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ठाणे में बड़ा जीएसटी घोटाला... 47.32 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा आया सामने, आरोपी को धर दबोचा

केंद्रीय जीएसटी विभाग ने महाराष्ट्र के ठाणे में 47.32 करोड़ के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) घोटाले का भंडाफोड़ किया है. आरोप है कि एक कारोबारी ने फर्जी कंपनियों के जरिए बिना किसी सामान या सेवा की सप्लाई किए आईटीसी का दावा किया और उसे आगे पास किया. जांच में आरोपी के पास से बैंक पासबुक, चेकबुक, मोबाइल फोन और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए हैं. फिलहाल आरोपी को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी गई है.

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महाराष्ट्र के ठाणे में जीएसटी फ्रॉड का मामला आया सामने. (Photo: Representational)
महाराष्ट्र के ठाणे में जीएसटी फ्रॉड का मामला आया सामने. (Photo: Representational)

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में जीएसटी (Goods and Services Tax) क्रेडिट घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. इस मामले में ठाणे केंद्रीय जीएसटी आयुक्तालय की टीम ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिस पर 47.32 करोड़ रुपये के जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) क्रेडिट धोखाधड़ी का आरोप है. अधिकारियों के मुताबिक, यह फर्जीवाड़ा बिना किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति किए ही किया गया.

एजेंसी के अनुसार, केंद्रीय जीएसटी विभाग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जांच टीम ने एडवांस डेटा एनालिसिस टूल्स की मदद से इस मामले का खुलासा किया. जांच में सामने आया कि एम/एस केएसएम एंटरप्राइजेज नाम की फर्म, जिसे विवेक राजेश मौर्य चला रहा था, उसने झूठे दस्तावेजों और फर्जी लेनदेन के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया और उसे आगे भी पास किया.

जांच के दौरान 19 अगस्त को मौर्य के ठिकाने पर छापेमारी की गई, जहां से पुलिस ने कई अहम सबूत जुटाए. इनमें बैंक पासबुक, चेकबुक, मोबाइल फोन और उन दस्तावेजों का जखीरा शामिल है. अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी ने फर्जी संस्थाएं बनाकर यह घोटाला किया. इसमें अन्य लोगों की संलिप्तता भी सामने आ सकती है.

यह भी पढ़ें: MP: बाराती बनकर IT टीम पहुंची सतना, कारोबारियों के ठिकानों पर मारा छापा, करोड़ों के टैक्स चोरी की जांच

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गिरफ्तारी के बाद आरोपी को अदालत में पेश किया गया, जहां न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. जीएसटी विभाग का कहना है कि मामले की गहन जांच जारी है और आने वाले दिनों में और नाम भी सामने आ सकते हैं.

आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें कारोबारियों को अपने व्यवसाय में खरीदी गई चीजों या सेवाओं पर दिया गया टैक्स, उनकी बिक्री पर वसूले गए टैक्स से एडजस्ट करने की छूट मिलती है. इसका उद्देश्य टैक्स के दोहराव को रोकना है, लेकिन फर्जी कंपनियों और झूठे बिलों के जरिए कुछ लोग इस सिस्टम का दुरुपयोग कर रहे हैं.

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