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बेटे पार्थ के बचाव में उतरे अजित पवार, बोले- लैंड डील अफसरों की गलती का नतीजा

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने नागपुर में अनौपचारिक बातचीत में कई अहम मुद्दों पर खुलकर राय रखी. उन्होंने पार्थ पवार लैंड डील में प्रशासनिक चूक की बात कही, रायगढ़ में एनसीपी–शिवसेना विवाद खत्म करने की जरूरत बताई, नवाब मलिक का समर्थन किया और तेंदुओं से निपटने की योजना पर सवाल उठाए.

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डिप्‍टी सीएम अजित पवार (File Photo- ITG)
डिप्‍टी सीएम अजित पवार (File Photo- ITG)

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने नागपुर में चल रहे नागपुर दौरे के दौरान एक अनौपचारिक बातचीत में राज्य की राजनीति, प्रशासन और वन्यजीव नीति से जुड़े कई संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. पार्थ पवार से जुड़े लैंड डील मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अजित पवार ने सीधे तौर पर अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए.

अजित पवार ने कहा कि अमेडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी से जुड़े लेन-देन के दौरान संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वे दस्तावेजों की गंभीरता से जांच करते और समय रहते कार्रवाई करते. अगर अधिकारी अपना काम ठीक से करते, तो यह मामला इतना आगे नहीं बढ़ता. पवार का यह बयान उस समय आया जब उनसे इस मामले को लेकर सवाल पूछा गया.

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रायगढ़ जिले में एनसीपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच चल रहे राजनीतिक तनाव को लेकर अजित पवार ने कहा कि अब इस टकराव को खत्म करना बेहद जरूरी हो गया है. उन्होंने बताया कि इसी उद्देश्य से उन्होंने विधायक भरत गोगावले और मंत्री उदय सामंत के साथ बैठक की और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की. इसके बाद उन्होंने मंत्री अदिति तटकरे से भी बात कर यह सुनिश्चित करने को कहा कि विवाद और न बढ़े.

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नवाब मलिक का अजित पवार ने किया समर्थन

नवाब मलिक के मुद्दे पर अजित पवार ने स्पष्ट रूप से उनका पक्ष लिया. उन्होंने कहा कि एनसीपी प्रवक्ता द्वारा नवाब मलिक और मुंबई महानगरपालिका चुनावों को लेकर जो रुख रखा गया है, वही पार्टी की आधिकारिक नीति है. गौरतलब है कि बीजेपी ने नवाब मलिक की मौजूदगी पर आपत्ति जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि वे शामिल हुए तो वह एनसीपी के साथ गठबंधन नहीं करेगी.

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तेंदुओं की बढ़ती संख्या पर गहरी चिंता 

वन्यजीव प्रबंधन को लेकर अजित पवार ने तेंदुओं की बढ़ती संख्या पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने अनुमान जताया कि राज्य में तेंदुओं की संख्या 2,000 से ज्यादा हो सकती है. तेंदुओं के हमलों को रोकने के लिए जंगल में एक करोड़ बकरियां छोड़ने के प्रस्ताव को उन्होंने "हास्यास्पद" बताया. पवार ने कहा कि वनतारा संस्था खुद मान चुकी है कि वह 50 से ज्यादा तेंदुओं को संभाल नहीं सकती और नसबंदी जैसे उपायों का असर दिखने में भी कई साल लगेंगे.

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