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दो साल से रिलेशनशिप में था कपल, फिर शादी के 24 घंटे के भीतर क्यों ले लिया तलाक

महाराष्ट्र के पुणे में एक प्रेम विवाह शादी के 24 घंटे के भीतर ही टूट गया. दो से तीन साल से एक-दूसरे को जानने वाले दंपति ने गंभीर वैचारिक मतभेदों के चलते आपसी सहमति से तलाक ले लिया. महिला डॉक्टर और पुरुष इंजीनियर है. रहने की अनिश्चित व्यवस्था को लेकर सहमति न बनने पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत तुरंत फैसला सुनाया.

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प्रेम विवाह के 24 घंटे के भीतर तलाक.(Photo: Representational)
प्रेम विवाह के 24 घंटे के भीतर तलाक.(Photo: Representational)

महाराष्ट्र के पुणे से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां प्रेम विवाह करने वाले एक दंपति ने शादी के महज 24 घंटे के भीतर कानूनी रूप से अलग होने का फैसला कर लिया. शादी की रस्में पूरी होने के बाद जैसे ही असली ज़िंदगी की बातें सामने आईं, दोनों के बीच गंभीर मतभेद उभर आए. हालात इतने बिगड़े कि दंपति ने बिना देरी किए आपसी सहमति से तलाक लेने का रास्ता चुन लिया.

दरअसल, यह शादी प्रेम विवाह थी. दोनों एक-दूसरे को पिछले दो से तीन वर्षों से जानते थे और लंबे समय तक रिश्ते में रहने के बाद उन्होंने शादी का फैसला किया था. महिला पेशे से डॉक्टर है, जबकि पुरुष एक इंजीनियर है. शादी के तुरंत बाद ही दोनों के बीच रहने की व्यवस्था को लेकर मतभेद सामने आ गए.

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में अब दो नहीं तीन गठबंधन लेंगे आकार? पुणे में ठाकरे ब्रदर्स के साथ कांग्रेस की दोस्ती के मायने क्या

रहने की व्यवस्था बनी विवाद की वजह

मामले की पैरवी करने वाली एडवोकेट रानी सोनावणे के मुताबिक, शादी के बाद पति ने पत्नी को बताया कि वह जहाज पर काम करता है. ऐसे में उसे यह स्पष्ट नहीं होता कि उसकी पोस्टिंग कहां होगी, कितने समय के लिए होगी और वह कितने दिन घर से बाहर रहेगा. इस अनिश्चित जीवनशैली को लेकर दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई.

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एडवोकेट ने बताया कि पति-पत्नी के वैचारिक मतभेद इतने गहरे थे कि दोनों ने बिना किसी टकराव के अलग होने का फैसला कर लिया. इस पूरे मामले में कहीं भी हिंसा या किसी तरह के आपराधिक आरोप की बात सामने नहीं आई. दोनों ने शांतिपूर्वक कानूनी प्रक्रिया अपनाई और आपसी सहमति से विवाह समाप्त कर दिया.

तेजी से निपटा मामला, कोर्ट भी रहा हैरान

एडवोकेट रानी सोनावणे ने बताया कि भारत में तलाक के मामले आमतौर पर लंबे समय तक अदालतों में चलते हैं, लेकिन यह मामला बेहद तेजी से निपटा. शादी के अगले ही दिन दोनों अलग-अलग रहने लगे और कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया.

एडवोकेट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि इतना अहम मुद्दा, यानी रहने की अनिश्चित व्यवस्था, दो से तीन साल के रिश्ते के दौरान कभी गंभीरता से चर्चा में क्यों नहीं आया. हालांकि, दोनों ने समझदारी दिखाते हुए यह मान लिया कि आगे साथ रहना मुश्किल होगा और अलग होना ही बेहतर विकल्प है.

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