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तमिलनाडु में ASI अधिकारी के ट्रांसफर पर सियासी उबाल... जानें कीलाडी रिपोर्ट पर क्यों छिड़ा विवाद

केंद्र सरकार ने इस दावे को स्वीकार करने के लिए ज्यादा डेटा और सबूत की मांग की थी. मंगलवार को रामकृष्ण के तबादले पर प्रतिक्रिया देते हुए, सत्तारूढ़ डीएमके ने आरोप लगाया है कि यह ट्रांसफर कीलाडी रिपोर्ट को वापस लेने और इसके नतीजों को कमजोर करने की एक चाल है.

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पुरातत्व विभाग की एक रिपोर्ट को लेकर सियासी घमासान
पुरातत्व विभाग की एक रिपोर्ट को लेकर सियासी घमासान

तमिलनाडु की राजनीति में इन दिनों एक ASI अधिकारी का तबादला केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की वजह बना हुआ है. मदुरै में कीलाडी की पहली बार खुदाई करने वाले आर्कियोलॉजिस्ट अमरनाथ रामकृष्ण की रिपोर्ट बीजेपी और डीएमके बीच तनातनी का मुद्दा बन गई है. रामकृष्ण को इसी रिपोर्ट की वजह से 21 साल की सर्विस के दौरान अब 12वें ट्रांसफर का सामना करना पड़ा क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मंगलवार को उन्हें निदेशक (पुरातत्व) के पद से हटा दिया.

रिपोर्ट बनाने वाले अफसर का ट्रांसफर

'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक अमरनाथ रामकृष्ण, जो निदेशक (पुरातत्व) और राष्ट्रीय स्मारक पुरावशेष मिशन (एनएमएमए) के डायरेक्टर के रूप में कार्यरत थे, अब से सिर्फ NMMA के निदेशक होंगे. इस विवाद पर पर तमिलनाडु की पार्टियों का दावा है कि कीलाडी रिपोर्ट इस बात के सबूत देती है कि तमिल की प्राचीनता को दिखाने वाला संगम युग 800 ईसा पूर्व तक पुराना है. इससे पहले उपलब्ध जानकारी में इस सिर्फ 300 से 500 साल पुराना माना जाता था.

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केंद्र सरकार ने इस दावे को स्वीकार करने के लिए ज्यादा डेटा और सबूत की मांग की थी. मंगलवार को रामकृष्ण के तबादले पर प्रतिक्रिया देते हुए, सत्तारूढ़ डीएमके ने आरोप लगाया है कि यह ट्रांसफर कीलाडी रिपोर्ट को वापस लेने और इसके नतीजों को कमजोर करने की एक चाल है. सूत्रों के मुताबिक सीनियर आर्कियोलॉजिस्ट रामकृष्ण को नई दिल्ली में एएसआई के मुख्यालय में अपने कार्यालय से ग्रेटर नोएडा स्थित NMMA के कार्यालय में ट्रांसफर होना पड़ेगा.

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केंद्र सरकार पर DMK के आरोप

दिलचस्प बात यह है कि एचए नाइक वही अधिकारी हैं जिन्होंने रामकृष्ण को मदुरै के करीब शिवगंगा जिले में स्थित कीलाडी में उत्खनन के पहले दो फेज पर अपनी रिपोर्ट को अतिरिक्त जानकारी के साथ फिर से तैयार करने का निर्देश दिया था. अब उन्हें निदेशक (पुरातत्व) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.

एचए नाइक की चिट्ठी ने पिछले महीने विवाद खड़ा कर दिया था, क्योंकि डीएमके और बीजेपी विरोधी अन्य तमिलनाडु दलों ने आरोप लगाया था कि यह लेटर, जो रामकृष्ण की ओर से अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के करीब ढाई साल बाद भेजा गया था, खुदाई के नतीजों को सार्वजनिक करने में देरी करने की केंद्र की रणनीति है.

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निदेशक (पुरातत्व) को रोल में ज्यादा जिम्मेदारियां शामिल हैं, जिसमें पहचान, पंजीकरण, पुरावशेषों की सुरक्षा और संरक्षण के साथ किसी बाहरी देश में स्थित किसी भी प्राचीन सामग्री को फिर से हासिल करना शामिल है. इसके विपरीत, एएसआई के सूत्रों ने कहा कि एनएमएमए के निदेशक का दायरा और भूमिका सीमित है.

एनएमएमए, जिसे तत्कालीन यूपीए सरकार ने भारत में निर्मित विरासत का डॉक्यूमेंटेशन और डेटाबेस बनाने के मकसद से 2007 में पहली बार शुरू किया था, ने अपने मकसद को पूरा करने में धीमी प्रगति की है. हालांकि शुरुआती समय सीमा पांच साल निर्धारित की गई थी, लेकिन बीच में बजट की दिक्कतों और अन्य कारणों से यह प्रोजेक्ट अब भी चल रहा है. साल 2024-25 में एनएमएमए के लिए बजट का आवंटन 20 लाख रुपये था.

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मंत्री गजेंद्र शेखावत ने दी सफाई

हाल ही में चेन्नई में मौजूद केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने टिप्पणी की थी कि रामकृष्ण की रिपोर्ट वैज्ञानिक नहीं थी और इसके लिए और सबूतों की जरूरत थी. उन्होंने उन आरोपों को खारिज कर दिया था कि केंद्र सरकार जानबूझकर कीलाडी के नतीजों को छापने से रोकने की कोशिश कर रही थी.

डीएमके की यूथ विंग ने केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी के खिलाफ और रिपोर्ट को तत्काल जारी करने की मांग को लेकर बुधवार को मदुरै में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. रामकृष्ण के तबादले की खबर आने से पहले मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को एक्स पर एक पोस्ट में आर्कियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट का बचाव किया, हालांकि उन्होंने उनका नाम नहीं लिया और कहा कि रिपोर्ट में किसी सुधार की जरूरत नहीं है.

उन्होंने लोगों से बुधवार को होने वाले प्रदर्शन में बड़ी संख्या में हिस्सा लेने की अपील करते हुए कहा कि हम हजारों साल से विज्ञान की मदद से और सभी बाधाओं से लड़कर तमिल जाति की प्राचीनता स्थापित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उत्खनन रिपोर्ट को नहीं, बल्कि उन लोगों की सोच को सही करने की जरूरत है जो इस रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करते हैं.

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कीलाडी को लेकर क्यों छिड़ा विवाद?

कीलाडी तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में स्थित एक अहम पुरातात्विक जगह है, जो वैगई नदी के किनारे बसा हुआ है. अमरनाथ रामकृष्ण की रिपोर्ट से यह पता चलता है कि यहां संगम युग के दौरान विकसित शहरी तमिल सभ्यता थी. उनकी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि कीलाडी के अवशेष 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व के हैं, जिन्हें अब तक सिर्फ 300 साल पुराना माना जाता था. हालांकि केंद्र ने इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया और इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण की कमी की बात कही है. 

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