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नशे की गिरफ्त में नैनीताल, पुलिस के दावे हजार पर जिले में जारी है नशे का कारोबार

ड्रग तस्करों का नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए पुलिस पूरी ताकत लगा रही है. लगातार ड्रग तस्करों की गिरफ्तारियां हो रही हैं ड्रग तस्करों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई की जा रही है उनकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई भी पुलिस कर रही है. पुलिस प्रशासन के नशा मुक्ति अभियान के बावजूद नैनीताल जिले के हल्द्वानी रामनगर नैनीताल में नशे का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

निश्चित रूप से नशे का कारोबार और युवाओं में इसका बेतहाशा बढ़ता प्रचलन आज एक वैश्विक समस्या बन गयी है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है. पंजाब के उड़ता पंजाब बनने की कहानी तो खैर पुरानी हो चुकी है, फिलहाल आध्यात्मिकता, नैसर्गिक विविधता, जैवसम्पदा, पर्यटन, तथा यहां के रहवासियों के सीधे-सरल स्वभाव के चलते अपनी विशिष्ठ पहचान बना चुके उत्तराखंड राज्य के कई जिले भी इस वक्त नशे की गिरफ्त में हैं.

नैनीताल जिले में स्मैक और चरस के तस्करों पर पुलिस की कार्यवाही
वर्ष 2022 में नैनीताल जिले में चरस के कुल 27 मुकदमे दर्ज किए गए, 29 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया और 22.932 किलो चरस बरामद की गई. स्मैक जैसे घातक नशे की तस्करी के चलते 124 मुकदमे दर्ज किए गए, 176 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया और 4.558 किलोग्राम स्मैक बरामद की गई. वर्ष 2023 में नैनीताल जिले में अब तक चरस के 13 मामले दर्ज हुए हैं, 16 अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया है,  और 17.827 किलो चरस बरामद की गयी है. बीते 5 महीने में स्मैक से संबंधित 38 मुकदमे दर्ज हुए हैं , 95 अभियुक्त को गिरफ्तार किये जा चुके हैं और 1.677 किलो स्मैक बरामद की गई है.

जाहिर है गुमराह हो रही युवा पीढी के भविष्य को अंधकार में धकेलने का सामान फिलवक्त नैनीताल जिले में सहज सुलभ है. पुलिस की कथित रूप से बढ़ रही सख्ती और गाहे-बगाहे पकड़े जाने वाले पैडलर्स और छोटे-मोटे तस्करों की गिरफ्तारी के बावजूद इनके हौसले बुलंद हैं. मुख्यमंत्री ने प्रदेश को नशामुक्त बनाने का नारा देकर अपनी चिंता और सदाशयता को बेशक जाहिर किया है और पुलिस द्वारा भी यदा-कदा पकड़े गए तस्करों को मुख्यमंत्री के इस नारे की नज़र कर अपनी पीठ सहला ली जा रही है.

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छोटे-मोटे तस्करों और पैडलर्स के अपवाद को छोड़ कर किसी बड़े गैंग या किंगपिन की गिरफ्तारी कर इस धंधे की कमर तोड़ा जाना फिलहाल शेष है. यूपी से हल्द्वानी होते हुए मादक पदार्थों की तस्करी पहाड़ी इलाकों में बेखौफ जारी है. पर्वतीय इलाकों के युवाओं को स्मैक, चरस, हीरोइन, नशीली दवाओं, अफीम सहित तमाम नशीले इंजेक्शन की खेप बड़े से लेकर छोटे स्तर पर सुगमता के साथ उपलब्ध हो रही है. सूत्र बताते हैं कि इस कारोबार में शामिल कैरियर कोड वर्ड का प्रयोग करते हैं. नशे की गोलियां और कैप्सूल बादाम नाम से बेची जाती हैं. इंजेक्शन को सैट नाम दिया गया है. स्मैक का कोड वर्ड पाउडर है. तस्कर अपने नेटवर्क में आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को रुपयों का लालच देकर शामिल कर रहे हैं और अब तस्करी में महिलाओं का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है.

युवाओं में नशे की डिमांड बढ़ी है और नशे के सौदागर इसी चीज का फायदा उठा रहे हैं - नीलेश आनंद भरणे पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं

ड्रग तस्करों का नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए पुलिस पूरी ताकत लगा रही है. लगातार ड्रग तस्करों की गिरफ्तारियां हो रही हैं ड्रग तस्करों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई की जा रही है उनकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई भी पुलिस कर रही है.

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नीलेश आनंद भरणे
नीलेश आनंद भरणे


युवाओं में नशे की डिमांड बढ़ी है और नशे के सौदागर इसी चीज का फायदा उठा रहे हैं. स्मैक का नशा करने वालों की संख्या ज्यादा है. वह अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पर भी जोर देते हैं. बच्चों की कुछ गतिविधियां जैसे असमय उठना व सोना, व्यवहार में परिवर्तन, क्षणिक उत्तेजना या चिड़चिड़ापन, भूख न लगना वजन का कम होना, परिवार से दूरी बनाना, छोटी सी बात पर आग बबूला हो जाना,अपने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना इत्यादि कुछ ऐसे लक्षण है जो नशे की गिरफ्त में होने का संकेत हो सकती हैं.

हल्द्वानी में ड्रग ट्रैफिकिंग का बढ़ना कहीं ना कहीं व्यवस्थाओं की खामियों को दर्शाता है - जोगेंद्र सिंह रौतेला मेयर नगर निगम हल्द्वानी

हल्द्वानी में ड्रग ट्रैफिकिंग का बढ़ना कहीं ना कहीं व्यवस्थाओं की खामियों को दर्शाता है. खामियां हैं अगर खामियां को बंद करना चाहें तो पत्ता भी न हिले. खामियां कई है साफ स्वच्छ, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ प्रयास की आवश्यकता है तभी यह सफल होगा.

जोगेंद्र सिंह रौतेला
जोगेंद्र सिंह रौतेला


पुलिस प्रशासन को ड्रग तस्करों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, करते भी हैं. नैनीताल जिले में ड्रग तस्करों पर कार्रवाई होना और भारी बरामदगी होना पुलिस की अच्छी कार्रवाई को इंगित करता है पर इन ड्रग तस्करों का नेटवर्क की जड़ें बहुत गहरी हैं और इन को उखाड़ने के लिए हम सभी का संयुक्त प्रयास जरूरी है.

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भारी मात्रा में बाहर से ड्रग्स की सप्लाई हो रही है उसको रोकना होगा. ड्रग तस्करों के खिलाफ एक सख्त कानून होना चाहिए. ड्रग तस्करों को पकड़ने मात्र से यह रुकने वाला नहीं है. जितने भी लोग इस कारोबार में लिप्त हैं वह सभी सूचीबद्ध है लेकिन कहीं पर नियम और कई चीजें ताक पर रख दी जाती हैं. पुलिस प्रशासन को इस पर और सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए. जहां से ड्रग्स की आपूर्ति हो रही है उसको भी रोकना जरूरी है. ड्रग्स के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं और इसको रोकने के लिए सब का सामूहिक प्रयास जरूरी है समाज का अभिभावकों का स्कूलों का साथ ही पुलिस प्रशासन का.

सबसे चिंतनीय विषय है कि हमारे शहर की बेटियां इसकी गिरफ्त में - सुमित हृदेश विधायक हल्द्वानी
मैंने इस विषय को दो बार सदन के पटल से उठाया है और राज्य की सरकार से मांग की किसके लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया जाए. प्रदेश की सरकार सीपीयू के माध्यम से चालान करने में तो बहुत अव्वल नंबर पर रहती है लेकिन जो नशा हमारे आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है उस पर कोई कठोर कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है. हल्द्वानी में जो नशा दिख रहा है वह कहां पर बिक रहा है यह सबको पता है. नशा तस्करों को बहुत ही आसानी से न्यायालय से बेल मिल जाती है बड़ा ही सोचनीय विषय है. 

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सुमित हृदेश
सुमित हृदेश
नशे की गिरफ्त में बेटियां
नशे की गिरफ्त में बेटियां

टास्क फोर्स में पुलिस के सबसे ईमानदार अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्ति होनी चाहिए. पुलिस द्वारा की जाने वाली ड्रग्स तस्करों पर कार्यवाही में पारदर्शिता बहुत जरूरी है आम जनता का विश्वास पुलिस और कानून व्यवस्था पर से उठ चुका है और यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि जनता का भरोसा दोबारा हासिल करें. हल्द्वानी में स्कूलों के बच्चे ड्रग्स की गिरफ्त में आ रहे हैं और सबसे चिंतनीय विषय है कि हमारे शहर की बेटियां इसकी गिरफ्त में आ रही है. ड्रग्स के इस नेटवर्क को को खत्म करना बहुत जरूरी है और यह पुलिस और राज्य सरकार का काम है जिसमें वह अभी तक विफल रही है.

पुलिस द्वारा बरामद ड्रग्स की संपूर्ण बरामदगी को सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजा जाए और रिपोर्ट एक माह के भीतर सार्वजनिक हो - दुष्यंत मैनाली एडवोकेट हाई कोर्ट नैनीताल

हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली जो पूर्व में कई जनहित याचिकाएं उत्तराखंड हाईकोर्ट में दाखिल कर चुके हैं का कहना है कि 2018 में उन्होंने उत्तराखंड में फैलते नशे के कारोबार को देखते हुए एक जनहित याचिका उत्तराखंड हाई कोर्ट में दाखिल की थी जिसमें कुछ सख्त आदेश माननीय न्यायालय ने दिए थे जिनका पालन नहीं किया जा रहा है. अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली का बताते हैं कि वे जल्द ही एक जनहित याचिका की तैयारी कर रहे हैं जिसमें वह उच्च न्यायालय से अनुरोध करेंगे कि नशे की जो भी खेप उत्तराखंड में पुलिस द्वारा बरामद की जाती है उस संपूर्ण बरामदगी को सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजा जाए और रिपोर्ट एक माह के भीतर सार्वजनिक हो.

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दुष्यंत मैनाली
दुष्यंत मैनाली

उनका कहना है कि पुलिस जो बरामदगी करती है उसका एक छोटा सा भाग सैंपल टेस्ट के लिए भेजा जाता है. इसमें बहुत बड़े घालमेल की आशंका है. संभव है कि जो माल बरामद होता है उसका छोटा सा भाग सैंपल के लिए रख लिया जाए और बाकी बरामद माल में नींद की गोलियां या अन्य नशीले पाउडर आदि मिलाकर वाहवाही लूटने और सरकार से अपनी पीठ थपथपाने के लिए उसकी मात्रा बढ़ा ली जाए. संपूर्ण बरामद खेप की टेस्टिंग से पारदर्शिता रहेगी.

क्या है नशे की बड़ी वजह
बाज़ारवाद के चलते अभिभावकों की तेजी से बदलती जीवन शैली, संयुक्त परिवारों का टूटना तथा ट्यूशन, कोचिंग, ग्रुप आउटिंग इत्यादि के नाम पर किशोरों ओर युवाओं का बाहरी दुनिया से लगातार बढ़ता संपर्क कुछ ऐसे कारण हैं जो नशे के बढ़ते कारोबार के लिए माकूल ज़मीन उपलब्ध करा रहे हैं. ऐसे में निश्चित ही पुलिस प्रशासन से अधिक पेशेवर होने की अपेक्षा स्वाभाविक है. महज़ आंकड़ों की बाजीगरी से समस्या का समाधान संभव नहीं है. जिले में नशामुक्ति केंद्रों की संख्या पहले काफी कम है और जो नशा मुक्ति केंद्र है भी उनकी हालत किसी से छिपी नही है. इन केंद्रों से रोगियों  के भागने और आत्महत्या करने की खबरे आना आम है.

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पुलिस और प्रशासन के लिए यह आत्मनिरीक्षण का समय
जाहिर है पुलिस और प्रशासन के लिए यह आत्मनिरीक्षण का समय है. महज प्रचार के लिए की जाने वाली रैलियों और बयानबाजी से ड्रग तस्करों के हौसले टूटने वाले नहीं हैं. शुरुवात इस स्वीकारोक्ति के साथ किये जाने की जरूरत है की नशे का सामान पहाड़ों में बेरोकटोक आ रहा है, और तस्कर बेखौफ हो चुके हैं.

चरस का सीमित प्रचलन यहां पहले से मौजूद रहा है; इसके बीजों का उपयोग भी यहां मसाले के रूप में प्रचिलित है. हालिया दौर में इसके अवैध व्यापार से जुडी असीमित संभावनाओं ने दूर-दराज़ के इलाकों में बाकायदा इसकी खेती को खासा बढ़ावा दिया है. पुलिस और नारकोटिक्स विभाग द्वारा रस्मी तौर पर कभी कभार इसके पौधों को नष्ट भी किया जाता है. क्षेत्रीय प्रेस भी इन खबरों को प्रमुखता से कवर करता है. पर हकीकत है कि मध्य हिमालयी क्षेत्र में कहीं भी उग आने वाले कैनबिस सैटाइवा नाम की इस आक्रामक प्रजाति (इनवेसिव स्पीसीज)को नष्ट करना न तो व्यावहारिक है और न ही इसकी कोई ज़रूरत है. इसकी चिकित्सकीय उपयोगिता और ऊँची क़ीमत को देखते हुए सरकार को इसके प्रति अपनी परंपरागत सोच को त्याग कर नई नीति बनाने की जरूरत है.

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