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'विदेशी छात्रों के बिना हार्वर्ड, हार्वर्ड नहीं है...', ट्रंप के फैसले को यूनिवर्सिटी की सीधी चुनौती

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से जारी बयान में कहा कि ट्रंप प्रशासन की यह कार्रवाई ई हजारों विदेशी छात्रों और स्कॉलर्स के भविष्य को खतरे में डालती है. हार्वर्ड के प्रेसिडेंट एलन एम. गार्बर ने इसे न केवल हार्वर्ड, बल्कि पूरे अमेरिका के हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स के लिए चेतावनी करार दिया. हार्वर्ड ने इस फैसले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है

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Harvard University and Trump Controversy
Harvard University and Trump Controversy

इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के मामले में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी कोई समझौता नहीं करेगी. यूनिवर्सिटी ने विदेशी छात्रों के समर्थन में बयान जारी करते हुए ट्रंप प्रशासन को सीधी चुनौती दी है. बयान में अमेरिकी सरकार के उस फैसले की कड़ी निंदा की गई है, जिसमें 2025-26 शैक्षणिक वर्ष के लिए यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) प्रमाणन रद्द कर दिया गया. इस फैसले से हार्वर्ड को अंतरराष्ट्रीय छात्रों और स्कॉलर्स के लिए F और J वीजा प्रायोजित करने का अधिकार छीन लिया गया है. हार्वर्ड के प्रेसिडेंट एलन एम. गार्बर ने इसे "गैरकानूनी और अनुचित" कदम बताया, जिसका मकसद यूनिवर्सिटी की अकादमिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना है.

गार्बर ने एक बयान में कहा कि यह कार्रवाई हजारों विदेशी छात्रों और स्कॉलर्स के भविष्य को खतरे में डालती है. उन्होंने इसे न केवल हार्वर्ड, बल्कि पूरे अमेरिका के हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स के लिए चेतावनी करार दिया. हार्वर्ड ने इस फैसले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और जल्द ही एक अस्थायी रोक के लिए याचिका दायर करने की तैयारी है. 

क्या है विवाद?
अमेरिकी सरकार का दावा है कि हार्वर्ड ने होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के सूचना अनुरोधों का पालन नहीं किया. हालांकि, हार्वर्ड ने साफ कह दिया है उसने सभी कानूनी जरूरतों का पालन किया और सरकार के दावे निराधार हैं. गार्बर ने कहा कि यह कार्रवाई हार्वर्ड की अकादमिक स्वायत्तता पर हमला है, जिसमें पाठ्यक्रम, फैकल्टी और छात्रों पर कंट्रोल पाने की कोशिश शामिल है.

विदेशी छात्रों के लिए हार्वर्ड का समर्थन
हार्वर्ड ने अपने इंटरनेशनल स्टूडेंट्स और स्कॉलर्स को आश्वासन दिया है कि वे यूनिवर्सिटी समुदाय का अभिन्न हिस्सा हैं. गार्बर ने कहा, "आप हमारे क्लासमेट, दोस्त, सहकर्मी और मेंटॉर हैं. आपकी वजह से हमारा ज्ञान और समझ बढ़ती है, और हमारा देश व दुनिया अधिक प्रबुद्ध और मजबूत होती है." हार्वर्ड इंटरनेशनल ऑफिस इस मामले में रेगुलर अपडेट देगा और प्रभावित छात्रों को हर संभव सहायता प्रदान करेगा.

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कानूनी और सामाजिक प्रभाव
यह कदम अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों, खासतौर पर भारतीय छात्रों के लिए चिंता का विषय है, जो हार्वर्ड जैसे संस्थानों में बड़ी संख्या में मौजूद हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई उच्च शिक्षा की वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है. हार्वर्ड ने अपने बयान में जोर दिया कि वह वैश्विक प्रतिभाओं के लिए खुला रहेगा और इस चुनौती का डटकर मुकाबला करेगा.

आगे की राह
हार्वर्ड ने कहा कि वह कानूनी रास्ते अपनाने के साथ-साथ अपने छात्रों और स्कॉलर्स के हितों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगा. यूनिवर्सिटी ने सभी से एकजुटता की अपील की है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हार्वर्ड अपनी वैश्विक पहचान और समावेशी मूल्यों को बनाए रखे.

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