महाराष्ट्र के कर्ज में डूबे किसानों की किडनी बिक्री के मामले ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है. इस मामले में विशेष जांच दल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कंबोडिया में किडनी बिकवाने वाले एजेंट 'डॉ. कृष्णा' उर्फ मल्लेश को सोलापुर से गिरफ्तार किया है. मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने उसे पकड़ा, जिसके बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी का असली नाम मल्लेश है और वह पेशे से इंजीनियर है. उसने लोगों को झांसे में लेने के लिए अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' की फर्जी डिग्री जोड़ रखी थी. बताया जा रहा है कि वह खुद भी अपनी किडनी बेच चुका है और इसी अनुभव का हवाला देकर जरूरतमंद लोगों को भरोसे में लेता था. आरोपी मूल रूप से सोलापुर का रहने वाला है और लंबे समय से इस अवैध धंधे से जुड़ा हुआ था.
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इस पूरे मामले की शुरुआत चंद्रपुर जिले के नागभीड़ तालुका के मिंथूर गांव के किसान रोशन कुडे से हुई. साहूकार के कर्ज से परेशान रोशन कुडे ने कंबोडिया में अपनी किडनी बेचने का फैसला किया था. वह फेसबुक पर बने 'किडनी डोनर कम्युनिटी' नामक पेज के जरिए एक व्यक्ति के संपर्क में आया, जिसने खुद को चेन्नई का रहने वाला डॉक्टर बताया। यही व्यक्ति बाद में 'डॉ. कृष्णा' निकला.
आठ लाख रुपये में किडनी बेचने का सौदा
रोशन कुडे और आरोपी के बीच व्हॉट्सऐप के जरिए लगातार बातचीत होती रही. आठ लाख रुपये में किडनी बेचने का सौदा तय हुआ. कंबोडिया रवाना होने से पहले दोनों की पहली और आखिरी मुलाकात कोलकाता एयरपोर्ट पर हुई. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी दोनों लंबे समय तक संपर्क में रहे.
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किडनी तस्करी का एक संगठित नेटवर्क
पुलिस का मानना है कि इस मामले के तार नासिक से होते हुए सोलापुर तक फैले हुए हैं और यह केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है. जांच एजेंसियों को आशंका है कि इसके पीछे देशभर में फैला किडनी तस्करी का एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा है. फिलहाल आरोपी से गहन पूछताछ की जा रही है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है.