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क्या है सेकंड हैंड स्मोकिंग जो सिगरेट ना पीने वालों को भी बना रही कैंसर का मरीज

भारत समेत पूरी दुनिया में धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी लंग कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं. डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेकेंड हैंड स्मोकिंग और वायु प्रदूषण इसका एक बड़ा कारण है. सेकेंड हैंड स्मोकिंग (Second-hand smoke) का मतलब खुद धूम्रपान ना करना बल्कि किसी और के जलाए गए सिगरेट के धुएं में सांस लेना है जो बेहद खतरनाक है.

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सेकंड हैंड स्मोकिंग है हवा में घुला जहर
सेकंड हैंड स्मोकिंग है हवा में घुला जहर

जब भी हम फेफड़ों के कैंसर के किसी मरीज के बारे में सुनते या उसे देखते हैं तो हमारे दिमाग में तो सबसे पहला ख्याल आता है कि इसने अपने जीवन में खूब सिगरेट पी होगी. यह एक आम धारणा है लेकिन हालिया तस्वीर इससे उलट है. अगर आपको लगता है कि सिर्फ इसलिए कि आप सिगरेट नहीं पीते इसलिए आप सिगरेट से होने वाले नुकसान से सुरक्षित हैं तो आप गलत सोच रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों और हालिया रिपोर्टों की मानें तो यह धारणा अब खतरनाक रूप से गलत साबित हो रही है. 

भारत और पूरे एशिया में फेफड़ों के कैंसर से जुड़ी रिपोर्टों के अनुसार, धूम्रपान न करने वाली एक बड़ी आबादी तेजी से फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो रही है. डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का स्पष्ट कहना है कि इसका एक मुख्य कारण है 'सेकेंड हैंड स्मोकिंग' - यानी वो धुआं जो आप पीते नहीं, बल्कि जिसमें आप सांस लेते हैं. यह एक खामोश हत्यारा है, जो बिना दस्तक दिए आपके फेफड़ों पर हमला कर रहा है.

क्या है सेकेंड हैंड स्मोकिंग?
अक्सर हम किसी सार्वजनिक स्थान, दफ्तर के बाहर या घर की बालकनी में किसी को सिगरेट पीते देखते हैं और उसके धुएं की महक को नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाते हैं. अंग्रेजी वेबसाइट बिजनस स्टैंडर्ड के साथ बातचीज में मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के थोरेसिक सर्जन और सेलुलर थेरेपिस्ट डॉ. प्रसाद अदुसुमिल्ली कहते हैं, 'सेकंडहैंड स्मोकिंग यानी कोई आपके आसपास सिगरेट पी रहा हो और आप तक उसका धुआं आ रहा है तो उसे सिर्फ खराब महक मत समझिए. ये आपके लिए एक खतरा है. एक ऐसा आने वाला खतरा, जो आपके दिल, फेफड़ों और यहां तक कि आपके बच्चों के स्वास्थ्य को भी ऐसा नुकसान पहुंचा सकता है जिसका आपको शायद एहसास भी नहीं होता.'

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सेकंड हैंड स्मोकिंग से बढ़ रहा कैंसर का खतरा

ये धुआं है जानलेवा कॉकटेल

सेकेंड हैंड धुआं दो तरह के धुएं का एक जानलेवा कॉकटेल है. पहला जो धूम्रपान करने वाला व्यक्ति बाहर छोड़ता है और दूसरा, जो जलती हुई सिगरेट, बीड़ी या सिगार के सिरे से सीधे हवा में घुलता है.

अमेरिकी स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के तहत आने वाली नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, सेकेंड हैंड धुएं में 7,000 से भी ज्यादा हानिकारक रसायनों की पहचान की गई है. चिंता की बात यह है कि इनमें से कम से कम 69 रसायन ऐसे हैं जो सीधे तौर पर कैंसर पैदा करने के लिए जाने जाते हैं. इनमें आर्सेनिक, बेंजीन, बेरिलियम, क्रोमियम और फॉर्मलाडेहाइड जैसे बेहद जहरीले पदार्थ शामिल हैं.

जब ये केमिकल सांस के जरिए आपके शरीर में प्रवेश करते हैं तो वे आपके फेफड़ों की नाजुक कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं. डॉ. अदुसुमिल्ली चेतावनी देते हैं, 'जो लोग नियमित रूप से धूम्रपान के संपर्क में आते हैं, उनमें हृदय रोग, स्ट्रोक और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बहुत अधिक होता है.'

हवा में घुल रहा है जहर
भारत में यह खतरा सिर्फ सिगरेट पीने वालों के आसपास रहने तक सीमित नहीं है. हमारे कुछ शहरों की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि वह सिगरेट-बीड़ी न पीने वालों को भी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी दे सकती है. खासकर सर्दियों के महीनों में, भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के एनसीआर क्षेत्र की हवा एक गैस चैंबर में तब्दील हो जाती है. अक्टूबर से मार्च तक हवा की गुणवत्ता (AQI) अक्सर 400 से 450 के खतरनाक स्तर पर या कई बार इससे भी ऊपर चली जाती है.

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थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के मीडिया प्लेटफॉर्म 'context' ने अपनी एक रिपोर्ट में अमेरिकी गैर-लाभकारी संस्थान 'बर्कले अर्थ' के ऑनलाइन कैलकुलेटर का हवाला देते हुए एक भयावह तस्वीर पेश की है. इस कैलकुलेटर के अनुसार, 400 से 450 AQI वाली हवा में दिन भर सांस लेने का मतलब है कि आपके फेफड़ों के अंदर 27 सिगरेट पीने के बराबर का धुआं और जहरीले कण जा रहे हैं. यह आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि आप बिना सिगरेट को हाथ लगाए भी हर दिन धूम्रपान करने वालों से ज्यादा जहर अपने अंदर ले रहे हैं.

क्यों बढ़ रहा है ये खतरा

क्या खुली जगहों पर दूरी बनाना काफी है?
एक और आम गलतफहमी यह है कि अगर कोई खुली जगह पर सिगरेट पी रहा है, तो उससे कुछ कदम दूर चले जाने से आप सुरक्षित हो जाते हैं. डॉ. अदुसुमिली इस धारणा को सिरे से खारिज करते हैं. वह कहते हैं, 'सिगरेट बुझने के काफी समय बाद तक सेकेंड हैंड धुएं के जहरीले कण हवा और सतहों पर मौजूद रहते हैं. धूम्रपान करने वाले से दूर हट जाना या खिड़कियां खोल देना ही अपनी सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है. ये जहरीले कण आपकी कार की सीटों, घर के पर्दों, सोफों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर घंटों, यहां तक कि कई दिनों तक भी चिपके रह सकते हैं.'

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उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह के जोखिम का कोई सुरक्षित स्तर नहीं होता. सुरक्षा आंशिक नहीं हो सकती. इसका मतलब है कि थोड़ा बचाव आपको सुरक्षा नहीं देगा, आपको इस जहर से पूरी तरह बचना होगा. यह खतरा गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए और भी खतरनाक है. इसके संपर्क में आने से गर्भवती महिला के होने वाले बच्चे का वजन कम हो सकता है, समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है और बच्चे को आगे चलकर कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

कैसे बचें इस अदृश्य दुश्मन से?
तो सवाल उठता है कि इस खामोश खतरे से खुद को और अपने परिवार को कैसे बचाया जाए. इसके लिए कुछ कदम तुरंत उठाए जाने चाहिए.

1.    कड़े कानून: सरकारों को सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान को लेकर बनाए गए कानूनों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना होगा.
2.    धूम्रपान-मुक्त घर (Smoke-Free Homes): हर व्यक्ति को यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि वो अपने घर को पूरी तरह से धूम्रपान-मुक्त बनाए. घर में किसी को भी धूम्रपान करने की इजाजत न दी जाए.

3.    जागरूकता: लोगों को सेकेंड हैंड धुएं के खतरों के बारे में शिक्षित करना सबसे जरूरी है. उन्हें यह समझाना होगा कि यह केवल एक असुविधा नहीं बल्कि एक जानलेवा खतरा है.

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