गणित, विज्ञान या कोई अन्य विषय पढ़ा रहे हैं. लेकिन छात्र आपसे केवल वही विषय नहीं सीख रहा. वो ये भी सीख रहा है कि अपनी बात कैसे रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि छात्र आपसे धैर्य रखने, दूसरे की मदद करने जैसे गुण भी सीख रहा है.
आधुनिक जरूरतों के मुताबिक नई व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहे
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत 21वीं सदी की आधुनिक जरूरतों के मुताबिक नई व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहा है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी इसी का ध्यान रखते हुए बनाई गई है. उन्होंने कहा कि हम इतने साल से स्कूली शिक्षा के नाम पर अपने बच्चों को केवल कितानी ज्ञान दे रहे थे. पीएम मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति उस पुरानी अप्रासंगिक व्यवस्था को बदल रही है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रैक्टिकल पर आधारित है.
उन्होंने ये भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा में शिक्षण को बढ़ावा देती है. पीएम मोदी ने शिक्षक और शिष्य के बीच बढ़ती दूरियों का भी जिक्र किया और कहा कि हमें खेल के क्षेत्र से सीख लेनी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि आज हमें ऐसा माहौल बनाने की भी जरूरत है जिसमें लोग शिक्ष बनने के लिए स्वेच्छा से आगे आएं. पीएम मोदी ने कहा कि हर स्कूल का स्थापना दिवस मनाने की परंपरा शुरू करनी चाहिए और पुराने छात्रों को भी बुलाया जाना चाहिए. इससे स्कूल और छात्र की दूरी खत्म होगी.