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आज का दिन: बच्चों के लिए कितना ख़तरनाक है कोरोना का XE वैरिएंट?

मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे का राजनीतिक महत्व कितना है? कांग्रेस के अंदर मची लड़ाइयों का क्या हल दे पाएंगे प्रशांत किशोर? और बच्चों के लिए कितना ख़तरनाक है कोरोना का XE वैरिएंट?, सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में सुनेंगे- मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे का राजनीतिक महत्व कितना है? कांग्रेस के अंदर मची लड़ाइयों का क्या हल दे पाएंगे प्रशांत किशोर? और बच्चों के लिए कितना ख़तरनाक है कोरोना का XE वैरिएंट?

आजतक रेडियो पर हम रोज़ लाते हैं देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियाँ और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं.

कितना राजनीतिक फ़ायदा देगा मोदी का J&K दौरा?

पीएम नरेंद्र मोदी कल जम्मू-कश्मीर के दौरे पर थे. यहां उन्होंने 20,000 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन किया. अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पीएम का यह पहला दौरा था.और कल पंचायती राज दिवस भी था तो उन्होंने सांबा जिले की पल्ली पंचायत से देश की ग्राम सभाओं को ऑनलाइन संबोधित भी किया. पीएम ने इस दौरान अपने सम्बोधन में कहा कि घाटी मे जिस तरह से लोगों को बुरे दौर से गुजरना पड़ा वो अब मै आज के नौजवानों के साथ नहीं होने दूंगा. और बीते कुछ दिनों से कश्मीर को लेकर खूब चर्चा हुई है, और घाटी में इसी साल चुनाव होने का भी अंदेशा है , ऐसे में पीएम मोदी के इस दौरे को पॉलिटिकली भी काफी अहम माना जा रहा है. तो राजनीतिक रूप से पीएम के इस दौरे को किस तरह देखा जाना चाहिए, वो भी तब जब कहा जा रहा है कि इसी साल घाटी में विधानसभा चुनाव भी हो सकते हैं.

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कांग्रेस के अंतर्कलह को कैसे निपटाएंगे PK?

इन दिनों दस जनपथ जो कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी का आवास है वहां रोज ही बैठकों का सिलसिला जारी है. पीके की कांग्रेस मे एंट्री को लेकर हलचल तो खूब है ही. पीके के साथ कांग्रेस आलाकमान की तीन बार बैठकें हो चुकीं। प्रशांत किशोर को कांग्रेस में लाने की बात तो चल ही रही है, लेकिन इसके अलावा कांग्रेस को 2024 चुनावों के लिहाज से प्लान भी तयार कर के दिया है। कहा जा रहा है कि पीके के उस प्लान में पार्टी के अध्यक्ष से लेकर , संगठन मे बदलाव और आने वाले चुनावों के लिए कैंडीडेट्स सबका खाका है. हालांकि चाहे वो राजस्थान हो या मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ कांग्रेस को उबारने की कोशिश मे दिख रहे पीके के पास उन राज्यों के लिए क्या प्लान है जहां कांग्रेस गुटबाज़ी का शिकार है? कांग्रेस आलाकमान पीके के सुझावों से सहमत कितना हो सकेगा, खास कर गै़र नेहरू खानदान के शख्स को अध्यक्ष बनाने की बात पर ?

'XE' के निशाने पर मासूम

ज्यों ही लगा था कि अब कोरोना जाने की ओर है, सरकारों ने मास्क की बाध्यता भी हटानी शुरू की , कि एक बार फिर कोरोना के केसेस बढ़ने लगे. नए केसेस के नंबर्स में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.  कल  कोरोना के 2593 आए. साथ ही कल 44 लोगों की मौत भी हुई है । अब इन बढ़ते केसेस के साथ सरकारी चिंता भी बढ़ रही है. इन्ही  चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री मोदी की 27 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग होनी है.  सबसे ज्यादा बुरा हाल दिल्ली और एनसीआर मे हैं। यहाँ केसेस तो बढ़ ही रहे हैं और कल आए  डाटा के मुताबिक आर वैल्यू भी बढ़कर दो हो गई है.  साथ ही बच्चों में कोरोना का XE वेरिएंट तेज़ी से फेल रहा है। कहा जा रहा है कि ये नया सब वैरिएन्ट बच्चों के लिये बहुत घातक है. इन सब के बीच सवाल ये उठ रहा है कि ये केसेस मे बढ़ोतरी आने वाले समय मे हमारे सामने कितनी बड़ी मुसीबत ले कर आने वाली है? क्या एहतियात बरतने चाहिए इस स्थिति से बचने के लिए

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घटती बरसात, बढ़ती चिंता

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपने अप्रैल के बुलेटन में अनुमान जताया था कि मॉनसून आने में देरी या कम बरसात भारत में खाद्य पदार्थों और उनके बढ़ते दामों के लिहाज से बड़ी मुसीबत बनेगा.  कई रिपोर्ट्स आई जिसमे कहा गया कि पिछले कुछ सालों में साल दर साल  बरसात लगातार कम होती चली गई है. और खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती महंगाई ने इतना तो क्लियर ही कर दिया है कि बरसात के लगातार घटते आंकड़े भारत की उपजाऊ क्षमता पर असर डाल रहे हैं. हालांकि आईएमडी ने कहा ज़रूर है कि इस बार भारत मे नॉर्मल मॉनसून रहने वाला है. लेकिन इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट के अनुसार ये नॉर्मल मानसून की बरसात पुराने नॉर्मल मॉनसून की बरसात से बहुत कम है. यानी कम बरसात इस बार भी होनी है भले ही हम इसे नॉर्मल मॉनसून कहें या मानें. तो ये नॉर्मल मानसून किस तरह से पुराने मॉनसून से कम है और पुराने आंकड़े क्या कहते हैं? इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.

25 अप्रैल 2022 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें...

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