भारत में तेजी से ग्रोथ कर रहा ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर संभावित गंभीर संकट के साथ खत्म होने की कगार पर है, क्योंकि केंद्र सरकार संसद में ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक 2025 पेश करने की तैयारी कर रही है. वहीं, बड़ी गेमिंग कंपनियों ने तर्क दिया है कि अगर सरकार विधेयक लाकर प्रतिबंध लगाती है तो इस सेक्टर में 2 लाख नौकरियां जा सकती और इससे सरकार के राजस्व पर भी असर पड़ेगा.
सूत्रों के अनुसार, इस मसौदा विधेयक में कौशल या भाग्य पर आधारित सभी पैसे वाले ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाने प्रस्ताव है. विधेयक में ऐसे गेम्स की पेशकश और विज्ञापन पर रोक लगाने के साथ-साथ बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इससे संबंधित किसी भी ट्रांजेक्शन को रोकने की बात कही गई है.
इन कंपनियों पर पड़ेगा सीधा असर
इस विधेयक से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली कंपनियों में ड्रीम11, गेम्स24x7, विंज़ो, गेम्सक्राफ्ट, 99गेम्स, खेलोफैंटेसी और माय11सर्कल जैसी मार्केट लीडर शामिल हैं. इन कंपनियों ने मिलकर देश के सबसे गतिशील उपभोक्ता-तकनीकी सेक्टर में से एक को विकसित किया, जिसमें हजारों लोगों को रोजगार मिला और बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश मिला.
वहीं, इन कंपनियों के अधिकारियों ने अभी तक विधेयक पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि ये लोग विधेयक के पेश होने का इंतजार कर रहे हैं.
जा सकती हैं 2 लाख जॉब: रिपोर्ट
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में 2 लाख से ज्यादा पेशेवरों को इंजीनियरिंग, उत्पाद विकास, मार्केटिंग और संचालन जैसे उच्च कौशल वाले क्षेत्रों में रोजगार दिया हुआ है. हाल के सालों में 400 से ज्यादा स्टार्टअप्स इस सेक्टर में एंटर कर चुके हैं, जिन्होंने लगभग 25,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया है.
इस स्थिति को देखते हुए विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि सरकार द्वारा एक व्यापक प्रतिबंध से ना केवल बड़े पैमाने पर नौकरियां जाएंगी, बल्कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेशकों का विश्वास भी डगमगा सकता है.
सरकार के राजस्व पर भी पड़ेगा असर
विश्लेषकों का ये भी कहना है कि सरकार पर भी इसका वित्तीय असर पड़ेगा. गेमिंग सेक्टर वर्तमान में हर साल लगभग 20,000 करोड़ रुपये का कर राजस्व देता है. ऐसे वक्त में जब अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है और राजस्व पर दबाव है, आलोचकों का सवाल है कि क्या सरकार इस तरह के राजस्व को खोने का जोखिम उठा सकती है.
दूसरे सेक्टर पर भी पड़ेगा फर्क
गेमिंग सेक्टर पर प्रतिबंध दूसरे स्तर पर असर डालेंगे, क्योंकि गेमिंग प्लेटफॉर्म विज्ञापन, मीडिया और तकनीकी सेवाओं पर सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में से हैं, जिनका सालाना खर्च लगभग 6,000 करोड़ रुपये है. इस क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने से इन संबद्ध उद्योगों पर भी गहरा असर पड़ेगा.
इसके अलावा यूजर सुरक्षा भी चिंता का विषय बनी हुई है. भारत में 45 करोड़ ऑनलाइन गेमर्स अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर संतुलन के साथ खेलते हैं. उद्योग जगत का तर्क है कि प्रतिबंध लगने से वे अनियमित विदेशी साइटों की ओर रुख कर सकते हैं जो भारतीय कानून के दायरे से बाहर हैं, जिससे धोखाधड़ी, हिंसक गतिविधियों और लत का खतरा बढ़ सकता है.