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22 मिनट में 22 अप्रैल का, 11 दिन में पुलवामा का बदला... राज्यसभा में जेपी नड्डा ने बताई आतंकियों पर स्ट्राइक की टाइमलाइन

राज्यसभा में जेपी नड्डा ने कहा कि पहले की सरकारों में हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, वाराणसी और दिल्ली जैसी जगहों पर आतंकी हमले होते थे. कोई जगह बची नहीं थी, हर जगह बम ब्लास्ट होते थे. उन्होंने कहा कि यूपीए के 10 साल की तुलना में मोदी सरकार के 10 साल में हुए आतंकी हमलों 80 फीसदी की कमी आई है.

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ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में जेपी नड्डा (Photo: Screengrab)
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में जेपी नड्डा (Photo: Screengrab)

राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री और नेता सदन जेपी नड्डा ने यूपीए के कार्यकाल में हुए आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद अमावस्या हटी और हम पूर्णिमा की ओर बढ़े. नड्डा ने कहा कि 2014 के बाद से जम्मू कश्मीर को छोड़कर देश में कहीं भी आतंकी हमले बंद हो गए हैं.

आतंकी हमलों में 80 फीसदी की कमी

उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, वाराणसी, बेंगलुरु और दिल्ली जैसी जगहों पर आतंकी हमले होते थे. कोई जगह बची नहीं थी, हर जगह बम ब्लास्ट होते थे. नड्डा ने कहा कि दिल्ली में तो 2004 से 2014 तक तीन-तीन बार बम धमाके हुए थे. उन्होंने कहा कि यूपीए के 10 साल की तुलना में मोदी सरकार के 10 साल में हुए आतंकी हमलों में 80 फीसदी की कमी आई है. साथ ही नागरिकों और सुरक्षाबलों के जवानों की हत्या में भी कम आई है.

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जेपी नड्डा ने कहा कि साल 2016 में हुए उरी हमले में जैश के आतंकियों ने 19 जवानों की हत्या की, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के कोझिकोड कहा था कि उरी हमले की गुनहगारों को बख्शा नहीं जाएगा. इसके बाद तीन दिन के भीतर सितंबर 28-29 को आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक हुईं, जिसमें उनके ठिकानों तबाह कर दिया गया और पाकिस्तानी जवान और आतंकी मारे गए. ये बदलते भारत की निशानी है.

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11 दिन में दिया पुलवामा का जवाब

उन्होंने कहा कि इसके बाद साल 2019 में पुलवामा में CRPF के 40 जवानों की हत्या की गई और पीएम मोदी ने पालम एयरपोर्ट पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी. इसके बाद अपने संबोधन में कहा कि पाकिस्तान ने बहुत बड़ी गलती कर दी है और इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा. नड्डा ने कहा कि 11 दिन के भीतर बालाकोट एयरस्ट्राइक कर पुलवामा हमले का जवाब दिया गया. सेना ने 70 किमी के अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया.

जेपी नड्डा ने कहा कि यह राजनीतिक इच्छाशक्ति की निशानी है. वरना पहले हम देखेंगे, विचार करेंगे, डोजियर भेजेंगे और बिरयानी खिलाएंगे होता था. लेकिन पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने गलती कर दी है और खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इन शब्दों से आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति साफ होती है.

22 मिनट में 22 अप्रैल का बदला

बीजेपी सांसद नड्डा ने आगे कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी बिहार के मधुबनी में पंचायती राज के एक कार्यक्रम में गए थे, जबकि विपक्ष ने आरोप लगाया है कि वह चुनावी जनसभा करने गए थे. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि आतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी. इसके बाद 13 दिन के भीतर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पहलगाम हमले का जवाब दिया गया.

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राज्यसभा में नेता सदन नड्डा ने कहा कि हमने पाकिस्तान में 300 किमी घुसकर हमला किया और आतंकी ठिकाने तबाह किए. साथ ही पाकिस्तान के हवाई ठिकानों को भी टारगेट किया गया. जैश, लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों को तबाह किया गया. उन्होंने कहा कि 22 मिनट में 22 अप्रैल का बदला लिया गया, ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ. कभी भी किसी सरकार ने पाकिस्तान को ऐसा जवाब नहीं दिया था, जैसा ऑपरेशन सिंदूर के जरिए दिया गया.

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जेपी नड्डा ने सदन को बताया कि हमले के बाद पाकिस्तान ने हजार के आसपास मिसाइल और ड्रोन हमारे ऊपर छोड़े, लेकिन भारत की फौज के पराक्रम की वजह से एक भी नागरिक हताहत नहीं हुआ. फिर इसके जवाब में भारतीय सेना ने सैन्य कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के 11 हवाई ठिकानों को भी ध्वस्त कर दिया, जिनकी हालत ऐसी है कि वो अब बंद पड़े हैं. 

विपक्ष पर निशाना साधते हुए नड्डा ने कहा कि उस समय की कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की हद को समझना होगा कि 2008 में जयपुर धमाके के बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली के उपायों पर सहमति बनी. उन्होंने कहा कि वे हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उन्हें बिरयानी खिलाने चले. नड्डा ने कहा कि उस समय की सरकार ने 2005 के दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट, 2006 के वाराणसी आतंकी हमले और 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों पर कोई एक्शन नहीं लिया. उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि उस दौर में भारत और पाकिस्तान के बीच आतंक, व्यापार और पर्यटन तीनों एक साथ चलते रहे.

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