भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन चल रहा है. इसमें शामिल होने के लिए सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहुंचे हुए हैं. हालांकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग इस सम्मेलन में नहीं आए हैं. उनकी जगह रूस की ओर से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीनी प्रीमियर ली कियांग आए हैं. G20 समिट के पहले ही दिन दिल्ली घोषणा पत्र पर 73 मुद्दों पर नेताओं की आम सहमति बन गई है, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा भी शामिल है.
सम्मेलन के पहले दिन यानी शनिवार को 37 पन्नों का दस्तावेज जारी किया गया, जिसमें यूक्रेन युद्ध जैसा प्रमुख मुद्दा भी शामिल था. इसको लेकर अपनाई गई भाषा बाली शिखर सम्मेलन से अलग है. दरअसल बाली सम्मेलन में यूक्रेन में रूस के युद्ध की कड़ी निंदा की गई थी.
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बाली-बाली था, दिल्ली-दिल्ली है: विदेश मंत्री
यूक्रेन युद्ध पर बाली दस्तावेज से दिल्ली घोषणा में भाषा में बदलाव के बारे में बात करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, "बाली-बाली था, दिल्ली-दिल्ली है. बाली घोषणा के बाद से कई चीजें हुई हैं."
जयशंकर ने शनिवार को कहा, "किसी को इसके बारे में धार्मिक दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए. नई दिल्ली घोषणा में आज के हालात पर रिएक्शन है. दिल्ली घोषणा आज की चिंताओं का जवाब देती है, जैसी बाली घोषणा ने उस समय की चिंताओं का जवाब दिया था."
यूक्रेन युद्ध को लेकर घोषणा पत्र में क्या?
दरअसल विदेश मंत्री जयशंकर ने यूक्रेन मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बात की थी. उन्होंने कहा, “यह 83 पैराग्राफों की घोषणा है. इसमें बहुत सारे विषय शामिल हैं, लेकिन जाहिर है यूक्रेन में चल रहे युद्ध और उस पर अलग-अलग विचारों की वजह से बीते कुछ दिनों में भू-राजनीतिक मुद्दों के संबंध में काफी समय बीता."
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आम सहमति के लिए सभी देश आगे आए: जयशंकर
यूक्रेन संकट पर सहमति बनाने में मदद करने वाले देशों के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ''हर कोई आम सहमति बनाने के लिए एक साथ आया, लेकिन उभरते बाजारों ने इस पर विशेष नेतृत्व किया और हममें से कई लोगों के पास एक साथ काम करने का एक मजबूत इतिहास है. वास्तव में जी20 की अध्यक्षता के लिए लगातार चार विकासशील देश हैं...इंडोनेशिया, अमेरिका, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका."