लोकसभा चुनाव को लेकर एग्जिट पोल के अनुमान आ चुके हैं. इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले एनडीए को 361 से 401 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. वहीं, इंडिया ब्लॉक को 131 से 166 और अन्य को 8 से 20 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी को बिहार, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा में सीटों का नुकसान होने के अनुमान एग्जिट पोल में जताए गए हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा जैसे राज्यों में पार्टी की सीटें बढ़ सकती हैं. एग्जिट पोल में सबसे अधिक चौंकाने वाले अनुमान रहे दक्षिण भारत के.
विपक्षी पार्टियां जिस दक्षिण में बीजेपी को लगभग साफ मानकर चल रही थीं, उस रीजन में कमल निशान वाली पार्टी सबसे अधिक चौंका रही है. दक्षिण भारत के पांच राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं. इन पांच राज्यों में से एक कर्नाटक ही ऐसा है जहां बीजेपी सरकार भी चला चुकी है. बीजेपी को 2019 के चुनाव में इन 129 सीटों में से 29 पर जीत मिली थी.
बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन को इस बार दक्षिण के इन पांच राज्यों में 59 से 67 सीटें मिलने का अनुमान एग्जिट पोल में जताया गया है. इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में एनडीए को तेलंगाना की 17 में 11 से 12, आंध्र प्रदेश की 25 में 21 से 23, कर्नाटक की 28 में 23 से 25, तमिलनाडु की 39 में दो से चार और केरल की 20 में दो से तीन मिलने के अनुमान एग्जिट पोल में जताए गए हैं.

क्यों चौंका रहा दक्षिण के राज्यों का एग्जिट पोल
दक्षिण भारत के राज्यों का एग्जिट पोल चौंका रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में खाता खोलना भी बीजेपी के लए बड़ी चुनौती रहा है. 2019 के चुनाव नतीजों की ही बात करें तो बीजेपी इन 129 में से 29 सीटें ही जीत सकी थी. इसमें भी 25 सीटें कर्नाटक की थीं. यानि कर्नाटक की 28 सीटें निकाल दें तो बीजेपी चार राज्यों की 101 सीटों में से महज चार सीटें ही जीत सकी थी और ये सभी सीटें तेलंगाना की थीं.
दक्षिण को इंडिया ब्लॉक के लिए मजबूत गढ़ माना जा रहा था. कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन में डीएमके जैसी पार्टियां हैं जिनका अपने राज्य में अपना एक मजबूत वोट बेस है. कांग्रेस खुद तेलंगाना और कर्नाटक में सत्ता में है. ऐसे में कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के इस स्ट्रॉन्ग होल्ड में बीजेपी की सीटें और कम होने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन एग्जिट पोल के अनुमानों में ये डबल होतीं नजर आ रही हैं.

बीजेपी ने साउथ प्लान पर कैसे फोकस किया?
बीजेपी की इमेज ऐसी पार्टी की है जो लॉन्ग टर्म टार्गेट सेट करती है और उसे हासिल करने के लिए माइक्रो लेवल पर काम करती है. एग्जिट पोल में बीजेपी को दक्षिणी राज्यों से 2019 के मुकाबले दोगुनी सीटें मिलने के अनुमान हैं तो यह भी कोई रातोरात नहीं हुआ है. बीजेपी ने 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद से मिशन साउथ पर काम करना शुरू कर दिया था. बीजेपी ने साउथ प्लान पर कैसे फोकस किया?
1- पीएम मोदी के दौरे
बीजेपी ने दक्षिण की जमीन को कमल खिलने के अनुकूल बनाने के लिए सत्ता में आते ही अपने सबसे बड़े चेहरे को आगे कर दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता के बाद पिछले 10 साल में दक्षिणी राज्यों के 146 दौरे किए. आधिकारिक और अनाधिकारिक इन यात्राओं के दौरान पीएम मोदी ने कुल मिलाकर 356 कार्यक्रमों में शिरकत की. इसमें खास ये है कि इसमें 144 जनसभाएं हैं.

2- करप्शन, कल्चर और क्रेडिबिलिटी पर फोकस
बीजेपी दक्षिण के राज्यों में करप्शन को लेकर विरोधियों पर हमलावर है. तेलंगाना में बीजेपी ने केसीआर सरकार के समय सड़क पर उतर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए धरना-प्रदर्शन-पदयात्रा के जरिए माहौल बनाया तो वहीं तमिलनाडु में भी अन्नामलाई ने स्टालिन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखा है. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी-तमिल संगमम जैसे आयोजन के जरिए साउथ और उत्तर के बीच कल्चरल रिलेशन पर पार्टी का जोर रहा तो भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी और केंद्र सरकार के बेदाग कार्यकाल को बेस बनाकर पार्टी क्रेडिबिलिटी बनाने की रणनीति पर काम करती नजर आई.
3- कैडर
दक्षिण के राज्यों में बीजेपी के लिए कैडर बेस भी बड़ी चुनौती रहा है. तेलंगाना से लेकर तमिलनाडु और केरल तक पार्टी ने दूसरे दलों के प्रभावशाली नेताओं को जोड़ने पर फोकस किया. तमिलनाडु में एआईएडीएमके और दूसरी पार्टियों के कई पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों का बीजेपी में शामिल होना और केरल में पूर्व सीएम एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी, के करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल का पार्टी में आना इसी रणनीति का हिस्सा था.
4- गठबंधन का गणित
बीजेपी ने इस बार अकेले मैदान में उतरने की बजाय गठबंधन के गणित पर फोकस किया. आंध्र प्रदेश में बीजेपी चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और पवन कल्याण की जनसेना से गठबंधन कर उतरी तो तमिलनाडु और केरल में भी छोटे-छोटे पॉकेट में अच्छा प्रभाव रखने वाली छोटी-छोटी पार्टियों से गठबंधन किया.

4- बड़े नेताओं पर दांव
बीजेपी ने दक्षिण की मुश्किल पिच पर केंद्रीय मंत्रियों और बड़े नेताओं को भी उतारा. केरल की ही बात करें तो जिस राज्य में पार्टी कभी खाता नहीं खोल सकी, उस राज्य से दो केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतार दिया. केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और वी मुरलीधरन के अलावा अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी को भी बीजेपी ने केरल से लोकसभा चुनाव लड़ाया है.