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सरकार और संगठन पर निगाहें, बस्तर पर निशाना... छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बदलाव के पीछे क्या?

कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है. पार्टी ने मोहन मरकाम की जगह दीपक बैजल को नया अध्यक्ष बनाया है. मोहन मरकाम को प्रेम साय सिंह टेकाम की जगह कैबिनेट में जगह दी गई है. चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस की ओर से किए गए इस बदलाव के मायने क्या हैं?

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छत्तीसगढ़ कांग्रेस में संगठन से सरकार तक बदलाव
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में संगठन से सरकार तक बदलाव

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक्शन में है. चुनावी राज्यों में संगठन के भीतर की रार, गुटबाजी खत्म कराने के बाद नेतृत्व का फोकस अब संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने पर है. राजस्थान में 192 पदाधिकारियों वाली भारी-भरकम कार्यकारिणी घोषित करने के बाद कांग्रेस ने हिंदी पट्टी के दूसरे चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ में भी संगठन में बदलाव कर दिया है.

कांग्रेस ने मोहन मरकाम को छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर दीपक बैज को कमान सौंप दी है. मोहन को सूबे की सरकार में मंत्री बनाया गया है. मोहन मरकाम और दीपक बैज, दोनों ही आदिवासी समुदाय से आते हैं. कुछ ही महीने बाद सूबे में विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस के इस कदम को सरकार और संगठन में तालमेल बेहतर बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.

प्रदेश अध्यक्ष बदलने के मायने क्या

छत्तीसगढ़ में इसी साल नवंबर-दिसंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बदलने के मायने क्या हैं? 2018 के चुनाव में 15 साल का सूखा खत्म कर सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती कि सरकार और संगठन में सामंजस्य की कमी के कारण उसकी फिर से सरकार बनाने की संभावनाओं को ठेस पहुंचे.

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संगठन और सरकार के बीच करीब एक साल से तल्खियां बढ़ गई थीं. मोहन मरकाम ने अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए थे. इसके बाद रायपुर से दिल्ली तक हलचल मच गई थी. भूपेश बघेल ने कांग्रेस हाईकमान के सामने भी ये मुद्दा उठाया था. बघेल और मरकाम के रिश्ते उस वक्त से अधिक तल्ख हो गए जब भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले की बात सामने आई थी.

टीएस सिंहदेव (फाइल फोटोः पीटीआई)
टीएस सिंहदेव (फाइल फोटोः पीटीआई)

कहा जा रहा है कि तब शक्ति प्रदर्शन के लिए बघेल ने मरकाम से कुछ विधायकों को भेजने के लिए कहा था. मरकाम ने कुछ विधायकों को दिल्ली भेजा भी. इसके बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी पीएल पुनिया के कहने पर मरकाम ने सार्वजनिक रूप से ये बयान दिया कि किसी भी विधायक को परेड के लिए कांग्रेस मुख्यालय नहीं बुलाया गया है. इस बयान के बाद से ही बघेल और मरकाम के रिश्ते बिगड़ते चले गए. हाल ही में मरकाम ने रवि घोष की जगह अरुण सिसोदिया की संगठन में नियुक्ति कर दी, जिसका बघेल विरोध कर रहे थे. कुमारी शैलजा ने ये फैसला पलट दिया था.

मरकाम को हटाने पर क्या है जानकारों की राय

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मोहन मरकाम को छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाए जाने और सरकार में मंत्री बनाए जाने के फैसले पर राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशचंद्र होता ने कहा कि संगठन और सरकार में मतभेद तब खुलकर सामने आ गए, जब अमरजीत चावला को रायपुर का प्रभारी नियुक्त कर दिया गया. मरकाम खेमे की ओर से इसे समझौता फॉर्मूले के रूप में पेश किया गया.

रायपुर में कांग्रेस के 85वें अधिवेशन से पहले होर्डिंग-पोस्टर से मरकाम का चेहरा गायब था. वह भी तब, जब मोहन मरकाम ही स्वागत समिति के प्रमुख थे. पिछले दिनों में मरकाम की ओर से संगठन में नियुक्ति के फैसले जब कुमारी शैलजा ने पलट दिए, तभी संकेत साफ था कि संगठन में अब बड़े बदलाव की तैयारी है.

सरकार-संगठन में फेरबदल से क्या होगा असर

कांग्रेस ने सरकार से संगठन तक जो बदलाव किया है, उसमें आदिवासी फैक्टर का खास ध्यान रखा गया है. सरकार की कमान जहां पिछड़ा वर्ग से आने वाले भूपेश बघेल के हाथ में है. वहीं, राजपूत समाज के टीएस सिंहदेव सरकार को डिप्टी सीएम बनाकर नंबर दो का ओहदा दिया गया. अब संगठन की कमान एक आदिवासी नेता से लेकर दूसरे आदिवासी नेता को दे दी गई है. मंत्रिमंडल में भी इसी तरह का बदलाव हुआ है.

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फाइल फोटो)
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फाइल फोटो)

प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन और कैबिनेट में बदलाव पर बस्तर फैक्टर भी हावी नजर आ रहा है. मरकाम कोंडागांव से आते हैं, जो बस्तर संभाग में है. दीपक बस्तर लोकसभा सीट से ही सांसद हैं. सरगुजा के हिस्से का एक मंत्री हटाकर सरकार में बस्तर की भागीदारी बढ़ाई गई है. मरकाम को प्रेम साय सिंह टेकाम की जगह मंत्री बनाया गया है.

छत्तीसगढ़ की सियासत में रायपुर की गद्दी को लेकर दो बातें कही जाती हैं. एक यह कि सत्ता की चाबी आदिवासी वोटर के हाथ में है. दूसरी यह कि सत्ता का रास्ता बस्तर संभाग से होकर जाता है.

संगठन से लेकर सरकार तक परिवर्तन के जो तीन किरदार हैं, तीनों ही आदिवासी हैं. मरकाम और बैज तो बस्तर संभाग से ही आते हैं. बघेल कैबिनेट से हटाए गए टेकाम सरगुजा से आते हैं. इस बदलाव में बस्तर फैक्टर का प्रभाव साफ नजर आ रहा है.

कांग्रेस के दांव की काट के लिए क्या है बीजेपी का प्लान

कांग्रेस ने सरकार से संगठन तक सवर्ण, ओबीसी और आदिवासी का समीकरण सेट कर दिया है. बीजेपी भी इसे समझ रही है. इसीलिए टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला हो या संगठन में बदलाव का ऐलान, पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने ट्वीट कर दोनों ही फैसलों पर तंज किया. डॉक्टर सिंह ने इस फैसले को सौ दिन का झुनझुना बताया है.

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दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हर दांव की काट के लिए बीजेपी का फोकस मुख्य रूप से तीन बातों पर नजर आ रहा है. आदिवासी प्रतीकों के सहारे आदिवासियों को साधने की कवायद, पीएम मोदी और केंद्रीय नेतृत्व का चेहरा आगे कर चुनाव मैदान में उतरने की रणनीति और विधानसभा चुनाव तक पीएम मोदी और अमित शाह के हर महीने कम से कम दो दौरों का प्लान. बीजेपी ने आदिवासी महानायकों की जन्मस्थली से पुरखौती सम्मान यात्रा निकाली थी. देखना ये होगा कि कांग्रेस का दांव चलेगा या बीजेपी की रणनीति सफल होगी?

 

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