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गया सामूहिक बलात्कार मामलाः नेता को देख भागी पीड़िता, पुलिस बोली-FIR दर्ज कराएंगे

मीडिया के जमावड़े से नाराज पीड़ित महिला ने कहा कि वो कितनी बार घटना के बारे में मीडिया को बताएगी. उस समय आरजेडी के कार्यकर्ता नारेबाजी कर रहे थे.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

गया में सामूहिक दुष्कर्म की घटना को लेकर बिहार में राजनीति तेज होती जा रही है और विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है, लेकिन इसकी वजह से पीड़िता को खासी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है.

शुक्रवार को स्थिति उस समय अजीबोगरीब हो गई जब आरजेडी के एक नेता पीड़िता को ढांढस बंधाने के लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे तो वहां खुद पीड़िता को ही इससे दिक्कत होने लगी और वहां से निकल भागने की कोशिश करने लगी.

मीडिया के जमावड़े से नाराज पीड़ित महिला ने कहा कि वो कितनी बार घटना के बारे में मीडिया को बताएगी. उस समय आरजेडी के कार्यकर्ता नारेबाजी कर रहे थे.

इस संबंध में गया एसएसपी ने बताया कि वीडियो को सत्यापित कर रहे हैं. पीड़िता के साथ जोर जबरदस्ती की गई है. घटना में यदि पीड़िता की पहचान जारी करना पोस्को एक्ट के तहत आपराधिक कृत्य है तो इसकी सत्यापन के बाद प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

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उन्होंने हिदायत देते हुए कहा कि इसलिए कोई भी पीड़िता की पहचान से संबंधित सूचना जारी न करे. आरजेडी के नेता आलोक मेहता की अगुवाई में पीड़िता से मिलने गए हुए थे.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि इस घटना का राजनीतिकरण करने की कोई जरुरत नहीं है. विपक्ष के होने के नाते अगर किसी को इंसाफ नहीं मिल रहा तो हम लोगों ने एक समिति बनाई है, जो इस पर नजर रखेगी कि पीड़ित परिवार को न्याय मिल रहा है या नहीं. अगर परिवार ऐसा नहीं चाहता तो हम कुछ नहीं पूछेंगे. ऐसे में आप लोग कहोगे कि कुछ पुछते नहीं. यह प्रशासन की नाकामी है. इतनी बड़ी घटना के बाद भी मुख्यमंत्री ने चुप्पी नहीं तोड़ी है.

राष्ट्रपति शासन की मांग

गया की घटना और हाल में घटी कुछ ऐसी घटनाओं को देखते हुए आरजेडी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि जिस प्रकार से बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने हाल में बिहार में हुई छेड़खानी और बलात्कार की घटनाओं के बाद कहा कि पुलिस में जाने से पहले लड़कियां राजभवन में फोन करें. इससे साफ है कि उनको भी यहां की कानून-व्यवस्था पर भरोसा नहीं रह गया है.

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उन्होंने कहा कि पीड़िता लोगों से मिलने को लेकर सजग नहीं थी, क्योंकि हर किसी को बार-बार एक ही बात रिपीट करनी पड़ रही थी. नेता ही क्यों मीडिया वाले भी इसके लिए जिम्मेदार हैं जो बार-बार उससे बाइट लेने गए. खासतौर पर उन्होंने जो क्लिप देखा है जिसमें पीड़िता का कहना था कि वह मीडिया से बात नहीं करेगी.

तेजस्वी यादव ने पटना में सत्ता पक्ष पर बरसते हुए कहा कि पहले हर घटना पर आंसू पोंछने वाले उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी अब पीड़ितों से क्यों नहीं मिलते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप क्यों हैं. राज्यपाल ने जो सवाल उठाया है उस पर जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं?

घटना को दुर्भाग्यपूर्णः सुशील मोदी

दूसरी ओर, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट करके गया की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर छाती पीटने से पहले आरजेडी को लालू-राबड़ी राज के 15 सालों का डरावना आपराधिक रिकार्ड देखना चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि नाबालिग से बलात्कार करने के मामले में बंदी राजबल्लभ यादव के खिलाफ पार्टी ने क्या कार्रवाई की और सिवान में एक व्यापारी के तीन बेटों की निर्मम हत्या करने समेत कई मामलों में सजायाफ्ता पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को जमानत मिलने पर जश्न क्यों मनाया गया था? अपराध का राजनीतिकरण करने वाले लोग बयानबाजी कर साधु बन रहे हैं.

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