अन्धविश्वास हमारे देश की बड़ी समस्या है. यहां हर इंसान किसी न किसी छोटी-बड़ी चीज को अपने लक की चाबी मानता है. लेकिन क्या हो अगर ये लक का रायता इतना फैल जाए कि आपका जीना मुश्किल हो जाए? सोनम कपूर और दुलकर सलमान की ये फिल्म आपको यही बताती है. लेखिका अनुजा चौहान की किताब द जोया फैक्टर पर बनी ये फिल्म, कहानी है जोया सोलंकी (सोनम कपूर) के बारे में, जो 25 जून 1983 को पैदा हुई थी. तभी से जोया के पिता (संजय कपूर) उसे क्रिकेट का लकी चार्म मानते हैं. जोया के पिता और भाई (सिकंदर खेर) क्रिकेट के बड़े फैन हैं और जोया बचपन से ही उन्हें क्रिकेट मैच जिताती आ रही हैं. जोया एक ऐड एजेंसी में काम करती है और अपनी किस्मत को काफी हद तक कोसती रहती है.
लेकिन फिर उसे मिलता है एक ऐसा प्रोजेक्ट जो उसकी किस्मत बदल देता है और जोया बन जाती है इंडिया की लकी चार्म. इतना ही नहीं इंडियन क्रिकेट टीम का कप्तान और जोया के सपनों का राजकुमार निखिल खोड़ा (दुलकर सलमान) भी उसके प्यार में पड़ जाता है. लेकिन कहते हैं ना बड़ी ताकत के साथ आती हैं बड़ी जिम्मेदारियां और मुसीबतें. तो बस अब जोया को इन मुश्किलों का सामना करना है और अपना प्यार भी बचाना है.
इस फिल्म की कहानी बहुत सिंपल है. दो लोग जो एक दूसरे से प्यार करते हैं, एक क्रिकेट टीम जो लक और अन्धविश्वास में विश्वास रखती है और एक लड़की एक विलेन. अब ऐसे में गलत क्या हो सकता है. सबकुछ तो नहीं पर बहुत कुछ.
फिल्म में सोनम कपूर ने जोया सोलंकी का किरदार निभाया है, जो क्रिकेट के लिए लकी है लेकिन उसकी खुद की किस्मत थोड़ी खराब ही है. जोया चुलबुली है, मस्तमौला है और मुंहफट भी. जोया का किरदार बिल्कुल वैसा है जैसे भी आप सोनम कपूर को आराम से इमेजिन कर सकते हैं. सोनम कपूर का काम भी काफी अच्छा है. लेकिन इसमें थोड़ी कमी रह गई है.जोया के किरदार में सोनम आपको कुछ नया नहीं देती. आपको उन्हें देखकर फिल्म खूबसूरत की मिली की याद जरूर आ जाती है. वहीं दुलकर सलमान फिल्म की असली मजबूत कड़ी हैं. उनकी एक्टिंग, उनकी आवाज और उनकी हॉटनेस के चर्चे इस फिल्म के बाद खूब होने वाले हैं. ऐसे बहुत से सीन्स हैं जहां दुलकर सिर्फ अपने एक्सप्रेशन्स से बात करते हैं और आपका दिल चुरा लेते हैं. अंगद बेदी एक बढ़िया विलेन हैं. संजय कपूर और सिकंदर खेर भी इस फिल्म में हैं, लेकिन अफसोस उन्हें बहुत कुछ करने को नहीं मिला. फिल्म के बाकी सपोर्टिंग एक्टर्स ने अपना काम सही निभाया. इसके अलावा फिल्म में कैमियो भी अच्छे थे.
डायरेक्टर अभिषेक शर्मा इस सिंपल कहानी को थोड़ा और बेहतर दिखा सकते थे. रोमांस उन्होंने ठीकठाक दिखाया लेकिन फिल्म को वो पूरी तरह से जोड़ नहीं पाए. हालांकि फिल्म के सेकेंड हाफ में दिखाया गया क्रिकेट मैच आपको असली क्रिकेट मैच की फील देता है. ये एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है, जिसके जोक्स बहुत अच्छे नहीं हैं. फिल्म में जोक्स से ज्यादा आपको लोगों की हरकतों पर हंसी आएगी. माना कि फिल्म में जोया सोलंकी एक ऐड एजेंसी में काम करती है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी फिल्म में ऐड ही ऐड भरी होनी जरूरी है.
सोनम के किरदार की कॉस्ट्यूम्स बेहद शानदार हैं. सोनम और दुलकर की केमिस्ट्री ठीक थी. फिल्म के गाने अच्छे हैं, लेकिन इन गानों का लगभग हर दूसरे सीन में चल जाना आपको बहुत परेशान करता है. जोया फैक्टर की अपनी अलग अच्छी बातें हैं. फिल्म के कुछ सीक्वेंस बढ़िया हैं, लेकिन फिर भी ये थोड़ी सी कम है.