बॉलीवुड फिल्मों में बात अगर बेहतरीन डायलॉग्स की हो और सनी देओल का नाम ना आए, तो बेकार है. अमिताभ बच्चन के बाद अगर कोई एंग्री यंग मैन का खिताब ले पाया है तो वो हैं सनी देओल. सनी ने अपने लंबे फिल्मी करियर में लगभग हर फिल्म में ही ऐसे-ऐसे डायलॉग्स दिए हैं, जो दर्शकों की जुबान पर चढ़ गए हैं. घातक का बलवंत राय हो या दामिनी का तारीख पर तारीख, सनी देओल ने आइकॉनिक सीन्स के साथ-साथ लोगों को जहन में बस जाने वाले डायलॉग्स दिए हैं. आइये आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ बेस्ट और चुनिंदा डायलॉग्स....
1. घातक (1996)- ये मज़दूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है! ये ताकत खून-पसीने से कमाई हुई रोटी की है. मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं.
2. गदर एक प्रेम कथा (2001)- अशरफ अली! आपका पाकिस्तान जिंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद था और जिंदाबाद रहेगा! बस बहुत हो गया.
3. घातक (1996)- हलक में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा.. उठा उठा के पटकूंगा! उठा उठा के पटकूंगा! चीर दूंगा, फाड़ दूंगा!
4. गोविंद, दामिनी (1993)- चिल्लाओ मत, नहीं तो ये केस यहीं रफा-दफा कर दूंगा. न तारीख न सुनवाई, सीधा इंसाफ. वो भी ताबड़तोड़.
5. घातक (1996)- पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है कात्या. तू चाहता है मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं. तू कहे तो काटूं, तू कहे तो भौंकू.
6. दामिनी (1993)- अगर अदालत में तूने कोई बदतमीजी की तो वहीं मारूंगा. जज ऑर्डर ऑर्डर करता रहेगा और तू पिटता रहेगा.
7. गदर: एक प्रेम कथा (2001)- बाप बनकर बेटी को विदा कर दीजिए, इसी में सबकी भलाई है, वरना अगर आज ये जट बिगड़ गया तो सैकड़ों को ले मरेगा.
8. बॉर्डर (1997)- भैरों सिंह, आज मरने की बात की है, दोबारा मत करना. मरकर किसी ने लड़ाई नहीं जीती. लड़ाई जीती जाती है दुश्मन को खत्म करके.
9. घायल (1990)- जाओ बशीर खान जाओ, किसी नाटक कंपनी में भर्ती हो जाओ, बहुत तरक्की मिलेगी तुम्हे, अच्छी एक्टिंग कर लेते हो.
10. ज़िद्दी (1997)- नहीं कुलकर्णी मैं तुमको यहां से जाने की इजाजत नहीं दे सकता, मैं यहां ऊंचाई पर बैठा जरूर हूं, मगर इस कोर्ट के फैसले नीचे बैठे ये लोग करते हैं.