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अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उनकी गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है.

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प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद (तस्वीर: FB/@AliMahmudabad)
प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद (तस्वीर: FB/@AliMahmudabad)

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद (Ali Khan Mahmudabad) को मंगलवार को हरियाणा की एक स्थानीय अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. आज सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है. मामले में प्रोफेसर अली के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रोफेसर को 'ऑपरेशन सिंदूर पर पूरी तरह से देशभक्तिपूर्ण बयान' के लिए गिरफ्तार किया गया.

अली खान की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उनकी गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है. इसके अलावा, सिब्बल ने तर्क दिया कि एफआईआर बिना किसी पर्याप्त वजह के दर्ज की गई थी.

क्या है पूरा मामला?

हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर पर उनके कथित सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में बीजेपी युवा विंग के एक सदस्य द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया था.

प्रोफेसर को सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. प्रोफेसर अली खान आपोर लगाया गया कि उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के खिलाफ पोस्ट किया और खासतौर से महिला अधिकारियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के प्रति अपमानजनक बताया गया. ये दोनों अधिकारी ऑपरेशन सिंदूर के मीडिया ब्रीफिंग के दौरान देश के सामने थीं, सैन्य कार्रवाई की जानकारी शेयर कर रही थीं.

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यह भी पढ़ें: महमूदाबाद की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए पर क्या प्रोफेसर इन बातों का जवाब देंगे?

सोशल मीडिया पोस्ट में प्रोफेसर खान ने क्या कहा था?

प्रोफेसर खान महमूदाबाद पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने कथित सोशल मीडिया में ऐसी बातें कीं, जो सेना की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं और भारतीय महिला सैन्य अधिकारियों का अपमान करती हैं. 

अपनी पोस्ट में अली महमूदाबाद ने अपनी पोस्ट में कहा था, "इतने सारे दक्षिणपंथी टिप्पणीकार कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ कर रहे हैं, ये देखकर मैं खुश हूं. लेकिन ये लोग शायद इसी तरह से मॉब लिंचिंग के पीड़ितों, मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने और बीजेपी के नफरत फैलाने के शिकार लोगों को लेकर भी आवाज उठा सकते हैं कि इन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर सुरक्षा दी जाए."

उन्होंने आगे कहा कि दो महिला सैनिकों के जरिए जानकारी देने का नजरिया अहम है लेकिन इस नजरिए को हकीकत में बदलना चाहिए, नहीं तो यह केवल पाखंड है.

इसके साथ ही अली कान ने अपने इसी पोस्ट में भारत की विविधता की भी तारीफ की. उन्होंने लिखा, "सरकार जो दिखाने की कोशिश कर रही है, उसकी तुलना में आम मुसलमानों के सामने जमीनी हकीकत अलग है लेकिन साथ ही इस प्रेस कान्फ्रेंस (कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की प्रेस ब्रीफिंग) से पता चलता है कि भारत अपनी विविधता में एकजुट है और एक विचार के रूप में पूरी तरह से मरा नहीं है." उन्होंने अपनी पोस्ट के आखिरी हिस्से में तिरंगे के साथ 'जय हिंद' लिखा.

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यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी को लेकर गिरफ्तार हुए प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद कौन हैं?

प्रोफेसर अली पर किस तरह के आरोप लगाए गए?

प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान और PoK में स्थित आतंकी संगठनों के खिलाफ हुए भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी की थी. इस मामले में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने खान को गिरफ्तार कर लिया. 

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