अमेठी सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को फोन पर नहीं पहचानने वाले लेखपाल प्रदीप कुमार मौर्य को विभाग की ओर से क्लीन चिट मिल गई है. लेखपाल ने फोन पर स्मृति ईरानी और अपने सीडीओ को नहीं पहचाना था. जनपद की मुसाफिरखाना तहसील के तहत गौतमपुर ग्राम सभा में तैनात लेखपाल प्रदीप कुमार को कम सुनाई देता है. इस कारण फोन पर क्षेत्रीय सांसद स्मृति ईरानी वह पहचान नहीं सका था.
मुसाफिरखाना उपजिलाधिकारी सविता यादव ने Aajtak की टीम को बताया कि लेखपाल प्रदीप कुमार मौर्य को सुनने में समस्या है. प्रदीप कुमार की नियुक्ति विकलांग कोटे से लेखपाल पद पर हुई थी. उसकी 60 फीसदी ही सुनने की क्षमता है. लोगों से बात करने के दौरान प्रदीप कान की मशीन का उपयोग करता है, जिससे उसे सही से सुनाई दे सके.
यही वजह थी जब मंत्री स्मृति ईरानी ने लेखपाल से फोन पर बात की, तो वो उन्हें फोन पर पहचान नहीं पाया था. विभागीय जांच के बाद लेखपाल प्रदीप को क्लीन चिट दे दी गई है. साथ ही करुणेश की मां का पेंशन संबंधी प्रार्थन पत्र जो 25 अगस्त को दिया गया, उसे 27 अगस्त को ही जारी किया गया था. तो लापरवाही किए जाने की बात सामने नहीं आई.
यह था पूरा मामला
दरअसल, उत्तर प्रदेश के अमेठी से सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी 27 अगस्त को जिले के दौरे पर थीं. इस दौरान मुसाफिरखाना तहसील के पुरे पहलवान गांव निवासी करुणेश ने उन्हें शिकायती पत्र देकर कहा था कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां पेंशन की हकदार हैं, लेकिन लेखपाल प्रदीप द्वारा उनका सत्यापन नहीं किया जा रहा है. जिसके कारण उसकी मां को पेंशन नहीं मिल पा रही है. इस पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ईरानी ने लेखपाल से फोन पर बात की लेकिन लेखपाल प्रदीप स्मृति ईरानी को फोन पर पहचान नहीं पाया था. बातचीत का वीडियो वायरल हुई था. जिस पर विपक्ष ने जमकर स्मृति ईरानी पर तंज कसे थे.