ईरान के सबसे बड़े शाहिद राजाई बंदरगाह पर 26 अप्रैल को भयावह विस्फोट हुआ था, जिसमें 40 से ज्यादा लोगों क मौत हुई थी जबकि 1200 के आसपास लोग घायल हुए थे. अब कहा जा रहा है कि यह विस्फोट चीन की ओर से इंपोर्ट किए गए मिसाइल ईंधन से हुआ था.
खबर है कि बंदरगाह पर कथित तौर पर चीन से मिसाइल ईंधन के लिए रसायन लाया गया था. निजी सुरक्षा फर्म एम्ब्रे ने बताया कि बंदरगाह पर मार्च महीने में 'सोडियम परक्लोरेट रॉकेट ईंधन' की खेप लाई गई थी. चीन से यह खेप जहाजों के जरिए आई थी.
विस्फोट का कारण बंदरगाह पर रखा गया यही रसायन था, जिसकी पहचान सोडियम परक्लोरेट (रॉकेट ईंधन में इस्तेमाल होने वाले रसायन) के तौर पर की गई.
यह खेप कथित तौर पर ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए ठोस ईंधन के रूप में उपयोग के लिए थी, जिसका उद्देश्य गाजा में हमास के साथ युद्ध के दौरान इजरायल पर हमलों के कारण कम हुए मिसाइल भंडार को फिर से भरना था.
एम्ब्रे ने दावा किया कि विस्फोट का मुख्य कारण इन रासायनिक पदार्थों का अनुचित स्टोरेज था, जिसके लिए ईरान की ओर से लापरवाही बरती गई. यह स्पष्ट नहीं है कि 2020 के बेरूत बंदरगाह विस्फोट के बाद ईरान ने इन खतरनाक रसायनों को बंदरगाह से क्यों नहीं हटाया. जहाज ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है कि मार्च 2025 में रसायन ले जाने वाला एक जहाज इस क्षेत्र में मौजूद था. हालांकि, ईरान ने आधिकारिक तौर पर इस खेप के चीन से आने की पुष्टि नहीं की है.
कैसे हुआ था ब्लास्ट?
ईरान के बंदर अब्बास रजाई बंदरगाह पर एक कंटेनर में विस्फोट हुआ था, जिससे आसपास की इमारतों को भी नुकसान पहुंचा था. घटना की वजह शहीद रजाई बंदरगाह के तट वाले इलाके में रखे कई कंटेनरों में विस्फोट था. धमाके वाली जगह पर आग लगी थी, जिके बाद घटनास्थल से धुएं का गुबार उठते देखा गया था.
बता दें कि शहीद रजाई ईरान का सबसे बड़ा कमर्शियल बंदरगाह है, जो ईरान के दक्षिणी तट पर होर्मोजगान प्रांत में है. ये बंदरगाह होर्मोजगान की राजधानी बंदर अब्बास शहर से 20 किलोनमीटर दूर पश्चिम की तरफ है.