भारत में कैंसर के रोगियों के लिए एक राहतभरी खबर है. दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों में एक वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग में लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन को इस्तेमाल में लाने के लिए बंकर का उद्घाटन हुआ है. उसके बिना ये मशीन नहीं चल सकती है क्योंकि इस बंकर के बिना रेडिएशन वगैरह आते हैं. अब इस तकनीक से कैंसर के रोगियों का इलाज और आसान हो सकेगा.
केंद्र सरकार के इस प्रमुख अस्पताल में बहुत जरूरी लीनियर एक्सेलेरेटर जल्द ही आने वाला है, इसे जल्दी स्थापित किया जाएगा. यह उन्नत उपकरण रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग को और कारगर बनाएगा, साथ ही कैंसर रोगियों का इलाज करने में सक्षम बनाएगा.
सफदरजंग अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. (प्रोफेसर) वंदना तलवार ने इसकी आधारशिला आज (4 सितंबर) रखी. इस कार्यक्रम में डॉ. भूमिका मिश्रा एसई, सीपीडब्ल्यूडी, एडिशनल एमएस डॉ. जयंती मणि, डॉ. कपिल सूरी, डॉ. आर पी अरोड़ा, डॉ. विकास यादव एचओडी और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, ईएनटी और पीएमआर के विभागाध्यक्षों सहित प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया.
सफदरजंग अस्पताल में इस तकनीक के साथ मुफ्त कैंसर इलाज को बढ़ाने के लिए ही डॉ. वंदना तलवार ने नए हाई एनर्जी लीनियर एक्सेलेरेटर के लिए रेडिएशन बंकर के निर्माण का उद्घाटन किया.
भारत के प्रमुख सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में से एक सफदरजंग अस्पताल सालाना लगभग 2,500 नए कैंसर रोगियों को पूरी तरह से मुफ्त में रेडियोथेरेपी इलाज कर कैंसर के इलाज में प्रगति करना जारी रखता है.

कैंसर की नई मशीन से क्या फायदा होगा?
नई मशीन से कैंसर के इलाज की गुणवत्ता में काफी सुधार होने की उम्मीद है. इसका सबसे ज्यादा फायदा गरीब रोगियों को मिलेगा. ये तकनीक विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार में अपनी सटीकता और प्रभावशीलता के लिए जानी जाती हैं, जिससे रोगियों को कम से कम दुष्प्रभावों के साथ सफल परिणाम मिलने की अधिक संभावना होती है.
हाई एनर्जी लीनियर एक्सेलेरेटर के अलावा, सफदरजंग अस्पताल दो और महत्वपूर्ण उपकरण खरीदने की प्रक्रिया में है. इनमें एक लो एनर्जी लीनियर एक्सेलेरेटर और एक सीटी सिम्युलेटर है. जिससे यह सुनिश्चित होता है कि रोगियों को सबसे सटीक और प्रभावी उपचार मिले. मेडिकल लीनियर एक्सीलरेटर (LINAC) वह उपकरण है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर कैंसर के रोगियों के लिए बाहरी बीम विकिरण उपचार के लिए किया जाता है. यह रोगी के ट्यूमर के क्षेत्र में उच्च-ऊर्जा एक्स-रे या इलेक्ट्रॉन पहुंचाता है.