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मोसुल में 39 भारतीयों की हत्या पर दिल्ली HC ने की याचिका खारिज

कोर्ट का रुख देखते हुए वकील महमूद प्राचा ने अपनी याचिका वापस ले ली है. अब वह याचिका में सुधार कर फिर से जनहित याचिका दायर करेंगे. बता दें कि महमूद प्राचा की याचिका में बताया गया है कि नवंबर, 2014 में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और मुस्लिम नेताओं का एक दल इराक जा रहा था ताकि वहां के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर आतंक के खिलाफ अभियान चलाया जा सके.

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इराक के मोसूल में मारे गए थे 39 भारतीय
इराक के मोसूल में मारे गए थे 39 भारतीय

आंतकी संगठन आईएसआईएस द्वारा इराक के मोसुल में मारे गए 39 भारतीय को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजीव शकधर ने याचिका पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इस पुरानी याचिका में नई अर्जी से कोई लेना- देना नही है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि उन्हें मोसुल जाने से रोकने और वहां 39 लोगों के मारे जाने का आपस में कोई लेना-देना नहीं है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि या तो वह याचिका खारिज करें या फिर वह याचिका वापस लें और उसके पास फिर से दायर करने का अधिकार है.

कोर्ट का रुख देखते हुए वकील महमूद प्राचा ने अपनी याचिका वापस ले ली है. अब वह याचिका में सुधार कर फिर से जनहित याचिका दायर करेंगे. बता दें कि महमूद प्राचा की याचिका में बताया गया है कि नवंबर, 2014 में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और मुस्लिम नेताओं का एक दल इराक जा रहा था ताकि वहां के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर आतंक के खिलाफ अभियान चलाया जा सके. इस दल में याचिकाकर्ता खुद भी शामिल थे. इराक सरकार ने भी इसके लिए मंजूरी दे दी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें नहीं जाने दिया. महमूद प्राचा के मुताबिक 24 नवंबर, 2014 को जब वह अपने दल के साथ इराक जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे तो उन्हें रोक दिया गया. उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी है.

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महमूद प्राचा ने अपनी अर्जी में कहा है कि केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से मोसुल में 39 भारतीयों की जान गई. ऐसे में कोर्ट इस पूरे मामले की न्यायिक जांच करने के आदेश दे. महमूद प्राचा का दावा है कि उन्हें इराक जाने से इसलिए रोका गया था ताकि सरकार की सच्चाई सामने ना आए. उन्होंने बताया कि इराक जाने के पीछे उनका मकसद आतंक के खिलाफ अभियान के साथ- साथ आंतकी संगठन आईएसआईएस द्वारा बंधक बनाए गए कुछ भारतीय लोगों की मदद करना था. महमूद प्राचा का आरोप है कि सरकार और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मसले पर देश को गलत जानकारी देकर गुमराह किया. अब सरकार कॉफिन (शव रखने वाले ताबूत) खोलने नहीं दे रही है, जो कि गलत है.

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