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यूपी: हायर एजुकेशन में पढ़ाई जाएंगी देशप्रेम और राष्‍ट्रवाद की कहानियां, '100 दिन के एक्‍शन प्‍लान' में पूरी होगी तैयारी

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के अपने मंत्रियों को 100 दिन की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश के बाद, अब शहीदों की गाथाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी शुरू हो गयी है.

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Patriotism in Higher Education:
Patriotism in Higher Education:
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकार का अहम कदम
  • शहीदों की गाथाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी

देश की आज़ादी के लिए योगदान देने वाले अमर बलिदानी हों या समाज को नयी राह दिखाने वाले समाज सुधारक, बहुत से ऐसे नाम हैं जिनकी प्रेरक गाथाएं कम लोग ही जानते हैं. इनके योगदान को बड़े स्तर पर दस्तावेजों में शामिल नहीं किया गया. ऐसे लोगों की उन प्रेरक कहानियों और राष्ट्र के प्रति योगदान को अब उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. शिक्षा का स्तर बढ़ाने के साथ ही राष्ट्रवाद और आज़ादी के इतिहास की स्वर्णिम बातों को अब छात्रों की पढ़ाई का हिस्‍सा बनाया जाएगा. 

100 दिन के एजेंडे में कार्य शुरू करने का लक्ष्य 
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के अपने मंत्रियों को 100 दिन की कार्य योजना तैयार करने के निर्देश के बाद, अब शहीदों की गाथाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी शुरू हो गई है. उच्च शिक्षा विभाग इसका ड्राफ़्ट तैयार कर रहा है कि किस तरह उन लोगों के योगदान को छात्रों को बताया जाए जिनके योगदान को पहले बड़े स्तर पर किसी पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जा सका है. इसकी कार्य योजना को मुख्यमंत्री के सामने पेश किया जाएगा. 12 अप्रैल से रोजाना होने वाले विभागवार प्रेजेंटेशन में भी इसको रखा जाएगा.

आज़ादी के अमृत महोत्सव में सामने आईं ऐसे बलिदानियों की कहानियां 
दरअसल, सरकार इन दिनों स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है. महोत्सव मनाने के दौरान ये बात सामने आई कि क्षेत्रीय स्तर पर ऐसे कई अमर बलिदानी, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक हैं जिनके योगदान को कभी मेनस्‍ट्रीम में शामिल नहीं किया जा सका. ऐसे कई लोगों का जिक्र खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने समय-समय कर किया है. 

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पीएम मोदी और सीएम योगी इस बात पर सवाल उठाते रहे हैं कि आज़ादी के इतिहास में कुछ घटनाएं सिर्फ़ क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रह गए और कई बलिदानियों और सुधारकों के योगदान की व्यापक रूप में चर्चा नहीं हो पाईं. ऐसे में युवाओं को इसकी जानकारी नहीं है. अमृत महोत्सव के दौरान इन विभूतियों का योगदान सामने आया तो उनको स्थाई पहचान देने और बड़े फलक कर चर्चा करने के लिए इसको पढ़ाने की योजना है. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले जारी अपने 'संकल्प पत्र' में भी इस बात को शामिल किया था.

दस्तावेज संकलन के लिए होगा काम 
हालांकि, सैद्धांतिक सहमति के बाद संकल्प पत्र में इसे शामिल किया गया पर इसमें व्यावहारिक रूप से भी कई चुनौतियां भी हैं. इसमें सबसे बड़ी बात दस्तावेज़ों का संकलन कर सही बातों को लिखित रूप में लाने का काम है. दरअसल, कौन कौन सी घटनाएं और शख़्सियतों को शामिल किया जाएगा इसके लिए विश्वविद्यालयों को भी अपने स्तर से शुरुआती जानकारी और दस्तावेज इकट्ठा करने के लिए कहा जाएगा. सभी संदर्भों को उच्च शिक्षा विभाग संकलित कराएगा. इसके बाद सभी ज़रूरी बातों का ध्यान रखते हुए उनको ड्राफ़्ट के रूप में तैयार किया जाएगा. फिर उच्च शिक्षा विभाग की देख-देख में इसको पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा.

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संस्कृति विभाग भी अलग से इस तरह की घटनाओं, समाज सुधारकों और बलिदानियों के जीवन से जुड़ी बातों का संकलन कर रहा है. उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी का कहना है कि 'योगी सरकार ने पिछले कार्यकाल में भी शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए काम किया है. इस बार भी हमारा ये लक्ष्य है. साथ ही संकल्प पत्र में लिए गए संकल्पों को भी हकीकत में बदलना जरूरी है. हम चाहते हैं कि राष्ट्रप्रेम भी छात्रों में हो. इसके लिए कोशिश की जाएगी.' 

 

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