बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई में गिरती हवा की गुणवत्ता और अधिकारियों की निष्क्रियता पर सोमवार को कड़ा संज्ञान लिया. चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम ए. अनखद की बेंच ने बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी और एमपीसीबी सचिव को मंगलवार यानी आज कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
यह आदेश अदालत द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति की 74 पन्नों की रिपोर्ट के बाद आया है. रिपोर्ट में मुंबई और नवी मुंबई के कॉन्स्ट्रक्शन और इंडस्ट्रियल साइट्स पर प्रदूषण नियंत्रण दिशानिर्देशों का पूरी तरह उल्लंघन पाया गया है.
कमेटी ने पाया कि धरातल पर नियमों का पालन कराने में संबंधित एजेंसियां पूरी तरह फेल रही हैं.

नियमों की धज्जियां उड़ा रहे निर्माण कार्य
कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी की जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. मुंबई और नवी मुंबई में चल रहे ज्यादातर निर्माण, तोड़फोड़ और सड़क कार्य साइट्स पर प्रदूषण रोकने के मौजूदा नियमों का बिल्कुल भी पालन नहीं हो रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि तमाम मानक संचालन प्रक्रियाओं और सर्कुलर के बावजूद अधिकारी इन्हें जमीन पर लागू करने में नाकाम रहे हैं. कोर्ट ने माना कि दोनों एजेंसियों के प्रमुखों को अपने अधिकारियों की इस लापरवाही और निष्क्रियता के लिए व्यक्तिगत रूप से जवाब देना होगा.
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हाई कोर्ट की नई बिल्डिंग कॉन्स्ट्रक्शन में भारी लापरवाही
कमेटी ने बांद्रा ईस्ट स्थित उस जगह का भी दौरा किया, जहां बॉम्बे हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग बनना प्रस्तावित है. वहां चल रही तोड़फोड़ की गतिविधियों को बेहद लापरवाह और खतरनाक तरीके से संचालित पाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, वहां बड़ी तादाद में धूल और मलबा फैला हुआ था लेकिन धूल को उड़ने से रोकने के लिए स्प्रिंकलर या स्मॉग गन जैसे कोई इंतजाम नहीं थे. वहां न तो बैरिकेडिंग थी और न ही मलबे को ढकने के लिए गीले कवर का इस्तेमाल किया गया था.
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सुरक्षा मानकों की अनदेखी का भी जिक्र किया है. कॉन्स्ट्रक्शन साइट्स पर न तो हवा की गुणवत्ता मापने वाले सेंसर लगे थे और न ही सीसीटीवी कैमरों से निगरानी हो रही थी. मलबे ले जाने वाले वाहन बिना ढके पाए गए और स्टील काटने वाले गैस सिलेंडर खुलेआम फुटपाथों पर रखे दिखे जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक है.
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जनहित याचिका और कोर्ट की फटकार
यह पूरी कार्यवाही 2023 में मुंबई की बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा एक जनहित याचिका के तहत की जा रही है. कोर्ट ने बीएमसी और एमपीसीबी को फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी निगरानी की कमी के कारण शहर की हवा जहरीली हो रही है. अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से यह समझाना होगा कि उनके डिपार्टमेंट प्रदूषण कम करने के लिए बनाए गए नियमों को लागू करने में क्यों फेल रहे. कोर्ट ने साफ किया है कि अब बड़े अधिकारियों को अपनी टीम की निष्क्रियता की जिम्मेदारी लेनी होगी.
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