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छत्तीसगढ़ में जमीन का मालिकाना हक बदलना हुआ आसान, अब जिला रजिस्ट्रार संभालेंगे काम

इस नए नियम से जमीन के रिकॉर्ड में बदलाव (म्यूटेशन) जल्दी हो सकेगा. पहले तहसीलदार को जमीन हस्तांतरण की मंजूरी देनी पड़ती थी, जिसके कारण प्रक्रिया में देरी होती थी. अब पंजीयक कार्यालय, जहां जमीन की बिक्री पहले ही दर्ज हो चुकी है.

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छत्तीसगढ़ सरकार ने मालिकाना हक को बदलने की प्रक्रिया को आसान बनाया.
छत्तीसगढ़ सरकार ने मालिकाना हक को बदलने की प्रक्रिया को आसान बनाया.

छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीन के मालिकाना हक को बदलने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. अब जिला पंजीयक (District Registrar) और उप-पंजीयक को यह अधिकार दे दिया गया है कि वे पंजीकृत बिक्री विलेख (रजिस्टर्ड सेल डीड) के आधार पर जमीन का हस्तांतरण (म्यूटेशन) कर सकें. पहले यह काम तहसीलदार करते थे, लेकिन अब यह जिम्मेदारी रजिस्ट्रार ऑफिस को दी गई है.

राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने इस संबंध में एक नया निर्देश जारी किया है, जो छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित हो चुका है. यह नियम छत्तीसगढ़ भूमि राजस्व संहिता 1959 के तहत लाया गया है. इस बदलाव का मकसद प्रशासनिक काम को तेज करना और अनावश्यक देरी को रोकना है.

क्या होगा फायदा?
अधिकारियों का कहना है कि इस नए नियम से जमीन के रिकॉर्ड में बदलाव (म्यूटेशन) जल्दी हो सकेगा. पहले तहसीलदार को जमीन हस्तांतरण की मंजूरी देनी पड़ती थी, जिसके कारण प्रक्रिया में देरी होती थी. अब पंजीयक कार्यालय, जहां जमीन की बिक्री पहले ही दर्ज हो चुकी है, वहीं हस्तांतरण का काम भी पूरा कर देगा. इससे बार-बार एक ही काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और प्रक्रिया आसान हो जाएगी.

राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ''यह कदम लालफीताशाही को कम करेगा. जमीन मालिकों को बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. इससे प्रणाली तेज और पारदर्शी बनेगी.''

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पारदर्शिता और दक्षता पर जोर
इस बदलाव से सरकार जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना चाहती है. अब जमीन का सही मालिकाना हक जल्दी और बिना किसी रुकावट के दर्ज हो सकेगा. यह आदेश राज्यपाल के नाम से जारी किया गया है और राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं. यह नियम छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से लागू हो गया है.

लोगों को राहत की उम्मीद
जमीन मालिकों और कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि पहले हस्तांतरण में होने वाली देरी से काफी परेशानी होती थी. अब इस नए नियम से उनकी समस्याएं कम होंगी और जमीन के रिकॉर्ड जल्दी अपडेट हो सकेंगे.

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