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देश में पहली बार छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने शुरू की ऑनलाइन किराया वसूली, बिचौलियों का खेल खत्म!

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि पहले बोर्ड को सालाना 5 लाख रुपए भी किराए से नहीं मिलते थे. अब इस ऑनलाइन सिस्टम से हमें उम्मीद है कि आय सैकड़ों करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है. यह पैसा गरीब और जरूरतमंद मुसलमानों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण योजनाओं में लगाया जाएगा.

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इस कदम का उद्देश्य किराए की आय में इजाफा करना है. (फोटो:AI )
इस कदम का उद्देश्य किराए की आय में इजाफा करना है. (फोटो:AI )

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों का किराया ऑनलाइन वसूलने की अनूठी पहल शुरू की है. यह भारत में अपनी तरह का पहला कदम है, जिसका मकसद मस्जिदों और मुस्लिम बंदोबस्तों के प्रबंधन को पारदर्शी और आधुनिक बनाना है.

इस नई व्यवस्था के तहत राज्य की सभी मस्जिदों को एक ऑनलाइन अकाउंटिंग सिस्टम से जोड़ा गया है. पहले किराया मैनुअल और कई बार गैर-पारदर्शी तरीकों से वसूला जाता था, लेकिन अब किराएदार डिजिटल तरीके से भुगतान करेंगे. इससे जवाबदेही बढ़ेगी और फंड का सही उपयोग सुनिश्चित होगा.

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने बताया कि इस कदम से बिचौलियों का खेल खत्म होगा और हर पैसा सही जगह पहुंचेगा. aajtak से बातचीत में सलीम ने कहा, "पहले बोर्ड को सालाना 5 लाख रुपए भी किराए से नहीं मिलते थे. अब इस ऑनलाइन सिस्टम से हमें उम्मीद है कि आय सैकड़ों करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है. यह पैसा गरीब और जरूरतमंद मुसलमानों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण योजनाओं में लगाया जाएगा."

उन्होंने आगे कहा, "किराएदारों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि भुगतान कैसे करना है और उनका पैसा कहां उपयोग होगा. हमारा लक्ष्य है कि वक्फ संपत्तियां वास्तव में समुदाय की भलाई के लिए काम करें."

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छत्तीसगढ़ के इस कदम की तारीफ हो रही है और इसे अन्य राज्यों के लिए नजीर माना जा रहा है, जहां वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी और बिचौलियों का दखल बड़ी समस्या है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न केवल बोर्ड मजबूत होगा, बल्कि जरूरतमंद परिवारों की जिंदगी में भी बड़ा बदलाव आएगा.

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