बिहार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद अब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव यात्रा पर निकल रहे हैं. तेजस्वी यादव मंगलवार को जहानाबाद से 'बिहार अधिकार यात्रा' का आगाज़ करने जा रहे हैं. यात्रा का रोडमैप विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जिसके चलते तेजस्वी पांच दिनों में 10 जिलों की सियासी ज़मीन की नब्ज को समझने की कोशिश करते नज़र आएंगे.
तेजस्वी यादव अपनी यात्रा जहानाबाद से शुरू कर रहे हैं और 20 सितंबर को वैशाली में समाप्त होगी. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तेजस्वी यादव की 'बिहार अधिकार यात्रा' के जरिए सियासी माहौल बनाने की रणनीति मानी जा रही है.
बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए आरजेडी ने तेजस्वी की यात्रा का रूटमैप बहुत ही रणनीति के साथ बनाया है. तेजस्वी अपनी पाँच दिन की बिहार यात्रा से 10 जिलों की 66 विधानसभा सीटों को साधने की कोशिश करते नज़र आएंगे, जो राज्य की कुल 242 सीटों का 27 फीसदी है. तेजस्वी की यात्रा के रूटमैप में सियासी दांव छिपा हुआ है.
तेजस्वी 5 दिनों में 10 जिलों की करेंगे यात्रा
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तेजस्वी यादव जहानाबाद के गांधी मैदान से 'बिहार अधिकार यात्रा' शुरू करेंगे. इसके बाद नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल और समस्तीपुर होते हुए वैशाली पहुंचेंगे. वैशाली में यात्रा का समापन होगा. इस दौरान तेजस्वी लोगों के साथ जनसंपर्क और जनसंवाद करते नज़र आएंगे. इस यात्रा से बिहार के सियासी माहौल को आरजेडी के पक्ष में बनाने की रणनीति मानी जा रही है.
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में इंडिया ब्लॉक के सभी दल शामिल थे, लेकिन तेजस्वी की यात्रा सिर्फ आरजेडी की यात्रा है. इसमें राहुल गांधी या विपक्ष का कोई अन्य नेता शामिल नहीं होगा. आरजेडी का कहना है कि यह यात्रा जनता को उनका अधिकार दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
तेजस्वी के रूट की 66 सीटों पर 50-50 की जंग
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बिहार के जिन 10 जिलों से होकर गुज़रेंगे, उनमें 66 विधानसभा सीटें आती हैं. ये बिहार की कुल 243 सीटों का 27 फीसदी होता है. 2020 में इन 66 सीटों पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच लगभग बराबर की लड़ाई थी. सुपौल जिले में महागठबंधन का खाता नहीं खुला था तो जहानाबाद में एनडीए को एक भी सीट नहीं मिली थी.

2020 के चुनावी लिहाज़ से देखें तो दस जिलों की 66 सीटों में से एनडीए 34 सीटें जीतने में कामयाब रही थी तो महागठबंधन 32 सीटें जीती थी. अलग-अलग राजनीतिक दलों के नज़रिए से देखें तो जेडीयू 19 सीटें, बीजेपी 15 और एक सीट एलजेपी ने जीती थी, जो बाद में जेडीयू में शामिल हो गए थे. महागठबंधन ने 32 सीटें जीती थीं, जिसमें 23 सीटें आरजेडी, 3 कांग्रेस और छह सीटें लेफ्ट पार्टी जीती थीं.
तेजस्वी की यात्रा का समझें सियासी मकसद
तेजस्वी यादव अपनी यात्रा का आगाज़ जहानाबाद से कर रहे हैं, जो आरजेडी का मजबूत गढ़ माना जाता है. पिछले चुनाव में एनडीए का यहां सफाया कर दिया था. इसके बाद नीतीश कुमार के गढ़ नालंदा जिले से होकर गुज़रेंगे तो गिरिराज सिंह के गढ़ बेगूसराय और पप्पू यादव के मधेपुरा और सुपौल की यात्रा भी करेंगे. तेजस्वी यादव ने अपनी यात्रा के दौरान महागठबंधन के इलाके को मजबूत बनाए रखने के साथ कमज़ोर गढ़ में सियासी आधार बढ़ाने की रणनीति अपनाई है.
नालंदा, समस्तीपुर, सुपौल और मधेपुरा जैसे इलाके बीजेपी और जेडीयू का मजबूत गढ़ माना जाता है. इस तरह से एक बात साफ है कि तेजस्वी 'बिहार अधिकार यात्रा' के जरिए अपने कमज़ोर माने जाने वाले गढ़ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर आरजेडी के पक्ष में सियासी माहौल बनाने की कोशिश करेंगे. जातीय समीकरण के लिहाज़ से भी देखें तो यादव, भूमिहार और अतिपिछड़ी जातियों का इन इलाकों में दबदबा है.
आरजेडी में नई जान फूंकने का तेजस्वी का दांव
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राहुल गांधी ने अपनी वोटर अधिकार यात्रा से बिहार कांग्रेस में एक नई जान फूंक दी है. अब उसी तर्ज़ पर तेजस्वी यादव भी अपनी 'बिहार अधिकार यात्रा' के जरिए आरजेडी नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने की रणनीति अपनाए हैं. यही वजह है कि आरजेडी की तरफ से तेजस्वी के यात्रा का संदेश सिर्फ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भेजा गया है. तेजस्वी अपनी यात्रा के जरिए एक तरफ जहाँ अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
आरजेडी नेता संजय यादव कहते हैं कि राहुल गांधी के साथ जो यात्रा थी, वो एसआईआर के मुद्दे पर थी. वह वोटर अधिकार यात्रा थी और अब तेजस्वी बिहार के अधिकार के लिए यात्रा पर निकल रहे हैं. संजय कहते हैं कि तेजस्वी यादव अपनी यात्रा के दौरान किसान, नौजवान, महिलाएँ, बुजुर्ग और रोज़गार के मुद्दे को उठाएं
गे और लोगों के साथ संवाद करेंगे. चुनाव के दौरान हर पार्टी अपने लिहाज़ से रणनीति बनाती है, उसी तरह आरजेडी ने अपनी रणनीति बनाई है.
तेजस्वी का यह कदम आरजेडी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. तेजस्वी अपने पिता आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की तरह जनता से सीधे तौर पर संवाद और उनसे जुड़ना चाहते हैं. लालू यादव भी हमेशा यात्राओं और रैलियों के जरिए लोगों से सीधे संवाद करते थे. तेजस्वी की यह यात्रा लालू की उस विरासत को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है.
आरजेडी ने तेजस्वी की यात्रा को लेकर पूरी ताकत झोंक दी है. पार्टी ने सभी जिलाध्यक्षों और विधायकों को साफ निर्देश दिया है कि वे तैयारी में कोई कसर न छोड़ें. यात्रा जिन-जिन विधानसभा क्षेत्रों से गुज़रेगी, वहाँ पर भीड़ जुटाएँ ताकि तेजस्वी यादव जनता से सीधे संवाद कर सकें. खास बात यह होगी कि हर इलाके के लिए एक ही जगह पर कार्यक्रम तय किया गया है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग एकजुट होकर यात्रा का हिस्सा बन सकें.