सोशल मीडिया पर अखबार की एक कटिंग के जरिए कहा जा रहा है कि झारखंड के एक निजी स्कूल में एलकेजी और यूकेजी के बच्चों को पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान याद करने का होमवर्क दिया गया. इस कटिंग को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स स्कूल की कड़ी आलोचना कर रहे हैं. घटना झारखंड के घाटशिला की बताई गई है. लोग अपील कर रहे हैं कि देश-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त इस स्कूल के संचालन और फंडिंग करने वालों की जांच होनी चाहिए.
इस पोस्ट को झारखंड के पहले सीएम और राज्य के बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के सोशल मीडिया हैंडल्स से भी शेयर किया गया है.

वायरल फोटो के साथ फेसबुक पर लोग कैप्शन में लिख रहे हैं, "झारखंड को 'मिनी बांग्लादेश' बनाने की साजिश चरम पर है. LKG और UKG कक्षा के बच्चों को बांग्लादेश और पाकिस्तान का राष्ट्रगान रटवा कर नन्ही उम्र में ही ब्रेनवाश किया जा रहा है. यह संयोग नहीं, बल्कि झारखंड की आदिवासी मूलवासी पहचान को मिटाने का खतरनाक प्रयोग है. देश विरोधी गतिविधि में संलिप्त इस स्कुल का संचालन और फंडिंग करने वाले गिरोह की सघनता से जांच करने की आवश्यकता है. अपने संरक्षण में बांग्लादेशी घुसपैठियों के फर्जी कागजात तैयार कर उन्हें झारखंड में बसाने वाली झामुमो कांग्रेस सरकार से ऐसे संवेदनशील विषयों में कारवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती. NIA मामले का संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करें.”
कई अलग-अलग कैप्शन के साथ ये कटिंग एक्स और फेसबुक पर पोस्ट की जा रही है. वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

आज तक फैक्ट चेक ने पाया कि झारखंड की ये घटना हाल-फिलहाल की नहीं बल्कि 2020 की है.
कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें इस मामले के बारे में छपी जुलाई 2020 की कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलींं. ‘दैनिक भास्कर’ की खबर में बताया गया है कि ये मामला घाटशिला के संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर स्कूल का था. वायरल कटिंग भी ‘दैनिक भास्कर’ की है.
बच्चों को पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान याद करने का होमवर्क मिलने पर कई अभिभावकों ने आपत्ति जताई थी. एलकेजी और यूकेजी के बच्चों को ऐसा करने के लिए निर्देश व्हाट्सएप ग्रुप पर दिए गए थे क्योंकि उस समय कोरोना चल चल रहा था और क्लासेस ऑनलाइन हो रही थीं.
बवाल खड़ा होने पर स्कूल ने यह निर्देश वापस ले लिया था. उस समय शैला परवीन नाम की जिस शिक्षिका ने बच्चों को यह होमवर्क दिया था उसका कहना था कि ऐसा करने के लिए उसे स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा था. इस मामले पर राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने स्कूल पर देशद्रोह के आरोप लगा दिए थे. बवाल बढ़ जाने के बाद स्कूल के प्रिंसिपल संजय मलिक को निलंबित कर दिया गया था.
इस घटना को लेकर ‘द क्विटं’ ने भी खबर छापी थी. खबर के अनुसार, प्रिंसिपल मलिक का कहना था कि स्कूल के खिलाफ झूठ फैलाया गया है. उन्होंने बताया था कि बच्चों को एक इंटरनेशनल अवार्ड को ध्यान में रखते हुए यह प्रैक्टिस कराई जा रही थी. प्रैक्टिस में एलकेजी और यूकेजी के बच्चों को "अपने पड़ोसी देशों को जानें" नाम का एक टास्क दिया गया था. इस टास्क में पड़ोसी देश के राष्ट्रीय गीत, राष्ट्रीय प्रतीक, फूल, पशु से अवगत कराने की कोशिश की जा रही थी. इन देशों में चीन, पाकिस्तान, भूटान और बांग्लादेश शामिल थे. बच्चों से राष्ट्रगान की सिर्फ दो लाइनें याद करने के लिए कहा गया था. मलिक का पूरा बयान नीचे सुना जा सकता है.
इस प्रकार ये स्पष्ट हो जाता है कि ये मामला चार साल पुराना है जिसे अभी का बताकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है.