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ट्रंप की धमकी या रूस का डर, क्यों डिफेंस बजट बढ़ाने पर राजी दिख रहे NATO के सदस्य?

NATO के लीडर अपना डिफेंस बजट बढ़ाने के लिए बैठक कर रहे हैं. लेकिन सदस्य देश स्पेन इसमें अड़ंगा लगा सकता है. इससे पहले यह काम कनाडा के जिम्मे रहा. अमेरिका ने कई बार कनाडा को 'फ्री राइडर' तक कह दिया. उसका आरोप है कि कनाडा रक्षा के सारे फायदे तो लेता है लेकिन पैसे खर्च करने को तैयार नहीं.

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नाटो में रक्षा बजट पर घमासान मचा हुआ है. (Photo- AP)
नाटो में रक्षा बजट पर घमासान मचा हुआ है. (Photo- AP)

दुनिया के कई देश इन दिनों लड़-भिड़ रहे हैं. इस बीच डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दे डाली कि अगर NATO सदस्यों ने अपना डिफेंस बजट नहीं बढ़ाया तो अमेरिका भी खर्चों से हाथ खींचने लगेगा. अगर ऐसा हुआ तो नाटो के भरोसे दिन काट रहे देशों के लिए बड़ी मुश्किल आ सकती है. ऐसे में बीच का रास्ता अपनाते हुए वे रक्षा बजट बढ़ाने के लिए बैठक रहे हैं. हालांकि रास्ते आसान नहीं. कई देश इससे कन्नी काट रहे हैं, और देखादेखी बाकी भी बजट बढ़ाने से बच सकते हैं. 

पहले कनाडा को नाटो के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द माना जाता था. वो एक तरफ तो खुद को शांति दूत बताता, दूसरी तरफ नाटो में भी शामिल था. यहां तक फिर भी ठीक है, लेकिन वो नाटो जैसे सैन्य गठबंधन पर पैसे खर्च करने को भी राजी नहीं था. यही वजह है कि ट्रंप समेत कई राष्ट्रपति कनाडा को फ्री राइडर तक कह चुके. अब कनाडा में बजट को लेकर खास घमासान नहीं, लेकिन ये जिम्मा स्पेन ने ले रखा है. 

क्या चाहते हैं ट्रंप

ट्रंप ही नहीं, उनसे पहले अमेरिका के कई और राष्ट्रपति भी मांग कर चुके कि नाटो के बाकी सदस्यों को अपनी जीडीपी का 5 फीसदी रक्षा पर लगाना चाहिए. फिलहाल यूएस इसमें सबसे बड़ा कंट्रीब्यूटर है. एक तरह से देखा जाए तो उसी के भरोसे बहुत से देश निश्चिंत हैं कि हमला होने पर सब संभल जाएगा. इसी बात पर वॉशिंगटन को एतराज रहा. उसका कहना है कि निश्चिंतता के फायदे सबको मिल रहे हैं तो उसके लिए थोड़ी कोशिश भी दिखनी चाहिए. खासकर ट्रंप ने वाइट हाउस आते ही धमकी दे दी कि अगर सदस्यों ने अपना रक्षा बजट नहीं बढ़ाया तो वे सैन्य गठबंधन से हाथ खींच सकते हैं. 

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donald trump photo AP

क्यों डरे हुए हैं सदस्य

ट्रंप जिस टेंपरामेंट के हैं, बहुत मुमकिन है कि वे खर्चों में कटौती कर दें, या नाटो से निकलने के ही रास्ते खोजने लगें. फिलहाल दुनिया में कई युद्ध चल रहे हैं. रूस यूक्रेन लड़ाई को लेकर यूरोपियन यूनियन ज्यादा परेशान है. उसे डर है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर जीत हासिल कर ली, तो जल्द ही वो यूरोप के एकदम भीतर तक पहुंच जाएगा. फिर तो कोई भी सेफ नहीं रह सकेगा. यही देखते हुए नाटो के मेंबर नीदरलैंड में बैठक कर रहे हैं. इसमें 5 फीसदी बजट करने का प्रस्ताव है. 

लेकिन इसमें भी मुश्किल आ सकती है 

स्पेनिश पीएम पेड्रो सांचेज ने कहा कि स्पेन को अपनी जीडीपी का 5 प्रतिशत देने की जरूरत नहीं. उनके पास आने वाले वक्त के लिए कई और प्राथमिकताएं हैं. ऐसे में इतना बड़ा हिस्सा डिफेंस पर लगाने से उनपर असर होगा. पिछले साल वॉशिंगटन में हुई बैठक में कनाडा ने भी इसी तरह की बात की थी. स्लोवाकिया भी देखादेखी स्पेन की तरह बोल रहा है. वो भी नाटो के साथ तो रहना चाहता है लेकिन बजट बढ़ाए बिना. 

Spain PM Pedro Sánchez photo AP

फिलहाल कितना खर्च कर रहे मेंबर

मौजूदा बजट टारगेट सिर्फ 2 फीसदी है. ज्यादातर देश यहां तक भी नहीं पहुंच पा रहे. 32 देशों के संगठन में 22 देश ही रक्षा पर पिछले साल अपनी जीडीपी का 2 फीसदी या उससे ज्यादा खर्च कर पाए थे. अमेरिका का प्रस्ताव है कि करीब साढ़े 3 प्रतिशत रक्षा के मुख्य हिस्से यानी हथियार और सेना पर खर्च किया जाए. बाकी हिस्सा इससे जुड़े इनवेस्टमेंट पर लगाया जाए. इसमें पुल, बंदरगाह और सड़कों को इस तरह बनाना शामिल है कि उनका सेना के लिए इस्तेमाल हो सके. 

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क्या नाटो उन्हें गठबंधन से हटा सकता है जो बजट पर राजी नहीं

नहीं. दुनिया के इस सबसे बड़े सैन्य संगठन में एक्सपल्जन क्लॉज नहीं है. यानी इसमें ऐसी कोई बात नहीं है कि कब और कैसे सदस्य देश को संगठन से निकाला जाए. हां, इसमें एक नियम जरूर है जिसके तहत मेंबर देश खुद गठबंधन से हट सकते हैं. डिफेंस बजट का टारगेट पूरा करना सिर्फ एक पॉलिटिकल कमिटमेंट है, न कि नाटो में बना रहने की शर्त. यही वजह है कि कनाडा या स्पेन जैसे देशों की आलोचना हो सकती है, लेकिन उन्हें बाहर का रास्ता नहीं दिखाया जा सकता, सिर्फ इसलिए कि वे पूरे पैसे नहीं जुटा सके. 

NATO photo AP

क्या एक्शन लिया जा सकता है

अगर कोई सदस्य ज्यादा ही सिरदर्दी कर दे, तो उसे समझाने के लिए नाटो ये जरूर कर सकता है कि बाकी देश उससे दूरी बरतने लगें, या बैठकों से उसे बाहर रखा जाए. लेकिन नाटो से अब तक किसी को बाहर नहीं किया गया. यहां तक कि तुर्की, जो कई बार रूस के करीब दिखता है, जिसे नाटो सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, उसके खिलाफ भी कभी एक्शन नहीं लिया गया. 

अभी क्या हो रहा स्पेन के साथ 

बाकी देशों के लीडर लगातार उसके विरोध में बयान दे रहे हैं. पॉलिटिको.ईयू वेबसाइट की एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई देशों को लगता है कि चूंकि स्पेन, रूस से दूर है इसलिए वो खुद को सेफ मानते हुए इतनी हील-हुज्जत कर रहा है. डेनमार्क के पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन ने नाटो पब्लिक फोरम में कहा कि खर्च बढ़ाना पूरे यूरोप की रक्षा से जुड़ा है, न कि पोलैंड या चेक रिपब्लिक की. बता दें कि ये देश रूस की सीमा के करीब हैं, और अंदेशा जताया जा रहा है कि यूक्रेन के मोर्चे पर जीतते ही रूस इनकी तरफ बढ़ेगा. 

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