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बाढ़ से जूझ रहा उत्तर और पश्चिम भारत, सैटेलाइट मैप में देखें विनाश का दायरा

उत्तर और पश्चिम भारत के कई हिस्सों में भारी मॉनसून बारिश और नदियों के उफान के कारण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित है जहां 84,000 से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. आजतक की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस टीम ने सैटेलाइट डेटा की मदद से बाढ़ प्रभावित इलाकों को मैप किया है.

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बाढ़ की चपेट में उत्तर-पश्चिम भारत. (Photo- ITG)
बाढ़ की चपेट में उत्तर-पश्चिम भारत. (Photo- ITG)

उत्तर और पश्चिम भारत के बड़े हिस्से इन दिनों भारी मॉनसून बारिश और नदियों के उफान के कारण आई बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. शहरों और कस्बों में भरे पानी की तस्वीरें न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. आजतक की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम ने सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल करके बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का विश्लेषण किया है. इस विश्लेषण के ज़रिए बाढ़ की भयावहता और उसके दायरे की स्पष्ट तस्वीर दिखाई गई है.

उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश उन राज्यों में शामिल हैं, जो इस समय बाढ़ की चपेट में हैं.

लाल रंग बाढ़ के पानी को दर्शाता है. यह मैप Sentinel-1 डेटा पर आधारित है, जिसे आजतक ने प्रोसेस किया है.

उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में बाढ़ का असर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. राज्य के कई ज़िले बुरी तरह प्रभावित हैं. इनमें कानपुर, लखीमपुर-खीरी, आगरा, औरैया, चित्रकूट, बलिया, बांदा, गाज़ीपुर, मिर्ज़ापुर, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, जालौन, हमीरपुर, इटावा और फतेहपुर शामिल हैं.

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Sentinel-1 डेटा के आधार पर यह मैप तैयार किया गया है.

 

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इन ज़िलों में अब तक 400 से अधिक गांवों में 84,000 से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. राज्य सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में 900 से अधिक राहत शिविर बनाए हैं, जहां 11,000 से ज्यादा लोग शरण ले चुके हैं.

Sentinel-1 डेटा पर आधारित मैप, जिसे आजतक ने प्रोसेस किया है.

प्रयागराज की स्थिति सबसे गंभीर बताई जा रही है. वहां गंगा नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है और कई निचले इलाकों में पानी घुस गया है. कई रिहायशी घरों और दुकानों में बाढ़ का पानी भर चुका है.

Sentinel-1 डेटा के आधार पर आजतक द्वारा प्रोसेस किया गया मैप.

मध्य प्रदेश में भी बिगड़े हालात

मध्य प्रदेश में भी हालात खराब हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव के अनुसार, राज्य के विभिन्न ज़िलों से करीब 2900 लोगों को बचाकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.

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आजतक द्वारा प्रोसेस किए गए Sentinel-1 डेटा पर आधारित मैप.

सागर, विदिशा, रीवा, मुरैना, गुना, शिवपुरी, दमोह, रायसेन और सागर जैसे ज़िले बाढ़ से प्रभावित हैं।

खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं कई नदियां

सेंट्रल वॉटर कमिशन (CWC) के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा, यमुना, घाघरा (अयोध्या में सरयू), कोसी और बूढ़ी गंडक नदियाँ 20 से अधिक स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.

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प्रयागराज के फाफामऊ में गंगा नदी 86 मीटर के पार पहुंच गई है. वहीं, वाराणसी में यह 72 मीटर पर बह रही है, जो खतरे के निशान से करीब 80 सेंटीमीटर ऊपर है.

बिहार में पटना, भागलपुर और बेगूसराय में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर है. वहीं बूढ़ी गंडक नदी 36.6 मीटर के खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. खगड़िया में कोसी नदी भी थोड़ा ऊपर बह रही है. मोतीहारी में गंडक नदी बुधवार को 62.22 मीटर के खतरे के निशान को पार करने की संभावना जताई गई है.

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