scorecardresearch
 

'लोग कितनी जल्दी रंग बदल लेते हैं... इतिहास में दर्ज होगा', जयशंकर पर चिदंबरम का पलटवार

आज ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दावा किया था कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप के बारे में उदासीनता दिखाई. विदेश मंत्री के आरोपों को कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ने बेतुका बताते हुए कहा कि यह समझौता 1974 और 1976 में हुआ था.

Advertisement
X
एस जयशंकर पर चिदंबरम का पलटवार
एस जयशंकर पर चिदंबरम का पलटवार

कच्चातिवु मुद्दे पर पीएम मोदी के ट्वीट और विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस का अब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने जवाब दिया है. चिदंबरम ने कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को देने के समझौते का बचाव किया. उन्होंने कहा, 'यह बेतुका आरोप है. यह समझौता 1974 और 1976 में हुआ था. पीएम मोदी एक हालिया RTI जवाब का जिक्र कर रहे हैं, उन्हें 27 जनवरी 2015 के RTI जवाब का जिक्र करना चाहिए, जब विदेश मंत्री एस जयशंकर विदेश सचिव थे. उस उत्तर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बातचीत के बाद यह द्वीप अंतरराष्ट्रीय सीमा के श्रीलंकाई हिस्से में है.'

चिदंबरम ने आगे कहा, 'जानते हैं कि इंदिरा गांधी ने क्यों स्वीकार किया कि यह श्रीलंका का है? क्योंकि श्रीलंका में 6 लाख तमिल पीड़ित थे, इसलिए उन्हें शरणार्थी के रूप में भारत आना पड़ा. इस समझौते के परिणामस्वरूप 6 लाख तमिल भारत आये और वे यहां सभी मानवाधिकारों के साथ स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं.'

यह भी पढ़ें: 163 एकड़ एरिया में फैला निर्जन द्वीप, 50 साल पुराना समझौता... कच्चातिवु द्वीप के भारत से श्रीलंका के हाथ जाने की पूरी कहानी

विदेश मंत्री के दावे पर चिदंबरम का पलटवार
इससे पहले आज, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दावा किया था कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप के बारे में उदासीनता दिखाई और इसके विपरीत कानूनी विचारों के बावजूद भारतीय मछुआरों के अधिकारों की अनदेखी की. उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने 1974 में समुद्री सीमा समझौते के तहत श्रीलंका को दिए गए कच्चातिवु को "छोटा द्वीप" और "छोटी चट्टान" करार दिया था.

Advertisement

वित्त मंत्री पर पलटवार करते हुए, चिदंबरम ने 25 जनवरी, 2015 को विदेश मंत्रालय के एक आरटीआई जवाब का हवाला दिया. उन्होंने कहा, "इस आरटीआई जवाब ने उन परिस्थितियों को उचित ठहराया जिसके तहत भारत ने स्वीकार किया कि एक छोटा द्वीप श्रीलंका का है, विदेश मंत्री और उनका मंत्रालय ऐसा क्यों कर रहे हैं? लोग कितनी जल्दी रंग बदल लेते हैं. एक सौम्य उदार विदेश सेवा अधिकारी और एक चतुर विदेश सचिव से लेकर आरएसएस-भाजपा के मुखपत्र तक, जयशंकर का जीवन कलाबाजी खेलों के इतिहास में दर्ज किया जाएगा." 

चीन ने द्वीप से हजार गुना बड़ी जमीन हड़प ली- चिदंबरम

तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद चिदंबरम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वीकार किया था कि यह द्वीप श्रीलंका का है क्योंकि उस देश में 6 लाख तमिल पीड़ित थे और उन्हें शरणार्थी के रूप में भारत आना पड़ा और यहीं बसना पड़ा. चिदम्बरम ने कहा कि 27 जनवरी, 2015 को विदेश मंत्रालय का जवाब मामले को खत्म करता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा, "आप 50 साल बाद यह मुद्दा क्यों उठा रहे हैं? आप इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं कि 2-3 साल में क्या हुआ?" पीएम मोदी ने रविवार को कहा था कि कांग्रेस ने "कच्चातिवु को बेदर्दी से श्रीलंका को दे दिया."

Advertisement

यह भी पढ़ें: कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को देकर कांग्रेस ने देश की अखंडता को किया कमजोर: PM मोदी

चिदंबरम ने कहा कि कच्चातिवु का क्षेत्रफल 1.9 वर्ग किमी है. उन्होंने कहा, 'चीन ने 2000 वर्ग किमी भारतीय भूमि हड़प ली है. पीएम मोदी ने यह कहकर चीन की आक्रामकता को उचित ठहराया कि 'भारत की धरती पर कोई चीनी सैनिक नहीं है. चीन ने मोदी के भाषण को दुनिया भर में प्रसारित किया. चीन ने जो ज़मीन हड़पी है वो एक छोटे से द्वीप से भी 1000 गुना बड़ी है.' कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा कि "उदार आदान-प्रदान एक बात है, दुर्भावनापूर्ण ज़ब्ती दूसरी बात है.

जयशंकर ने कही थी ये बात

इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आए दिन यह मुद्दा संसद में उठाया जाता है और इसे लेकर अक्सर केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच पत्राचार होता है. जयशंकर ने कहा कि खुद उन्होंने कम से कम 21 बार मुख्यमंत्री को जवाब दिया है. विदेश मंत्री ने जनता के सामने इस समझौते के खिलाफ होने का रुख दिखाने के लिए द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि द्रमुक नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि को भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में हुए समझौते के बारे में पूरी जानकारी दी गयी थी.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement