1 मई को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज 'हीरामंडी' अब तक चर्चा में बनी हुई है. सीरीज को दर्शकों और क्रिटिक्स से मिक्स्ड रिएक्शन मिल रहे हैं. किसी को 'हीरामंडी' क्लासिक लग रही है, तो किसी का कहना है कि इसमें तवायफों को ग्लोरिफाई किया गया है. कईयों का ये भी मानना है कि 'हीरामंडी' में इतिहास से संबंधित कई गलतियां हैं. अब लेटेस्ट इंटरव्यू में संजय लीला भंसाली ने इन सभी आरोपों पर चुप्पी तोड़ी है.
ट्रोलिंग पर भंसाली ने दिया जवाब
दरअसल, 'हीरामंडी' से पहले 'देवदास' और 'गंगूबाई काठियावाड़ी' में भी तवायफों की जिंदगी को दिखाया गया था. ऐसे में भंसाली से पूछा गया तवायफों की जिंदगी में उन्हें क्या आकर्षित करता है? इसपर Bollywood Hungama संग बातचीत में संजय लीला भंसाली ने कहा- ये महिलाएं नंबर वन होती हैं. खूबसूरत होती हैं.
'ये महिलाएं बहुत सोफिस्टिकेटेड थीं. तहजीब-तमीज में काफी ट्रेंड थीं और वो जीवन को एक कविता की तरह जीने की कला जानती थीं. उन्हें ट्रेडिशन पता था. क्लासिकल डांसिंग और क्लासिकल म्यूजिक की कला से वाकिफ थीं'
'लेकिन इसके साथ ही उनके पास दर्द और पीड़ा की कहानियां भी थीं, जिससे वो गुजरी थीं. उन्हें खूबसूरत ड्रेसेस और डायमंड्स में पेश करना काफी मजेदार था. उनके अंदर अपनी एक अलग पॉलिटिक्स चलती थी. उन्हें जिंदगी जीने के लिए उतना ही संघर्ष करना पड़ता था, जितना एक मिडिल क्लास या लोवर क्लास महिला या आदमी को करना पड़ता है. उनके अपने संघर्ष होते थे.'
भंसाली ने आगे कहा- इसलिए सीरीज में मैंने सिर्फ ग्लैमरस पार्ट ही नहीं दिखाया है, बल्कि संघर्ष भरी कहानियां भी दिखाई हैं. उनमें से कुछ ऐसी हैं, जो हमने सुनी हैं और कुछ रियल कैरेक्टर्स से ली गई हैं.
मैं उस दुनिया में नहीं जिया- भंसाली
हीरामंडी को डिफेंड करते हुए संजय लीला भंसाली ने ये भी कहा- 'लाहौर और हीरामंडी पर मेरे काम को इस तरह नहीं देखा जाना चाहिए जैसे कि वह रियलिटी से लिया गया हो. इसमें लाहौर की छाप है. हीरामंडी की छाप है. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह रियलिस्टिक कैसे हो सकता है, क्योंकि मैं उस युग में नहीं जिया हूं. मैंने वो दुनिया नहीं देखी है. मैं इसे 30 या 20 के दशक की हीरामंडी की तरह आज की हीरामंडी की तरह क्लियरली नहीं दिखा सकता.'
'इसलिए जब आप कोई फिक्शन स्टोरी बनाते हैं, तो यह सिर्फ आपको एक ऐसा एक्सपीरियंस देने के लिए बनाया जाता है, जिससे पता चल सके कि शायद वो महिलाएं इन चीजों से गुजरी होंगी. यही फिल्ममेकिंग का मजा है. मैं उस पल को जैसा समझता हूं वैसा माहौल और आपके दिमाग उस तरह की छाप छोड़ना पसंद करता हूं.'
हीरामंडी की बात करें तो इसमें मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, शरमिन सहगल, ऋचा चड्ढा महत्वपूर्ण किरदारों में हैं. नवाबों के रोल में शेखर सुमन और फरदीन खान ने भी कमाल का काम किया है.