यूक्रेन के साथ युद्ध के बीच रूस से तेल आयात कराने के पश्चिमी देशों के दबाव के बीच भारत ने दो टूक जवाब दिया है. ब्रिटेन में भारत के हाई कमिश्नर ने कहा है कि भारत जियोपॉलिटिकल मामलों की वजह से अपनी अर्थव्यवस्था के ही दरवाजे बंद नहीं कर सकता.
ब्रिटेन में भारत के हाई कमिश्नर विक्रम दोराईस्वामी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि भारत तेल का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता है. भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 80 फीसदी आयात करता है.
उन्होंने रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना से जुड़े एक सवाल का जवाब करते हुए कहा कि हम हमारी ऊर्जा जरूरतों का 80 फीसदी से ज्यादा आयात करते हैं. आप क्या चाहते हैं कि हम क्या करें? हमारी अर्थव्यवस्था को बंद कर दें?
भारत ने पश्चिम देशों को क्या दिया जवाब?
दोराईस्वामी ने इस दौरान भारत की स्वतंत्र विदश नीति और ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात करते पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कई यूरोपीय देश खुद उन देशों से ऊर्जा और संसाधन खरीद रहे हैं, जिनसे भारत को खरीदने से रोका जा रहा है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि हम अपनी अर्थव्यवस्था को बंद नहीं कर सकते. हम जिन देशों से पहले तेल खरीदते थे, वे अब दूसरों को बेच रहे हैं और हमें एनर्जी मार्केट से बाहर कर दिया है. ऐसे में हमारे पास विकल्प क्या है?
दोराईस्वामी ने स्पष्ट किया कि भारत का रूस के साथ रिश्ता केवल तेल आयात तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा, ऊर्जा, और ऐतिहासिक सहयोग पर आधारित है. उन्होंने बताया कि जब पश्चिमी देश भारत को हथियार नहीं बेचते थे, तब रूस ने भारत का साथ दिया, जबकि कुछ पश्चिमी देश भारत के पड़ोसियों को हथियार बेचते थे, जो भारत के खिलाफ इस्तेमाल होते थे.
बता दें कि 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देसों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे. अपनी अर्थव्यवस्था की धार को बनाए रखने के लिए रूस ने सस्ती दरों पर कच्चे तेल का निर्यात करना शुरू कर दिया था. ऐसे में भारत और चीन जैसे देशों ने रूस से सस्ती दरों पर तेल खरीदना शुरू कर दिया, जो पश्चिमी देशों को नागवार गुजरा.
मौजूदा समय में रूस से तेल के आयात से भारत की लगभग 40 से 45 फीसदी तक की ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं. पिछले महीने रूस से भारत में कच्चे तेल का आयात सालभर में सबसे उच्च स्तर पर रहा था.