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भारत की तगड़ी चाल... बिना गोली चलाए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर ऐसे किया वार

भारत की ओर से सिंधु जल संधि के अंतर्गत मिलने वाले जल प्रवाह को रणनीतिक रूप से मोड़ने या सीमित करने के संकेत हाल ही में स्पष्ट हो गए हैं. इसका सबसे प्रत्यक्ष असर पाकिस्तान की जल आपूर्ति, पीने के पानी की उपलब्धता और कृषि पर पड़ने वाला है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

अगर पाकिस्तान सिर्फ भारत की सैन्य प्रतिक्रिया को लेकर चिंतित है, तो वह असल खतरे को नजरअंदाज कर रहा है. भारत की कुछ गैर-सैन्य कार्रवाइयां पाकिस्तान पर कहीं अधिक दूरगामी और गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं. ऐसी ही एक महत्वपूर्ण रणनीति है सिंधु नदी प्रणाली के जल प्रवाह को नियंत्रित करना.

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भारत की ओर से सिंधु जल संधि के अंतर्गत मिलने वाले जल प्रवाह को रणनीतिक रूप से मोड़ने या सीमित करने के संकेत हाल ही में स्पष्ट हो गए हैं. इसका सबसे प्रत्यक्ष असर पाकिस्तान की जल आपूर्ति, पीने के पानी की उपलब्धता और कृषि पर पड़ने वाला है.

5 मई को पाकिस्तान के सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण ने यह जानकारी दी कि चेनाब नदी के प्रवाह में औसत स्तर की तुलना में लगभग आधी गिरावट दर्ज की गई. IRSA ने एक बयान में कहा, “माराला पर भारत द्वारा आपूर्ति में कमी के कारण चेनाब नदी के जल प्रवाह में अचानक कमी पर सर्वसम्मति से चिंता व्यक्त की गई. यह कमी खरीफ के शुरुआती मौसम में और अधिक जल संकट को जन्म दे सकती है.”

आईआरएसए सलाहकार समिति ने चिनाब में आपूर्ति सामान्य रहने की स्थिति में शेष शुरुआती खरीफ सीजन के लिए 21 प्रतिशत की कुल कमी घोषित की. इसमें कहा गया कि चिनाब नदी में भारत की कम आपूर्ति के कारण पैदा हुए संकट को देखते हुए जलाशयों का संयुक्त उपयोग व्यावहारिक रूप से किया जाएगा. 

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यह बयान तब जारी किया गया जब मराला में चिनाब नदी में जल स्तर 12,967 क्यूसेक तक पहुंच गया, जो पिछले साल इसी दिन से 43 प्रतिशत कम था. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. बाद में भारत ने अचानक पानी छोड़ दिया और 8 मई को जल स्तर 26,363 क्यूसेक तक पहुंच गया, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया.

पाकिस्तान के लिए खरीफ का क्या मतलब है?

खरीफ की फसलें, जिन्हें बड़े पैमाने पर पानी की जरूरत होती है और जो चेनाब पर बहुत अधिक निर्भर हैं, पाकिस्तान की खाद्य स्थिरता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. हालांकि, बड़ी चिंता पाकिस्तान के समग्र निर्यात में उनकी भूमिका है. चावल और कपास - दोनों खरीफ उत्पाद - देश के आउटबाउंड शिपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, 2023-24 में, चावल और कपास से बने वस्त्र पाकिस्तान के कुल निर्यात का 63 प्रतिशत हिस्सा थे.

विदेशी मुद्रा लाने के लिए पाकिस्तान के लिए निर्यात आवश्यक है, जो बदले में पेट्रोलियम जैसे महत्वपूर्ण आयातों का भुगतान करेगा. इसके अलावा, विदेशी मुद्रा घरेलू मुद्रा को स्थिर करने और व्यापार संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है.

बता दें कि पाकिस्तान के व्यापार को झटका ऐसे समय में लग सकता है जब वह पहले से ही तनाव में है. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के अनुसार, 2023-24 में पाकिस्तान का निर्यात चार साल के निचले स्तर 23 बिलियन डॉलर पर था. 

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इस बीच, निर्यात को न केवल रुक-रुक कर पानी की आपूर्ति के कारण बल्कि कराची बंदरगाह के पास अरब सागर में भारतीय नौसेना की मौजूदगी के कारण भी नुकसान होने की आशंका है. रुक-रुक कर पानी की आपूर्ति खराब उत्पादन, खराब निर्यात और अंततः निर्यात शिपमेंट भेजने के लिए अशांत मार्ग के कारण आने वाले महीनों में पाकिस्तान आर्थिक रूप से संकट में पड़ सकता है.

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