बॉलीवुड एक्ट्रेस तब्बू, करीना कपूर खान और कृति सैनन स्टारर फिल्म द क्रू का प्रमोशनल वीडियो सोशल मीडिया पर रिलीज किया गया है. इस वीडियो में खलनायक फिल्म का आइकॉनिक सॉन्ग 'चोली के पीछे क्या है' का इस्तेमाल किया गया है. इस टीजर ने न केवल फैंस के बीच की उत्सुकता को जगा दी है, साथ ही इस गाने की यादें भी ताजा कर दी हैं. बता दें, गाने को अल्का याग्निक और ईला अरुण ने रेकॉर्ड किया था.
इस आइकॉनिक गाने को हो गए हैं तीस साल
यह संयोग की ही बात है कि दो महीने पहले ही इस गाने ने अपना तीस साल पूरा किया है. टीजर में इस्तेमाल हुए गाने और लाइन्स पर हमने सिंगर ईला अरुण ने बात की है. हालांकि बातचीत में ईला ने गाने के प्रति अपनी नाराजगी जताई है. ईला एक्सक्लूसिव बातचीत में कहती हैं, 'चोली के पीछे ने दो महीने पहले ही 30 साल कंपलीट किए हैं. यह अपने समय से काफी पहले का गाना माना जाता रहा है. बेशक उस वक्त बहुत कंट्रोवर्सी उठी थी, लेकिन मुझे ये बताओ कौन सा ऐसा लड़का या लड़की नहीं है, जो इस तरह से एक दूसरे को छेड़ते हैं. इस गाने को लिखने वाले आनंद बख्शी थे, उन्होंने सवाल पूछा है कि चोली के पीछे क्या है. जवाब में लड़की जवाब देती है कि 'दिल है मेरा और ये दिल मैं दूंगी मेरे यार को'. मुझे कभी इस गाने में कोई वल्गैरिटी नहीं नजर आती थी. इस गाने के डिजाइनर सुभाष घई जी थे. वहीं इस गाने को अपनी म्यूजिक से लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी ने सिला है. मैंने और अल्का ने इसमें अपनी आवाज दी है. यह बहुत ही आइकॉनिक सॉन्ग है. इस गाने को बहुत बड़े पैमाने पर सेलिब्रेट किया गया है. बेहद ही सिचुएशनल सॉन्ग था.'
गाने को सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया
लेटेस्ट फिल्म द क्रू के प्रोमो में इस्तेमाल किए जाने पर रिएक्ट करते हुए ईला कहती हैं, 'मुझे प्रोमो बहुत ही बकवास लगा है. जिसने भी यह प्रोमो बनाया हो, बेशक फिल्म का इस गाने से कुछ लेना-देना नहीं हो लेकिन मुझे बहुत बुरा लग रहा है. प्रोमो में कहा जा रहा है कि अपनी चोली टाइट कर लें, कहीं आपका दिल बाहर न आ जाए. ये एयरहोस्टेस को लेकर फिल्म हो सकती है, पर प्रोमो जो है, उसकी लाइन बहुत ही बेकार की लाइन है. सीट बेल्ट को बांधना और चोली को टाइट करना, दो अलग चीजे हैं. किस हिसाब से मेकर्स ने इसे रिलेट करना चाहा है और सोचा है. इस गाने को प्रॉपर तरीके से नहीं इस्तेमाल किया गया है. गाने को कई तरीके से गाया जा सकता था. लाइन जो है कि अपनी चोली टाइट करें, ताकि आपका दिल बाहर न आए, ये किस संदर्भ में है. जिसने भी प्रोमो बनाया है, उसे अक्ल ही नहीं है. यह बहुत अच्छे टेस्ट के तहत नहीं बना है, इसमें एस्थेटिक भी नहीं है... मुझे इसमें सौंदर्यबोध भी नजर नहीं आ रहा है. बहुत ही निराशाजनक है.'
गालियां भी सुनी और प्यार भी मिला
गाने की रेकॉर्डिंग को याद करते हुए ईला बताती हैं,'इस गाने को रेकॉर्ड होने से पहले कई बैठकें हुई थी. आनंद बक्शी और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी और सुभाष घई साथ आकर बैठे थे. सुभाष जी अड्डे में कोई गाना शूट करना चाह रहे थे. उन्होंने सिचुएशन बताई कि गाने में गाली-गलौच का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. काफी डिसकशन के बाद यह गाना बनकर तैयार किया गया था. जब हमें यह गाना दिखाया गया था, तो हमें बिलकुल भी बुरा नहीं लगा था. दरअसल हमारे देश की लोकगीतों में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल होता आया है. छेड़छाड़ के गाने कॉमन होते हैं. इस गाने पर कई केस भी हुए, हालांकि किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा था. यकीन मानें, सबसे ज्यादा औरतें ही इस गाने को पसंद करती हैं. इसमें कोई अश्लीलता नहीं है. अगर इतना अच्छा नहीं होता, तो आज भी इसकी पॉप्युलैरिटी इतनी न होती. इस गाने को मैं अपने करियर का टर्निंग पॉइंट मानती हूं. मुझे लोग पहचानने लगे थे. वैसे मजेदार बात यह है कि इस गाने के लिए तारीफ भी मिली, तो मैंने गालियां भी काफी सुनी हैं.'