भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार से शुरू होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के किंगदाओ पहुंच गए हैं, जहां पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद ये पहली बार होगा, जब भारत-पाकिस्तान के रक्षा मंत्री एक मंच पर होंगे. हालांकि, एससीओ समिट में राजनाथ सिंह और ख्वाजा आसिफ द्विपक्षीय वार्ता नहीं करेंगे, क्योंकि पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत ने पाकिस्तान के साथ अपनी सभी तरह की डिप्लोमेटिक बातचीत बंद कर दी है.
चीन में आयोजित इस सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है. इस दौरान राजनाथ सिंह पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के कूटनीतिक प्रयासों के तहत SCO से आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए और अधिक सहयोग की अपील करेंगे.
कनेक्टिविटी को बढ़ाने पर देंगे जोर: रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक बयान के अनुसार, राजनाथ सिंह SCO के सिद्धांतों और उद्देश्यों के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करेंगे. वे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेंगे और क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवाद को खत्म करने के लिए संयुक्त और निरंतर प्रयासों का आह्वान करेंगे. इसके अलावा, वे SCO के अंदर व्यापार, आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी को बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर देंगे.
चीन-रूस के साथ द्विपक्षीय वार्ता
साथ ही राजनाथ सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य देशों के रक्षा मंत्रियों, विशेष रूप से चीन और रूस के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. ये वार्ताएं भारत-चीन संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माने जा रहे हैं. हाल ही में अक्टूबर 2024 में LAC पर तनाव कम करने के लिए हुए समझौते के बाद यह पहला मंत्रिस्तरीय संपर्क है.
वहीं, मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की ये पहली चीन यात्रा है.
रक्षा मंत्री के साथ-साथ नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार-NSA) अजीत डोभाल भी SCO सम्मेलन में भाग ले रहे हैं. दिसंबर 2024 में डोभाल ने बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (SR) संवाद के तहत वार्ता की थी. ये फैसला 23 अक्टूबर 2024 को कजान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में लिया गया था. मोदी-शी की ये बैठक देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते के दो दिन बाद हुई थी.
क्या है SCO
बता दें कि SCO एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना साल 2001 में हुई थी. भारत साल 2017 में इस संगठन का सदस्य बना और साल 2023 में सम्मेलन की रोटेटिंग चेयरमैनशिप भी संभाली थी. मौजूदा वक्त में एससीओ के सदस्य देशों में कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान, बेलारूस और भारत शामिल हैं.