यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में शिक्षा को लचीला, समावेशी और तकनीक आधारित बनाने की कोशिश की. उनके नेतृत्व में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (GER) को 2035 तक 50% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया. उनके रिटायरमेंट की घोषणा 7 अप्रैल 2025 को UGC ने की, और वह 8 अप्रैल 2025 तक यूजीसी अध्यक्ष पद पर रहे.
प्रो. एम. जगदीश कुमार के ढाई साल से अधिक के कार्यकाल में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े बदलाव हुए, जो नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 को लागू करने और भारतीय शिक्षा को इंटरनेशल लेवल पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में केंद्रित थे. उनकी नीतियों का असर आने वाले सालों में दिखेगा. आइए जानते हैं उनके कार्यकाल में शिक्षा जगत में क्या-क्या बड़े बदलाव हुए.
1. कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) की शुरुआत
विश्वविद्यालयों में यूजी और पीजी दाखिले के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) की शुरुआत की गई. पहले चरण में 45 केंद्रीय विश्वविद्यालय शामिल हुए, और 2025 तक 90 से ज्यादा विश्वविद्यालय इससे जुड़ गए. यह परीक्षा NTA (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) द्वारा आयोजित की जाती है, जिसमें छात्र अपनी पसंद के 6 सब्जेक्ट्स चुन सकते हैं. 12वीं के अंकों की जगह इस टेस्ट के स्कोर को प्राथमिकता दी गई. हालांकि, CUET और नए नियमों को लेकर कुछ विवाद भी हुए, जैसे तकनीकी पहुंच और राज्यों का विरोध. शुरुआती साल में तकनीकी खामियों (सर्वर डाउन, पेपर लीक) की शिकायतें भी आईं. 2025 तक प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया गया. 27 मार्च 2022 को सीयूईटी घोषणा की गई थी और पहली बार 15 जुलाई 2022 से एग्जाम शुरू हुए.
2. एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) और मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम
एम. जगदीश कुमार के कार्यकाल में ही एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) और मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम की रूपरेखा तैयारी हुई. एबीसी, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जहां छात्रों के क्रेडिट्स जमा होंगे. इससे चार साल के यूजी प्रोग्राम में लचीलापन लाने के लिए प्रस्तावित किया गया. पहले साल बाद सर्टिफिकेट, दो साल बाद डिप्लोमा, तीन साल बाद डिग्री, और चार साल बाद ऑनर्स डिग्री के जरिए छात्रों को मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का मौका मिलेगा. 2025 तक 63 लाख छात्र और 1,200 संस्थान इससे जुड़ चुके हैं. इससे पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी की उम्मीद है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल पहुंच की कमी एक चुनौती बन सकती है.
3. फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP)
नेशनल एजुकेशन पॉलीसी (NEP) के तहत 12 अप्रैल 2022 को चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) की घोषणा की गई. NEP 2020 के तहत FYUP को बढ़ावा दिया गया. इसमें चौथा साल रिसर्च पर केंद्रित है. स्टूडेंट्स माइनर और मेजर सब्जेक्ट्स चुन सकते हैं. 2025 में 60% केंद्रीय विश्वविद्यालयों और 30% स्टेट यूनिवर्सिटी ने इसे अपनाया. इसका मकसद छात्रों को वैश्विक स्तर की डिग्री के लिए तैयार करना है.
4. विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए नियम
5 जनवरी 2023 को यूजीसी ने "Setting up and Operation of Campuses of Foreign Higher Educational Institutions in India Regulations, 2023" का ड्राफ्ट जारी किया. 2025 तक यह नियम पूरी तरह लागू हो चुका है, और कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों ने भारत में कैंपस शुरू कर दिए हैं. ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी ने जनवरी 2024 में गुजरात के GIFT सिटी में अपना कैंपस शुरू किया. यहां बिजनेस एनालिटिक्स और डिजिटल टेक्नोलॉजी में कोर्स शुरू हुए. इसके अलावा यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन ने हरियाणा में 2025 में कैंपस की योजना बनाई, जिसमें इंजीनियरिंग और AI पर फोकस है. 1 मार्च 2025 को जारी की गई UGC की एक रिपोर्ट की माने तो अब तक 8 विदेशी विश्वविद्यालयों ने यूजीसी से मंजूरी के लिए आवेदन किया, जिनमें से 3 को मंजूरी मिल चुकी है.
5. सेमेस्टर सिस्टम और रेगुलर मूल्यांकन
3 दिसंबर 2024 को एक सर्कुलर जारी हुआ जिसमें सालाना परीक्षा की जगह दो सेमेस्टर सिस्टम को अनिवार्य करने की सिफारिश की गई. इसमें 40% अंक मिड-टर्म, प्रैक्टिकल और असाइनमेंट से, और 60% फाइनल एग्जाम से मिलते हैं. 2025 तक 40% विश्वविद्यालयों ने इसे लागू किया. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे छात्रों का तनाव कम हुआ, लेकिन शिक्षकों पर काम का बोझ बढ़ा है.
6. भारतीय भाषाओं में शिक्षा और किताबें
2025 के शिक्षा बजट में 22 भारतीय भाषाओं में 22,000 किताबें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया. इसके लिए 50 करोड़ रुपये दिए गए. डिजिटल प्लेटफॉर्म "e-Kumbh" पर किताबें उपलब्ध कराई गईं. इससे क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स अनुवाद की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाते हैं.
7. पीएचडी नियमों में प्रमुख बदलाव
MPhil की अनिवार्यता खत्म और NET/JRF से सीधा दाखिला की प्रक्रिया एम. जगदीश कुमार के कार्यकाल में हुए बड़े बदलावों में से हैं. 7 नवंबर 2022 को "UGC (Minimum Standards and Procedures for Award of PhD Degree) Regulations, 2022" जारी था. पहले पीएचडी में दाखिले के लिए MPhil (मास्टर ऑफ फिलॉसफी) या अलग से प्रवेश परीक्षा पास करना जरूरी था. नए नियमों के तहत MPhil को पूरी तरह खत्म कर दिया गया. अब UGC-NET या JRF क्वालिफाई करने वाले उम्मीदवार सीधे पीएचडी में दाखिला ले सकते हैं. हालांकि कुछ विश्वविद्यालयों को अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की छूट भी दी गई, लेकिन NET स्कोर को प्राथमिकता मिली. इससे पीएचडी की राह आसान हुई. 2025 तक NET पास करने वाले छात्रों की संख्या में 15% की बढ़ोतरी देखी गई.
इसके अलावा चार साल की यूजी डिग्री से सीधे पीएचडी, पीएचडी में प्रवेश के लिए आयु सीमा कम, पीएचडी थीसिस को भारतीय भाषाओं (जैसे हिंदी, तमिल, बंगाली) में लिखने की अनुमति, PM रिसर्च फेलोशिप (PMRF) का विस्तार, थीसिस सबमिशन और मूल्यांकन में सुधार आदि बदलाव किए गए.
8. शिक्षकों की नियुक्ति और प्रमोशन के नए नियम
15 जनवरी 2025 को जारी ड्राफ्ट में शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता में बदलाव किया गया. VC पद के लिए 10 साल का शैक्षणिक अनुभव जरूरी नहीं रहा; कॉर्पोरेट प्रोफाइल वालों को भी मौका मिलेगा. हालांकि इसे लेकर अभी विवाद चल रहा है. 6 राज्यों (केरल, तमिलनाडु सहित) ने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है.
9. डिजिटल और AI शिक्षा को बढ़ावा
एम. जगदीश कुमार के कार्यकाल में ही डिजिटल और AI शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्लान तैयार किया गया. 2025 के बजट में इसे लेकर 500 करोड़ रुपये का प्रावधान है. देश में 10 AI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और "वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन" योजना शुरू हुई, जिससे 6,300 कॉलेजों को जर्नल्स की मुफ्त पहुंच मिली. ऑनलाइन डिग्री को मान्यता दी गई.
10. विदेशी डिग्रियों की मान्यता के नए नियम
एम. जगदीश कुमार का कार्यकाल खत्म होने से ठीक तीन दिन पहले यानी 5 अप्रैल 2025 को "Recognition Regulations, 2025" जारी किया गया. इसके तहत विदेशी विश्वविद्यालयों की डिग्रियों को मान्यता देने के लिए नियम आसान किए गए. ट्विनिंग प्रोग्राम (भारत और विदेश में पढ़ाई का मिश्रण) और ऑफशोर कैंपस की डिग्रियों को भी शामिल किया गया. 500 रैंकिंग वाले विदेशी संस्थानों को प्राथमिकता दी गई है.
बता दें कि एम. जगदीश कुमार ने 7 अप्रैल 2025 को रिटायरमेंट की घोषणा की और 8 अप्रैल को पद छोड़ा. उनके बदलावों ने शिक्षा को आधुनिक बनाया. GER को 2035 तक 50% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया. 2025 तक GER 28% से बढ़कर 32% हुआ. रिसर्च फंडिंग में 20% की बढ़ोतरी हुई. लेकिन इनमें कुछ चुनौतियां भी हैं. उनकी नीतियां आने वाले दशक में असर दिखाएंगी.