संसद से पारित होने और राष्ट्रपति की मुहर के बाद वक्फ संशोधन विधेयक अब कानून बन चुका है. वक्फ कानून में संशोधन करने के मोदी सरकार के इस फैसले पर मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है. कुछ राज्यों में मुस्लिम संगठन नए वक्फ कानून का विरोध कर रहे हैं, तो कुछ संगठनों ने इसका समर्थन किया है. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए. यहां तक की प्रदर्शन के नाम पर नफरती भाषण दिए गए.
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के रामलीला मैदान में बुधवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इसकी अगुवाई संगठन के बंगाल प्रमुख सिद्दीकुल्ला चौधरी ने की, जो खुद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने वक्फ कानून के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया है और इस पर एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर लेने की पहल शुरू की है. इस प्रस्ताव को जमीयत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजेगा और उनसे वक्फ कानून को वापस लेने की मांग करेगा.
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वक्फ कानून के खिलाफ SC में 17 याचिकाएं
एक तरफ सड़कों पर वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है, वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी इसे चुनौती दी गई है. अब तक वक्फ कानून के खिलाफ 17 याचिकाएं सर्वोच्च अदालत में दाखिल हो चुकी हैं, जिनमें से 10 को सुचीबद्ध कर लिया गया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच 16 अप्रैल को इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. वक्फ कानून का विरोध करने वाले दावे कर रहे हैं कि यह मुस्लिम समाज के खिलाफ है और भारत के मुसलमान इस कानून को स्वीकार नहीं करेंगे. वहीं, इस कानून का विरोध करने वालों को मुस्लिम समाज के अंदर से ही चुनौती मिल रही है. इसे लेकर अब दो तरह की राय मुस्लिम समाज के अंदर से ही आ रही है. एक वो जो वक्फ कानून के खिलाफ है और एक वो जो वक्फ कानून के समर्थन में है.
भड़काने और उकसाने वालों से दूर रहें मुस्लिम
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने मुस्लिम समाज से भड़काने और उकसाने वालों से दूर रहने की नसीहत दी है. शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून गरीब व कमजोर मुसलमानों के हितों की रक्षा करता है. वक्फ जमीन से होने वाली आमदनी गरीब और पसमांदा मुसलमानों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने में लगाई जाएगी. उन्होंने कहा कि इस कानून से मस्जिदों, मदरसों, ईदगाहों, कब्रिस्तानों, दरगाहों को कोई खतरा नहीं है. इन धार्मिक स्थलों की स्थिति जैसी है वैसी ही रहेगी. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को कुछ राजनीतिक लोग अपने निहित स्वार्थ के लिए गुमराह कर रहे हैं. मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि वक्फ कानून से डरने की जरूरत नहीं है और न ही कोई उग्र धरना प्रदर्शन करने की आवश्यकता है. धरना प्रदर्शन करना हर नागरिक का अधिकार है, मगर राजनीतिक लोग मुसलमानों के जज्बात को भड़का कर अपने राजनीतिक लक्ष्य हासिल करते हैं. ऐसा ही सीएए के प्रकरण में हुआ था.
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी एक भारतीय इस्लामी विद्वान हैं. वह इतिहास पर लेखन कार्य भी करते हैं और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. मौलाना शहाबुद्दीन पिछले दस वर्षों से पसमांदा मुस्लिमों के मुद्दों पर काम कर रहे हैं. वह इस्लामिक रिसर्च सेंटर के संस्थापक और ऑल इंडिया तंजीम उलमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं और ऑल इंडिया जमात रजा-ए-मुस्तफा के महासचिव रह चुके हैं. उन्होंने इस्लामिक इतिहास, इस्लामिक विचारों और धर्मशास्त्र पर अंग्रेजी, उर्दू और हिंदी में पुस्तकें लिखी हैं. तारीख़ जमात रज़ा ए मुस्तफ़ा, मुफ़्ती ए आज़म हिंद के खुल्फ़ा, हयाते ताजुश्शरिया, रसायले ताजुश्शरिया उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं.
मुसलमानों को गुमराह करने की हो रही साजिश
वक्फ कानून का विरोध करने वालों को ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने भी कुछ ऐसी ही नसीहत दी. मौलाना रशीदी का आरोप है कि वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जे हैं और वक्फ संपत्तियों के असल हकदारों का हक उनसे छीना गया है. उन्होंने कहा कि पुराने वक्फ कानून में हुए संशोधन के बाद ऐसे कब्जेदारों की दुकाने बंद होने वाली हैं. यही वजह है कि नए वक्फ कानून को लेकर आम मुसलमानों को गुमराह करने की साजिश जारी है.
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मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्षा करेगा कानून
ऑल इंडिया मुस्लिम विमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर भी वक्फ कानून के समर्थन में सामने आई हैं. उन्होंने कहा कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं के हितों की सुरक्षा करेगा और उनके सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि वक्फ की जमीन दान की होती है. उसे ना कोई खरीद सकता है और ना ही बेच सकता है. वक्फ की जमीन से होने वाली कमाई का इस्तेमाल गरीब मुसलमानों के लिए होना चाहिए. वक्फ कानून में संशोधन करने के पीछे सरकार का मकसद है कि गरीब मुसलमानों को वक्फ प्रॉपर्टी से होने वाली आमदनी का लाभ मिले. ये अच्छी बात है. नए वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय के बीच फैली गलतफहमियों को बातचीत से दूर किया जा सकता है.