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महागठबंधन के साथ बिहार चुनाव लड़ना चाहते हैं ओवैसी... BJP की 'B-Team' के टैग से छुटकारा या विपक्षी एकता की नई शुरुआत?

AIMIM की बिहार इकाई ने हाल ही में RJD और कांग्रेस के कुछ विधायकों से संपर्क किया है ताकि असदुद्दीन ओवैसी की महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा को दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया जा सके. लेकिन अब तक इन दोनों दलों के निर्णयकर्ताओं की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.

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AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने विपक्षी दलों के महागठबंधन INDIA के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है. ओवैसी की पार्टी ने बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है. हालांकि, सवाल उठ रहे हैं कि क्या AIMIM की ये पहल सच में एनडीए के खिलाफ एकजुट विपक्ष की मंशा से की गई है या फिर ये केवल राजनीतिक चाल है ताकि ओवैसी की पार्टी पर बीजेपी की 'बी-टीम' होने के आरोप से खुद को अलग दिखाया जा सके.

दरअसल, AIMIM की बिहार इकाई ने हाल ही में RJD और कांग्रेस के कुछ विधायकों से संपर्क किया है ताकि असदुद्दीन ओवैसी की महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा को दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया जा सके. लेकिन अब तक इन दोनों दलों के निर्णयकर्ताओं की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.

AIMIM की बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने मंगलवार को आजतक से बात करते हुए पुष्टि की कि उनकी पार्टी ने RJD नेता तेजस्वी यादव से संपर्क किया है, उनके कुछ करीबी विधायकों के जरिए, इस प्रस्ताव के साथ कि दोनों पार्टियां विशेषकर बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में एकसाथ आएं. हालांकि इस पर दोनों पार्टियों की तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
 
बिहार AIMIM अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बताया, “हम बीजेपी के खिलाफ हैं और इसलिए हमने तेजस्वी यादव से महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव उनके विधायकों के माध्यम से भेजा है. अब फैसला उनका है. उनके विधायकों ने मुझे बताया कि मेरा प्रस्ताव विचाराधीन है और अब तक खारिज नहीं किया गया है.” 

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उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार इकाई को यह प्रस्ताव लेकर आगे बढ़ने की अनुमति दी है. अख्तरुल ने बताया, “हमने असदुद्दीन ओवैसी से इस संबंध में बातचीत की है कि बिहार इकाई महागठबंधन में शामिल होना चाहती है और उन्होंने हमें RJD और कांग्रेस नेताओं से बातचीत शुरू करने की पूरी छूट दी है.” 

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'बी-टीम' के टैग से पीछा छुड़ाने की कोशिश

हालांकि अख्तरुल ईमान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनकी पार्टी बिहार चुनावों के लिए RJD और कांग्रेस से गठबंधन चाहती है, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर यह गठबंधन नहीं होता है, तो AIMIM को RJD को नुकसान पहुंचाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए, जैसा कि तेजस्वी यादव पहले असदुद्दीन ओवैसी को BJP की 'बी-टीम' कहकर आरोप लगा चुके हैं.

AIMIM नेता के बयान AIMIM को 'BJP की बी-टीम' कहे जाने के आरोपों से खुद को साफ़ करने की कोशिश जैसे लग रहे हैं. ऐसे में, महागठबंधन का हिस्सा बनने की प्रस्तावित इच्छा एक राजनीतिक रणनीति के रूप में भी देखी जा रही है ताकि मुस्लिम वोटरों को संदेश दिया जा सके कि AIMIM ने तो गठबंधन करना चाहा, लेकिन तेजस्वी ने मना कर दिया.

उन्होंने कहा, “हम पूरी ईमानदारी के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनना चाहते हैं. लेकिन मैं यह भी स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं कि अगर कल RJD को चुनाव में नुकसान होता है, तो इसका दोष हमें न दिया जाए. असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पिछली किशनगंज यात्रा के दौरान राज्य में कम से कम 24 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है और इसके लिए पार्टी कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है." 

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AIMIM की बात नहीं मानी तो फिर होगा तेजस्वी को नुकसान?

उल्लेखनीय है कि AIMIM ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटें जीती थीं. उस चुनाव में AIMIM को कुल 5,23,279 वोट मिले थे, जो कि 1.24% मतदान था. हालांकि कुछ महीनों बाद, AIMIM के चार विधायक बगावत कर RJD में शामिल हो गए थे.

AIMIM का 2020 में बिहार चुनावों में प्रदर्शन तेजस्वी यादव के लिए सरकार बनाने से चूकने का एक प्रमुख कारण माना गया था, क्योंकि ओवैसी की पार्टी ने खासकर मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में RJD को खासा नुकसान पहुंचाया.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर RJD और कांग्रेस AIMIM के प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो असदुद्दीन ओवैसी पहले ही साफ कर चुके हैं कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में कम से कम 24 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है और राज्य भर में कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. ऐसे में एक बार फिर गठंबधन में शामिल इन दोनों पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है और इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

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