scorecardresearch
 

क्यों आते ही भुला दिए जाते हैं आज के गाने? 'सिंगल पापा' के कम्पोजर अमन पंत ने बताई बड़ी वजह

म्यूजिक कंपोजर अमन पंत ने 'द फैमिली मैन' सीजन 3 की सॉनिक आइडेंटिटी और नेटफ्लिक्स की 'सिंगल पापा' के सात गानों की रचना में नागामीज संगीत और पारंपरिक इंस्ट्रुमेंट्स का उपयोग किया. उन्होंने संगीत की घटती शेल्फ लाइफ, सोशल मीडिया पर एआई के प्रभाव और कॉर्पोरेटाइजेशन पर भी अपने विचार रखे.

Advertisement
X
म्यूजिक कंपोजर अमन पंत (Photo: Instagram/@amanpant02)
म्यूजिक कंपोजर अमन पंत (Photo: Instagram/@amanpant02)

नेटफ्लिक्स सीरीज 'सिंगल पापा' में सात गाने की कंपोज करने वाले म्यूजिक कंपोजर अमन पंत का शेड्यूल इन दिनों पैक है. इंडिया टुडे/आजतक को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अमन ने 'द फैमिली मैन' के 'देगा जान' गाने को नागामी (नागालैंड) साउंड्स का इस्तेमाल करके बनाने के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि फादरहुड ने कुणाल खेमू की 'सिंगल पापा' के गानों को कैसे प्रभावित किया. म्यूजिक कंपोजर ने आगे आज के संगीत की घटती शेल्फ लाइफ, सोशल मीडिया पर पुरानी मेलोडीज में एआई के इस्तेमाल और इन दिनों कॉर्पोरेट कंपनियों के संगीत निर्माण पर प्रभाव के बारे में भी अपने विचार शेयर किए.

द फैमिली मैन 3 में कैसे दिया म्यूजिक

'द फैमिली मैन' सीजन 3 की सॉनिक आइडेंटिटी पर काम करने के बारे में बात करते हुए अमन ने पंत कहा, '(शो के को-क्रिएटर) राज निदिमोरू के साथ द फैमिली मैन सीजन 3 पर पहली बार मैंने काम नहीं किया. मैं पहले उनके साथ गन्स एंड गुलाब्स और सिटाडेल पर काम कर चुका था, इसलिए हमारे बीच अच्छा रिश्ता था. जब मुझे इसे बनाने के लिए अप्रोच किया गया, तो यह एक चैलेंज था क्योंकि सीजन 1 और 2 के लिए सचिन-जिगर ने जो थीम  कंपोज की थी, वो बहुत आइकॉनिक है.'

उन्होंने कहा, 'उस थीम के स्वाद को रखते हुए नए सीजन के लिए कुछ अलग बनाना एक चैलेंज था. लेकिन मैंने इसे ऑर्गेनिक तरीके से लिया. मुझे पता था कि हमें कुछ ऐसा बनाना है जिसमें नागालैंड, नागामीज इंस्ट्रुमेंटेशन और उनकी ट्राइबल म्यूजिक शामिल हो. नागालैंड का संगीत बहुत वाइड है क्योंकि वहां अलग-अलग ट्राइब्स हैं और अलग-अलग तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट्स हैं, जो भारत में बड़े रूप में इस्तेमाल नहीं होते. वे उस खास क्षेत्र के हैं.'

Advertisement

अमन ने बताया कि वे अलग-अलग म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट्स की खोज के लिए नागालैंड गए थे. उन्होंने कहा, 'मैं वहां गया ताकि पता कर सकूं कि हमें किस तरह के इंस्ट्रुमेंट्स चाहिए. कभी-कभी ये सब आपको सोशल मीडिया या यूट्यूब पर नहीं मिलता. यह हमारे लिए एक अच्छी एक्सप्लोरेशन थी. मुझे नागालैंड से दिलचस्प साउंडिंग इंस्ट्रुमेंट्स मिले जैसे ताती नाम का एक इंस्ट्रुमेंट, जिसका मैंने इस्तेमाल किया. फिर नागामीज लॉग ड्रम्स और नागामीज ट्रेडिशनल हॉर्न्स. ऐसे दिलचस्प इंस्ट्रुमेंट्स थे जिन्हें मैंने कंटेम्परेरी इलेक्ट्रॉनिक वाइब्स के साथ फ्यूज किया. लोगों ने इसे सराहा है, और क्रिटिक्स ने भी इसके बारे में लिखा है.'

कुणाल खेमू की सिंगल पापा

अमन पंत ने कुणाल खेमू की सिंगल पापा के सभी सात गानों को कंपोज किया है. उन्होंने इसके पीछे की इंस्पिरेशन के बारे में बात की. अमन ने कहा, 'यह मेरे लिए बहुत दिलचस्प स्थिति थी, क्योंकि कुणाल एक एक्टर के तौर पर बहुत अच्छे हैं, और शो पापा-बेटे के रिश्ते की बात करता है. खुद पिता होने के नाते मैं उस रिश्ते को समझ सकता हूं. पहला गाना जो हमने बनाया वह एक लोरी थी. पिता उसे बच्चे के लिए गाता है. चैलेंज था आज की दुनिया में लोरी बनाना, क्योंकि पहले और अब लोगों की म्यूजिकल अंडरस्टैंडिंग अलग है.'

Advertisement

वो बोले, 'हम स्ट्रिंग्स स्कोर करने के लिए बुडापेस्ट गए थे, और उन्होंने गाना बनाया. यह एक अच्छा कोलैबोरेशन था. एक सिंगर हैं सास भट्ट जिन्होंने इसे खूबसूरती से गाया. उस पहले ट्रैक ने शो को वह कलर और टोन दिया जो चाहिए था. एक बार वह सेट हो गया, तो बाकी गाने शो के आगे बढ़ने के साथ आते गए. कुछ गाने सिचुएशनल नहीं हैं, वे ज्यादा फील-ओरिएंटेड हैं. हर एक का अलग वाइब है.'

आज के संगीत की छोटी शेल्फ लाइफ

बातचीत के दौरान अमन से यह पूछा गया कि आजकल लगभग कोई गाना ज्यादा समय तक पब्लिक मेमोरी में क्यों नहीं टिकता. उन्होंने कहा, 'इसके बहुत सारे कारण हैं. सबसे पहले, हम जो कंटेंट कंज्यूम कर रहे हैं उसकी मात्रा पागलपन की है. पहले मेरे पिता के समय में, वे मुझे बताते थे कि रविवार को दूरदर्शन के चित्रहार के लिए सब बैठते थे. वे पूरे हफ्ते गानों को सुनने का इंतजार करते थे. लेकिन जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ी, अब इंस्टाग्राम पर 500 गाने रिलीज हो रहे होंगे. हम इतना कंटेंट कंज्यूम कर रहे हैं कि एक चीज पर मन टिकाना असंभव है. अच्छे गाने आज भी आते हैं, जैसे पहले आते थे. लेकिन पहले अटेंशन स्पैन अच्छा था. लोग एक ही गाने को बार-बार सुनते थे. अब गानों की लंबाई दो-तीन मिनट की है. लोग सुनते हैं और अगले अच्छे कंटेंट पर चले जाते हैं.'

Advertisement

स्थिति के पॉजिटिव साइड पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, 'टेक्नोलॉजी के नेगेटिव पॉइंट्स हैं, लेकिन पॉजिटिव भी हैं. अब बहुत सारे नए आर्टिस्ट्स आ रहे हैं. अगर कोई अच्छा है, तो उसे काम मिल जाता है. इंस्टाग्राम पर उनके फॉलोअर्स हैं. लोग उनके गाने सुनते हैं. आज के समय में किसी भी आर्टिस्ट के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि उनकी आवाज सुनी जा सकती है बिना किसी गॉडफादर पर निर्भर हुए. अगर आपके पास फोन और इंटरनेट है, तो आप गाना पोस्ट कर सकते हैं, और अगर वह अच्छा है तो आपको लिसनर्स मिलेंगे.'

एक्सपेरिमेंट करने पर अमन ने की बात

जब अमन से पूछा गया कि क्या ज्यादा एक्सपेरिमेंटेशन, फ्यूजन या हैवी प्रोडक्शन हमें पुरानी धुनों की उस सादगी से दूर ले जा रहा है जो उन्हें टाइमलेस बनाती थी, तो अमन ने कहा, 'बिल्कुल. मैं हमेशा मानता हूं कि किसी तरह की हैवी इंस्ट्रुमेंटेशन की जरूरत नहीं है. पुराने दिनों में संगीत बैकग्राउंड में रहता था और सिंगर्स मुख्य रोल निभाते थे, जैसे (मोहम्मद) रफी साहब, लता मंगेशकर, मुकेश जी. एक अच्छी मेलोडी को हैवी इंस्ट्रुमेंटेशन की जरूरत नहीं होती. अच्छी मेलोडी को पियानो या गिटार या किसी सिंगल इंस्ट्रुमेंट पर गाया जा सकता है. अगर मेलोडी स्ट्रॉन्ग है, तो आप उसे गाएंगे और सुनना पसंद करेंगे. हमें मेलोडीज वापस लानी होंगी. मैं मानता हूं कि मेलोडी ही किंग है.'

Advertisement

उन्होंने सोशल मीडिया पर चल रहे ट्रेंड के बारे में बात की जहां यूजर्स एआई का इस्तेमाल करके नई गानों को पुराने मास्टर्स की आर्टिफिशियल वॉइस में पोस्ट कर रहे हैं. म्यूजिक कम्पोजर ने कहा, 'आजकल ट्रेंड है नए गानों को रेट्रो बनाने का, किशोर कुमार और मोहम्मद रफी की वॉइस में. लोग उन गानों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं, कह रहे हैं कि ये रेंडिशन्स ओरिजिनल से बेहतर हैं. उनकी आवाजों में कुछ करिश्माई था. कैसे हो रहा है कि एआई से मोहम्मद रफी की वॉइस में वही गाना किया जा रहा है और वह बेहतर लग रहा है? ट्रेंड फॉलो करने की बजाय हमें अपने कानों पर जाना चाहिए और जो दिल कहे वही करना चाहिए. अगर हम ऐसा करेंगे तो मेलोडीज आएंगी. आज बहुत टैलेंट है.'

संगीत का कॉर्पोरेटाइजेशन

अमन पंत से पूछा गया कि क्या फिल्म म्यूजिक ज्यादा कॉर्पोरेटाइज्ड हो गया है और क्या म्यूजिक कंपनियां फिल्ममेकर्स और कंपोजर्स से ज्यादा पावरफुल हैं. अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा, 'इंटरनेट पर कुछ आर्टिस्ट्स को सुनता हूं जो फिल्म म्यूजिक में नहीं आना चाहते. वे जो सही लगता है वही करते हैं. कुछ लोग बॉलीवुड पर निर्भर हैं. जब भी आप बॉलीवुड के लिए म्यूजिक कर रहे होते हैं, तो वह कॉर्पोरेटाइज्ड होता है क्योंकि पैसा शामिल होता है और कई स्टेकहोल्डर्स होते हैं जैसे एक्टर, प्रोड्यूसर और मेकर. बहुत सारी ओपिनियंस आती हैं.'

Advertisement

उन्होंने बॉलीवुड में संगीत बनाने के बारे में आगे कहा, 'एक आर्टिस्ट के तौर पर आप जो दिल कहे वही बनाने के लिए फ्री नहीं होते, क्योंकि आप किसी और के विचारों के लिए संगीत बना रहे होते हैं, किसी और ने लिखा होता है, किसी और ने डायरेक्ट किया होता है. आप सिर्फ उसका हिस्सा होते हैं. यह इस पर भी निर्भर करता है कि प्रोड्यूसर्स के साथ आपकी फ्रीक्वेंसी कैसी है. लेकिन मुश्किल है क्योंकि सबमें पैसा शामिल होता है. वे वही चाहते हैं जो चले और प्रमोशन के लिए अच्छा हो.'

उन्होंने आर्टिस्ट्स को सलाह दी कि अपना खुद का संगीत बनाएं. अमन ने कहा, 'सभी आर्टिस्ट्स को मेरी सलाह है कि जो भी संगीत आप कर रहे हैं, उसके साथ-साथ अपना खुद का संगीत निकालना जरूरी है. आप अपने एल्बम्स, ईपी और सिंगल्स एक्सप्लोर कर सकते हैं. आप जो चाहें बना सकते हैं. तब आप शिकायत नहीं कर सकते कि प्रोड्यूसर ने आपको कुछ करने को कहा.'

अमन ने नए लोगों से भरे इस फील्ड में अपना अलग मुकाम बनाया है. अपनी यूएसपी पर उन्होंने कहा, 'मेरी यूएसपी मेरा एक्सपीरियंस है. मुझे 4,000 से ज्यादा ऐड्स पर काम करने का सौभाग्य मिला और मैं किसी सिंगल जॉनर में बंधा नहीं हूं. आजकल एक कंपोजर के लिए सिंगल ट्रेंड नहीं है. एक फिल्म में तीन-चार कंपोजर्स हो सकते हैं. मेरी यूएसपी यह है कि मैं अलग-अलग जॉनर्स कंपोज कर सकता हूं.'

Advertisement

अंत में, कंपोजर अमन पंत ने मदन मोहन को अपनी इंस्पिरेशन बताते हुए कहा कि वे अलग-अलग तरह की मेलोडीज कंपोज करके भारतीय संगीत के भविष्य में योगदान देना चाहते हैं. उन्होंने सिंगर-सॉन्गराइटर जैकब कोलियर के साथ कोलैबोरेशन की इच्छा भी जताई.

---- समाप्त ----
इनपुट- प्रियंका शर्मा
Live TV

Advertisement
Advertisement