लोकसभा चुनवा से ऐन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छोटी बहन प्रियंका गांधी के राजनीति में कदम रखकर बीजेपी खेमे में खलबली मचा दी है. प्रियंका के लोकसभा चुनाव लड़ने पर उनके बड़े भाई राहुल गांधी ने कहा कि हम बैकफुट पर नहीं बल्कि फ्रंटफुट पर खेलेंगे. प्रियंका को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद कांग्रेस वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के ट्वीट किया, जिसके लेकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्रियंका गांधी वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगी.
दरअसल, कपिल सिब्बल ने गुरुवार को ट्वीट किया, 'मोदीजी और अमित शाह ने कांग्रेस मुक्त भारत का आह्वान किया था. प्रियंका गांधी के अब पूर्वांचल की सियासत में आने से हम देखेंगे .... मुक्त वाराणसी? .... मुक्त गोरखपुर?' ये दोनों सीटें पूर्वांचल में आती हैं, जहां की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौंपी गई है. ऐसे में राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस को इस इलाके में पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रियंका को वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार सकती है?
Modiji and Amit Shah called for a :
Congress mukt Bharat
With the entry of Priyanka Gandhi in UP (East) will we see a :
.............mukt Varanasi ?
.............mukt Gorakhpur ?
— Kapil Sibal (@KapilSibal) January 24, 2019
प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने पर बुधवार को राहुल गांधी ने कहा था कि ये फैसला पूरी तरह से प्रियंका पर ही निर्भर करेगा. हमारा बड़ा स्टेप लेने के पीछे मकसद यही है कि हम इस चुनाव में बैकफुट पर नहीं फ्रंटफुट पर लड़ेंगे. कांग्रेस पार्टी पूरे दमखम से ये चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर बहुत खुश हूं क्योंकि वह बहुत कर्मठ व सक्षम हैं और अब मेरे साथ काम करेंगी.
बता दें कि प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में कदम रखने से पहले तक वो अमेठी और रायबरेली में ही चुनाव प्रचार तक ही अपने को सीमित रखती थीं. अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद है. अब सियासत में कदम रखने के बाद उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. ये इलाका बीजेपी का मजबूत दुर्ग माना जाता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने बनारस संसदीय सीट से उतरकर पूर्वांचल में सभी दलों का सफाया कर दिया था. महज आजमगढ़ सीट थी जिसे बीजेपी नहीं जीत सकी थी.
हालांकि, पूर्वांचल एक दौर में कांग्रेस का मजबूत इलाका होता था. इस इलाके से कांग्रेस को कई दिग्गज नेता रहे हैं. इंदिरा गांधी के दौर में कमलापति त्रिपाठी सूबे में कांग्रेस का चेहरा हुआ करते थे और वाराणसी सीट से 1980 में सांसद भी चुने गए थे. पूर्वांचल में उनकी तूती बोलती थी.