दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और ट्रैफिक कंजेशन को लेकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को दिल्ली सचिवालय में एक अहम हाई-लेवल बैठक की. इसमें दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दिल्ली पुलिस और ट्रैफिक विभाग के आला अफसर भी मौजूद रहे.
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में राजधानी की सड़कों पर बढ़ते जाम और उससे होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए कई सख्त और नए विकल्पों पर गंभीरता से चर्चा हुई.
बैठक में स्पेशल सीपी देवेश श्रीवास्तव और एडिशनल सीपी ट्रैफिक डीके गुप्ता सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए. चर्चा का मुख्य फोकस दिल्ली के प्रमुख ट्रैफिक हॉटस्पॉट्स पर कंजेशन कम करने, ऑफिस टाइम में निजी गाड़ियों की भीड़ घटाने और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने पर रहा.
ओला-उबर की तरह चलेगी निजी बस
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बैठक में ओला और उबर जैसी कैब कंपनियों से दिल्ली-एनसीआर में उनकी निजी बसें चलाने की संभावना पर भी विचार किया. इसका मकसद यह है कि बड़ी संख्या में लोग अपनी निजी कार या टैक्सी की बजाय इन बस सेवाओं का इस्तेमाल करें, जिससे सड़कों पर वाहनों की संख्या घटे और ट्रैफिक जाम के साथ-साथ प्रदूषण भी कम हो.
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दिल्ली-एनसीआर से रोज़ाना लाखों लोग निजी कार या टैक्सी से दफ्तर आते-जाते हैं, जिससे पीक ऑवर्स में सड़कों पर भारी दबाव बनता है. सरकार का मानना है कि अगर निजी कंपनियों की संगठित बस सेवाएं शुरू होती हैं तो यह सार्वजनिक परिवहन का एक प्रभावी विकल्प बन सकता है.
पीयूसी को लेकर सख्ती
बैठक में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर एक और अहम मुद्दा उठाया गया-PUC (Pollution Under Control) सर्टिफिकेट. सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि बिना वैध PUC सर्टिफिकेट के वाहन चलाने वालों पर अब ₹10,000 का चालान काटा जाएगा.
बैठक में इस बात को लेकर भी जोर दिया गया कि पीयूसी सर्टिफिकेट ना रखने वाले लोगों का ₹10000 का ही चालान काटा जाए. अमूमन जिन लोगों का पीयूसी सर्टिफिकेट ना होने की वजह से चालान कटता है वह लोक अदालत से ₹100 देकर अपना चालान माफ करवा लेते हैं लेकिन अब सरकार चाहती है कि लोग ज्यादा से ज्यादा पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाए इसलिए पीयूसी सर्टिफिकेट ना होने पर ₹10000 का चालान ही काटा जाएगा.
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लगातार बढ़ रहा है प्रदूषण
आपको बता दें कि सर्दियों के साथ ही दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक सोमवार सुबह राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स ‘बहुत खराब’ श्रेणी का दर्ज किया गया. इसका असर लोगों की सेहत पर भी साफ दिख रहा है. मेडिकल स्टोर्स पर आई ड्रॉप्स, मास्क और नेब्युलाइज़र की बिक्री में तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रैफिक कंजेशन पर सख्ती से नियंत्रण और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत किया गया, तो प्रदूषण से निपटने में दिल्ली को बड़ी राहत मिल सकती है.